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Avalanche Near Kedarnath Dham: केदारनाथ में एक बार फिर पहाड़ से टूटकर गिरा ग्लेशियर, थम गईं लोगों की सांसें, याद आ गए साल 2013 के वो दिन, जब…

Avalanche Near Kedarnath Dham: केदारनाथ मंदिर के पीछे गांधी सरोवर की पहाड़ी पर रविवार सुबह 5 बजकर 46 मिनट के करीब एवलांच आ गया। इस दौरान पहाड़ी पर बर्फ का गुबार नजर आने लगा। इसके बाद केदारनगरी में हलचल मच गई।

Avalanche Near Kedarnath Dham: केदारनाथ में हर साल 15 से 20 मीटर तक पिघल रहे ग्लेशियर, 2013 में आया था भंयकर बाढ़

केदारनाथ मंदिर के पीछे गांधी सरोवर की पहाड़ी पर रविवार सुबह 5 बजकर 46 मिनट के करीब एवलांच आ गया। इस दौरान पहाड़ी पर बर्फ का गुबार नजर आने लगा। इसके बाद केदारनगरी में हलचल मच गई। काफी देर तक इस इलाके में एवलांच के कारण हलचल देखी गई। आपको बता दें कि हिमखंड के टूटने से काफी तेज आवाज आई और केदारपुरी में सभी लोगों में दहशत फैल गई। हालांकि, घटना से कोई नुकसान की सूचना नहीं है। हालांकि इस पहाड़ी पर एवलांच आना कोई नई बात नहीं है। यहां पर समय-समय पर एवलांच आते रहते हैं।

केदारनाथ के सेक्टर अधिकारी का कहना है कि इस बर्फीली पहाड़ी पर समय समय पर एवलांच आते रहते हैं। केदारनाथ धाम के पीछे स्थित बर्फ की पहाड़ी पर रविवार सुबह पांच बजे के आसपास एवलांच आया है। पहाड़ी से बर्फ काफी नीचे आ गई थी। जिससे पहाड़ी पर बर्फ का धुआं उड़ने लगा था। इसके बाद केदारनगरी में हलचल मच गई। काफी देर तक यह एवलांच आता रहा। केदारनाथ के स्थानीय लोगों व यात्री तेज आवाज आने से अपने घरों से बाहर आ गए।

लोगों ने अपनी आंखों से देखा दृश्य

स्थानीय लोगों ने इस दृश्य को अपनी आंखों से देखा। इस वर्ष अब तक तीसरी बार हिमखंड टूटने की घटना हो चुकी है। वहीं पर्यावरणविद् जगत सिंह जंगली ने इस घटना को चिंता का विषय बताया है। उन्होंने कहा कि हिमालय क्षेत्र में लगातार हो रही इस प्रकार की घटनाओं पर सोचने की आवश्यकता है। हिमालय क्षेत्र में हो रहे निर्माण कार्य और हेली कंपनियों की अनियमित उड़ानों के कारण इस तरह की घटनाएं हो रही हैं। ऐसे में समय रहते हिमालय क्षेत्र को बचाने की जरूरत है।

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हर साल 15 से 20 मीटर तक पिघल रहे ग्लेशियर

आपको बता दें कि यह पहली बार नहीं है जब उत्तराखंड में ग्लेशियरों के पिघलने का मामला सामने आया हो। राज्य के कई ग्लेशियर ऐसे हैं जो लगातार पिघल रहे हैं, और इनकी पिघलने की रफ्तार भी काफी तेज है। जानकारी के अनुसार, यहां हर साल 15 से 20 मीटर तक ग्लेशियर पिघल रहे हैं। जो इस घटना को प्रमाणिकता प्रदान करते हैं।

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चौराबाड़ी ताल की तरफ घूमने न जाएं

जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदन सिंह रजवार ने बताया कि केदारनाथ से ऊपरी क्षेत्र में जाने वाले यात्रियों को सुरक्षा के दृष्टिकोण से सतर्क किया गया है कि वे अनावश्यक चौराबाड़ी ताल की तरफ घूमने न जाएं। चौराबाड़ी ताल के ऊपरी क्षेत्र से निरंतर एवलांच आने की घटनाएं होती रहती हैं। वर्ष 2022 से अब तक यहां करीब एक दर्जन से अधिक बार एवलांच आने की घटनाएं हुई हैं। हालांकि, किसी प्रकार का कोई नुकसान नहीं हुआ है।

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2013 में आया था भंयकर बाढ़

मालूम हो कि साल, 2013 में केदारनाथ में बादल फटने की वजह से भंयकर बाढ़ आ गई थी। इस बाढ़ में सब कुछ तबाह हो गया था। कई लोगों की मौतें भी हो गईं थीं। काफी दिनों के बाद केदारनाथ धाम में जन-जीवन सामान्य हुआ था। लेकिन इस हादसे में केदारनाथ धाम को कुछ भी नहीं हुआ था। हालांकि आज भी बाढ़ में गायब हुए लोगों के परिजन उनका घर लौटने का इंतजार कर रहे हैं। ऐसे में आज जब पहाड़ी से बर्फिला तूफान नीचे आ रहा था, तो लोगों की सांसें थम सी गई।

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vrinda

मैं वृंदा श्रीवास्तव One World News में हिंदी कंटेंट राइटर के पद पर कार्य कर रही हूं। इससे पहले दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण और नवभारत टाइम्स न्यूज पेपर में काम कर चुकी हूं। मुझसे vrindaoneworldnews@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।
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