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Sundar Pichai success story : गूगल सीईओ सुंदर पिचाई ने विदेश की धरती पर लहराया भारत का परचम, किए गए पद्म भूषण से सम्मानित

Sundar Pichai success story: “भारत मेरा हिस्सा है, मैं जहां भी जाता हूँ भारत को अपने साथ लेकर जाता हूं ‘’ – सुंदर पिचाई

Highlights –

  • सुंदर बीती शाम भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण से नवाजे गए हैं।
  • पिचाई को यह पुरस्कार व्यापार और उद्योग श्रेणी में प्राप्त हुआ है।
  • सुंदर भारत और भारतवासी को इस सम्मान के लिए धन्यवाद देते नजर आए।
  • परदेस की धरती पर सुंदर ने अपने परिवार और अपनी परवरिश को भी शुक्रिया अदा किया।

Sundar Pichai success story : भारत विविधताओं का देश है। भारत को विविध बनाता है भारत का हज़ारों साल पुराना स्वर्णिम इतिहास, भारत की सभ्यता और संस्कृति। लेकिन क्या आप जानते हैं भारत को विविध और ख़ास बनाने में भारत के लोगों का भी बड़ा हाथ है।

परदेस की धरती पर हमारी मिट्टी का एक बेटा आज शान से बोल रहा है “ भारत मेरा हिस्सा है, मैं जहां भी जाता हूँ भारत को अपने साथ लेकर जाता हूं ‘’। देश के वह गौरवान्वित बेटे हैं गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई।

सुंदर बीती शाम भारत के तीसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण से नवाजे गए हैं। उनको यह पुरस्कार व्यापार और उद्योग श्रेणी में प्राप्त हुआ है। सुंदर भारत और भारतवासी को इस सम्मान के लिए धन्यवाद देते नजर आए। परदेश की धरती पर सुंदर ने अपने परिवार और अपनी परवरिश को भी शुक्रिया अदा किया।

सुंदर अपने उसी परिवार का ज़िक्र कर रहे थे जो सुंदर को इस मुकाम तक पहुंचाने में एक बेहतरीन ज़रिया रहा है। सुंदर की सफलता के सफर के दिनों के वाकये बड़े प्रसिद्ध हैं । एक वाकया सुंदर के पढ़ाई के दिनों का है। सुंदर को जब खड़गपुर आईआईटी से इंजीनियरिंग करने के बाद आगे की पढ़ाई करने के लिए स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से स्कॉलरशिप मिलती है तब उनके पिताजी के पास इतने पैसे नहीं होते की वह अपनी जेब से सुंदर के लिए फ्लाइट की टिकट बुक कर सकें। उस वक्त वह कर्ज लेकर अपने बेटे को स्टैनफोर्ड भेजते हैं।

सुंदर अपने उसी परिवार का ज़िक्र कर रहे थे जो सुंदर को इस मुकाम तक पहुंचाने में एक बेहतरीन ज़रिया रहा है। सुंदर की सफलता के सफर के दिनों के वाकये बड़े प्रसिद्ध हैं । एक वाकया सुंदर के पढ़ाई के दिनों का है। सुंदर को जब खड़गपुर आईआईटी से इंजीनियरिंग करने के बाद आगे की पढ़ाई करने के लिए स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से स्कॉलरशिप मिलती है तब उनके पिताजी के पास इतने पैसे नहीं होते की वह अपनी जेब से सुंदर के लिए फ्लाइट की टिकट बुक कर सकें। उस वक्त वह कर्ज लेकर अपने बेटे को स्टैनफोर्ड भेजते हैं।

इसके अलावा पढाई के लिए अमेरिका जाने के बाद सुंदर पैसों की कमी की वजह से अपनी पत्नी को भारत फोन भी कर पाने में सक्षम नहीं थे।

कहते हैं इंसान का वक्त बदलते देर नहीं लगती। एक वो वक्त था जब सुंदर आर्थिक कमी के कारण ऐसे दिनों को देख रहे थे और एक आज का वक्त है जब सुंदर दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक गूगल को सम्भाल रहे हैं। आज उनके पास दुनिया के सारे शानों – शौकत और ऐशो – आराम है औऱ साथ में है वो सारे सम्मान जो उन्होंने अपनी लगन और मेहनत से कमाए है।

 अगर आपमें लगन और कुशलता है तो दुनिया की हर सफलता को प्राप्त किया जा सकता है और यह सिखाती है हमें सुंदर की कहानी।

आइए एक नज़र डालते हैं सुंदर के सुंदर सफर पर।

सुंदर का जन्म 1972 में चेन्नई के मदुरई में हुआ था। सुंदर का मूल नाम पिचाई सुंदराजन है। उन्होंने मदुरई के अशोक नगर के जवाहर विद्यालय में अपनी 10वीं की पढ़ाई पूरी की और 12वीं में उन्होंने मदुरई के वाणा – वाणी स्कूल में दाखिला लिया। इसके बाद Metallurgical Engineering में उन्होंने आईआईटी खड़गपुर से ग्रेजुएशन पूरा किया। सुंदर पढ़ाई में तो अच्छे थे ही उन्हें Stanford University में भौतिक विज्ञान में, MS (Masters in Science) की डिग्री पूरी करने के लिए स्कॉलरशिप मिली और वह अमेरिका चले गए और आखिर में वे MBA की पढाई के लिए Wharton School, University of Pennsylvania का रुख किया।

आपको जानकर यह ताज्जुब होगा कि सुंदर को बचपन में तकनीकों से बिल्कुल लगाव नहीं था उन्हें तो बचपन में बाकी बच्चों की तरह खेलने – कूदने का शौक था। वह अपने स्कूल के क्रिकेट टीम के कप्तान थे।

सुंदर की याददाश्त बेहद कुशल बताई जाती है। कई मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि जब तमिलनाडू में इनके घर पर 1984 में पहली बार टेलीफोन लगा था, तब सभी रिश्तेदार किसी दूसरे का नंबर भूल जाने पर सुंदर की याददाश्त का सहारा लेते थे और शायद यही कारण है कि सुंदर को आज भी छोटी से छोटी बात याद रहती है।

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सुंदर का सफर गूगल में 2004 में एक प्रॉडक्ट और इनोवेशन ऑफिसर के रूप में शुरू हुआ। इसके बाद सुंदर वाइस प्रेसीडेंट के रूप में चुने गए। प्रॉडक्ट चीफ का भी कार्यभार सुंदर सम्भाल चुके हैं। एंड्राइड ऑपरेटिंग सिस्टम के विकास और और 2008 में लॉन्च हुए गूगल क्रोम में उनकी बड़ी भूमिका रही है।

जिस गूगल फॉर्म को आज पूरी दुनिया इस्तेमाल करती है उसे सुंदर पिचाई ने बनाया है। जी हां, सुंदर पिचाई के करियर में दो चीजें मील का पत्थर साबित हुईं। पहले उन्होंने गूगल मैप ऐप्स तैयार किये जो रातों रात लोकप्रिय हो गए। इसके बाद उन्होंने गूगल के सभी प्रॉडक्ट्स के लिए एंड्रॉइड एप तैयार किए।

आज के समय में सुंदर गूगल के उन लोगों में शामिल हैं जिन्हें उभरते बाजार में गूगल को ले जाना और चलाने का अनुभव हासिल है।

हांलांकि सुंदर को अमेरिका की नागरिकता प्राप्त है लेकिन आज भी अमेरिका के दिल में भारत को जिंदा रख रहे हैं। भारत ऐसे बेटे को सलाम करता है।

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