Legend Pandit Birju Maharaj Passes Away: नहीं रहे भारत के गौरव पंडित बिरजू महाराज, जानिए उनसे जुड़ी कुछ ख़ास बातें!
Legend Pandit Birju Maharaj Passes Away: महान कथक नर्तक पंडित बिरजू महाराज 7 साल की आयु से ही लेने लगे थे शिक्षा, आइए उनके जीवन से जुड़े ख़ास पलो को याद करते है
Highlights:
- Legend Pandit Birju Maharaj Passes Away: पंडित बिरजू महाराज का 83 वर्ष की आयु में हुआ निधन।
- 13 साल की उम्र से ही देने लगे थे शिक्षा।
- दूसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण से सम्मानित हो चुके है पंडितजी।
- महिला कलाकारो को दिलवाया बराबर सम्मान का हक।
Legend Pandit Birju Maharaj Passes Away: कथक के लखनऊ घराने के प्रमुख पंडित बिरजू महाराज का आज सोमवार को तड़के दिल्ली में उनके घर पर निधन हो गया है। पंडितजी अगले महीने ही 84 के होने वाले थे।
रागिनी महाराज के मुताबिक रात के खाने के बाद पंडितजी अपने परिवार और शिष्यो संग ‘अंताक्षरी’ खेल रहे थे, जब वह अचानक से बीमार हो गए। भारत के सबसे प्रसिद्ध कलाकारों में से एक, कथक प्रतिपादक, किडनी की बीमारी से पीड़ित थे और उनका डायलिसिस उपचार चल रहा था।
Kathak maestro Pandit Birju Maharaj passes away, says his relative
(File photo) pic.twitter.com/jabPHX1cly
— ANI (@ANI) January 17, 2022
उनकी पोती ने आगे जानकारी देते हुये कहा की संभवत: दिल का दौरा पड़ने से उनकी मृत्यु हुई है। हम उन्हे तुरंत अस्पताल ले गए थे लेकिन बचा नहीं सके। हालही में पंडितजी के भतीजे और शिष्य पं मुन्ना शुक्ला भी 78 साल की उम्र चल बसे थे।
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प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने पंडित बिरजू महाराज के निधन पर उनको श्रद्धांजलि अर्पित की और परिवार के प्रति अपनी संवेदनाय व्यक्त की।
भारतीय नृत्य कला को विश्वभर में विशिष्ट पहचान दिलाने वाले पंडित बिरजू महाराज जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। उनका जाना संपूर्ण कला जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। शोक की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिजनों और प्रशंसकों के साथ हैं। ओम शांति! pic.twitter.com/PtqDkoe8kd
— Narendra Modi (@narendramodi) January 17, 2022
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा कि ‘महाराज जी’ को भारतीय शास्त्रीय नृत्य के क्षेत्र में उनके अद्वितीय योगदान के लिए हमेशा याद किया जाएगा।
आइए आगे इस लेख में हम पंडितजी के जीवन से जुड़े कुछ ख़ास पहलुओ पर नज़र डाले :
• देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण से सम्मानित पंडित जी का जन्म 4 फरवरी 1937 को एक प्रसिद्ध कथक नृत्य परिवार में बृज मोहन नाथ मिश्रा के रूप में हुआ था।
• पंडितजी को उनके चाचा, लच्छू महाराज और शंभू महाराज और उनके पिता द्वारा प्रशिक्षित किया गया था और उन्होंने सात साल की उम्र में ही अपनी कला की शुरुआत करदी थी। 20 मई 1947 को, जब वह नौ वर्ष के थे, तब उनके पिता का देहांत हो गया था।
• पंडितजी ने तेरह साल की उम्र में नृत्य सिखाना शुरू कर दिया था। नई दिल्ली में संगीत भारती से उन्होने अपनी शुरुआत की थी फिर भारतीय कला केंद्र और कथक केंद्र में भी पढ़ाया।
• 1998 में रिटायरमेंट लेने के बाद उन्होंने अपना खुदका नृत्य शिक्षा संस्थान ‘कालाआश्रम’ की शुरुआत की।
• नृत्य कला के छेत्र में अनेकों पुरस्कार के साथ पंडितजी ने फिल्मी दुनिया में भी अपना योगदान दिया और 2012 में उन्नाई कानाथु, विश्वरूपम के लिए सर्वश्रेष्ठ कोरियोग्राफी का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और 2016 में मोहे रंग दो लाल, बाजीराव मस्तानी के लिए सर्वश्रेष्ठ कोरियोग्राफी का फिल्मफेयर पुरस्कार भी हासिल किया।
• पिछले साल, उनके जीवन पर एक पुस्तक, जिसका शीर्षक “नृत्य सम्राट पं बिरजू महाराज” है उस को लॉन्च किया गया था। यह पुस्तक दुनिया भर के उनके शिष्यों, सहयोगियों, प्रशंसकों और वरिष्ठ कलाकारों, सहयोगियों और शुभचिंतकों द्वारा लिखे गए 22 अंग्रेजी और 70 हिंदी निबंधों का संकलन है। इसे बिरजू महाराज के एक वरिष्ठ शिष्य नंदकिशोर कपोटे ने तैयार किया है।
• ‘कालका-बिंदादीन’ परिवार की पहली महिला नृत्यांगना ममता महाराज ने साझा किया कि पंडितजी ने ऐसी प्रस्तुतियों का निर्माण किया जिससे महिला कलाकारों को उनके पुरुष समकक्षों के समान पहचान प्राप्त हो सके।
• पंडितजी एक सम्मानित नर्तक होने के साथ एक अच्छे शास्त्रीय गायक भी थे।
Conclusion: पंडित बिरजू महाराज एक माहान कलाकार होने के साथ एक प्रभावशाली व्यक्ति भी थे। सिर्फ उनमे मौजूद उनके कला के वजह से ही नहीं बल्कि लोगो के प्रति उनके सरल आचरण के वजह से भी उनके इतने प्रशंसक है और निधन के बाद भी सैकड़ो लोगों के दिलों में हमेशा ही उनके लिए एक ख़ास जगह रहेगी। सचमुच सिर्फ 13 वर्ष की आयु से ही कला के छेत्र में शिक्षा प्रदान करना कोई आम बात नहीं थी। पंडितजी भारत देश के ताज में जड़े अनेकों हीरों में से एक है। उनका निधन दुखद अवश्य है मगर भारत देश में ऐसे कलाकार का जन्म लेना और अपनी कला के जादू से सबको मनमोहित कर देना एक गर्व की बात है। पंडित बिरजू महाराज जी को हम तहे दिल से श्रद्धांजलि अर्पित करते है।