जानें मैनुएल स्केवेजिंग के बारे में क्या कहते हैं आंकडे जिसका सरकार के पास नहीं ब्यौरा
हर साल लोग मर रहे हैं और सरकार के पास पांच साल का रिकॉर्ड नहीं है
हाल के दिनों में सरकार द्वारा दिए कई जवाबों को लेकर जनता के बीच कई तरह के सवाल खड़े हो गए हैं। साथ ही इसे लेकर लोगों के बीच रोष भी है। कोरोना के बाद ही जनता द्वारा उम्मीद की जा रही है कि किसी दिन सबकुछ नॉर्मल हो जाएगा। लेकिन इन सबके बीच सरकार के ऐसे जवाब जनता को निराशा की तरफ ले जा रहे हैं। कुछ दिन पहले ही केंद्र सरकार ने संसद में कहा था कि कोरोना की दूसरी लहर दौरान ऑक्सीजन की कमी के कारण किसी की मौत नहीं हुई है। इस बात के बाद मीडिया में दिखाई वह सारी तस्वीरें शर्मासार हो गई। जो इस दौरान यह बयां कर रही थी ऑक्सीजन की तलाश में कैसे मरीजों के परिजनों इधर-उधर भटक रहे थे।
इस खबर के बाद ही केंद्र सरकार के एक और जवाब ने जनता को निराश कर दिया है। पिछले दिनों विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और एल हनुमंयैता द्वारा पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए सामाजिक न्याय मंत्री रामदास आठवले ने कहा कि पिछले पांच सालों में मैनुअल स्केवेंजिग में किसी भी मौत का मामला सामने नहीं आया है।
इस जवाब ने एक बार फिर उन मौतों पर सवाल खड़ा कर दिया है जिसने लोगों के घरों के चिराग को छीन लिया था। जहां परिवार का एकलौता कमाने वाला शख्स मैनुअल स्केवेंजिग द्वारा दम घुटने के कारण अपनी जान गंवा चुका है। इसके बात के प्रकाश में आने के बाद मैनुअल स्केविंच को लेकर लंबी लड़ाई लड़ने वाले बिजवाड़ा विल्सन ने ट्विटर पर अपनी प्रतिक्रिया दी है
472 deaths from 2016 to 2020 and 26 deaths this year till date due to manual scavenging are recorded with details of each incident sent to central government! Still it keeps denying even a single death!! Shameful!!#ManualScavenging #stopkillingus
— Bezwada Wilson (@BezwadaWilson) July 31, 2021
उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा कि साल 2016 से 2020 तक 427 के लोगों को मैनुअल स्केवेजिंग के कारण मौत हो गई है। इस साल भी अभी तक 26 लोगों को मौत हुई है। यह सारी रिपोर्ट केंद्र सरकार को दी गई है। इसके बाद भी सरकार का कहना है कि एक भी शख्स की मौत नहीं हुई है। यह बहुत ही शर्मनाक नहीं है।
आइए आपको बताते हैं कुछ ऐसी घटनाएं जो इस बयान को झूठा साबित कर रही है…
दादरा और नगर हवेली- पिछले महीने ही सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान तीन लोगों की मौत हो गई। हिंदी न्यूज वेबसाइट वन इंडिया की खबर के अनुसार दादर और नगर हवेली के सिलवासा में सीवर की सफाई करते वक्त जहरीली गैस शरीर के अंदर चले जाने कारण तीन लोगों की मौत हो गई।
दिल्ली – आजतक की खबर के अनुसार पूर्वी दिल्ली के पटपड़गंज में पर्ल ग्रैंड बैंक्वेट हॉल में सीवर सफाई के दौरान दो लोगों की मौत हो गई। सफाई करने वाले दोनों युवा थे। लोकेश की उम्र 35 साल और प्रेमचंद्र 40 साल थी। खबर की मानें तो घर वालों का आरोप है कि दोनों कर्मचरियों को जबरदस्ती रात को सीवर सफाई करने के लिए कहा गया। जब वह सफाई कर रहे थे तो जहरीली गैस के कारण बेहोश हो गए। जब उन्हें अस्पताल लेकर जाया गया तो डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
बिहार- सीवर सफाई के दौरान सिर्फ बड़े शहरों में ही मौत नहीं हो रही है। बल्कि छोटे शहरों में भी यह सारी चीजें देखने को मिलती है। न्यूज वेबसाइट पात्रिका के अनुसार बिहार के सारण जिले में निर्माणधीन शौचालय की टंकी सेंट्रिंग खोलने के लिए चार मजदूर टंकी के अंदर गए। अंदर जाने के बाद ही उन लोगों को सांस लेने में दिक्कत होने लगी। इस बात की खबर पाकर गांव के लोगों को मजदूरों ने बड़ी मुश्किल से बाहर निकाला। जिसमें तीन लोगों को दम घुटने के कारण मौत हो गई।
हरियाणा- सीवर सफाई के दौरान मौतों का आंकड़ा देश के लगभग हर राज्य में आपको देखने के मिल जाएगा। भले मैनुअल स्वेचिंग को सरकार ने बंद कर दिया है। लेकिन आज भी ऐसी घटनाएं लगातार हो रही है। इसी साल जनवरी के महीने में हरियाणा के इंडस्ट्रियल इलाके फरीदाबाद में दो सफाई कर्मियों की सफाई के दौरान जहरीली गैस की चपेट में आने से की दम घुटने के कारण मौत हो गई।
आइए कुछ आंकडों के बारे जानते हैं
आजादी के बाद से ही हमारे देश में कई बातों की मांग की जा रही है। जिसमें एक मैनुअल स्कैवेजिंग की खत्म करने के मांग उठती रही है। राष्ट्रीय सर्वेक्षण आंकड़ों के अनुसार 31 जनवरी 2020 तक देश के 18 राज्यों में 48,345 सफाई कर्मी है। इतने लोगों की रोजी रोटी इसी पर आश्रित है। साल 2011 की मतगणना के अनुसार 1.8 लाख दलितों की आय का श्रोत भी यही है। मैनुअल स्कैवेजिंग के लिए काम करने वाली संस्था के आंकडों के अनुसार पिछले 20 सालों में सीवर सफाई के दौरान 1,760 लोगों की मौत हो गई है। देश की बड़ी आबादी इस डिजिटल दुनिया में भी अपनी जान इसके कारण गंवा रही है। मौजूद वक्त में देशभर में 26 लाख ड्राई टॉयलेट है। जिसके बावजूद भी मैनुएल स्केवेंजिग के दौरान मौत हो रही है।
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