Indian Railways and Accidents: सुरक्षा या मज़ाक? बीकानेर गुवाहाटी एक्सप्रेस हुई भयावह हादसे का शिकार, आखिर कब बंद होंगे ऐसे हादसे?
Indian Railways and Accidents: भारतीय रेल के दिल दहला देने वाले हादसे, पहले भी कई बड़े हादसे हुए है!
Highlights:
- Indian Railways and Accidents: बीकानेर गुवाहाटी एक्सप्रेस की 12 बोगियां उतरी पटरी से नीचे।
- हादसे में 9 सवारियों की मौत और 36 घायल।
- सबसे दर्दनाक रेल भारतीय हादसे कोन से है?
Indian Railways and Accidents: बीते दिन भारतीय रेल की बीकानेर गुवाहाटी एक्सप्रेस एक भयावह हादसे का शिकार हो गयी। हादसे में रेल के 12 बोगियां प्रभावित हुईं और पटरी से नीचे उतर गयी। अब तक 9 सवारियों की मौत और 36 घायल की पुष्टि की गयी है।
Bikaner-Guwahati derailment, West Bengal | Latest visuals of the rescue operation at the site. pic.twitter.com/uCMRbB9ApN
— ANI (@ANI) January 13, 2022
गुवाहाटी-बीकानेर एक्सप्रेस गुरुवार को राजस्थान से असम की ओर आते हुये शाम में पश्चिम बंगाल के डोमोहानी, जलपाईगुड़ी के पास पटरी से उतर गई और हादसे का शिकार हो गयी। हादसे के वक्त ट्रेन की रफ्तार 40 किमी प्रति घंटे की बताई जा रही है।
#UPDATE | Death toll in Bikaner-Guwahati Express mishap has risen to 9. Rescue operation is over. 36 injured were admitted to different hospitals. Passengers were sent to Guwahati by special train: Union Minister John Barla
(Latest visuals from the spot in Domohani, Jalpaiguri) pic.twitter.com/MpoLsrZnLZ
— ANI (@ANI) January 14, 2022
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केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बीकानेर गुवाहाटी एक्सप्रेस के पटरी से उतरने की जगह यानि दुर्घटनास्थल का दौरा किया और मामले की उचित जांच का आश्वासन दिया है। मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि दुर्घटना के कारणों का पता लगाने के लिए पूरी जांच की जाएगी।
मगर इन सब के बीच यह सवाल खड़ा उठता है की यह आश्वासन यात्रियों को अपनी मंज़िल तक सही सलामत पहुंचाने के लिए क्यों नहीं दिया जाता? क्यों हर बार दुर्घटना के बाद ही यह कहा जाता है की कारणो का पता लगाया जाएगा, जांच होगी और शवो के परिवार वालों को मुआवजे की रक्म सौंपदी जाएगी? सवाल यह भी खड़ा उठता है की हर दूसरे-तीसरे दिन हो रहें रेल दुर्घटनाओं से हम सीख लेकर आने वाले दुर्घटनाओं को रोकने में सक्षम क्यों नहीं हो रहे है?
अगर आपको लगता है की रेल दुर्घटनाओं को रोकना , किसी के बस में नहीं है और यह कभी कोहरे जैसे कारणो से हो सकता है तो आप गलत है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2020 के दौरान देश भर में 13,000 से अधिक ट्रेन दुर्घटनाओं में लगभग 12,000 रेल यात्रियों की मौत हुई थी यानि हादसों में हर दिन औसतन 32 लोगों की जान गई थी। और यह तब हुआ है जब कोरोना महामारी के कारण ज्यादातर रेल यातायात प्रभावित थी। महाराष्ट्र 2020 के रेल हादसों के मामलो में अव्वल स्थान पर रहा तो वही यूपी दूसरे नंबर पर।
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रेल दुर्घटनाओं को आप कम आँकने की भूल न करे इसलिए, हम आपको पिछले कुछ वर्षो में हुई दहलादेने वाले हादसो के बारे में आगे इस लेख में बताएँगे। हो सकता है यह हादसे भारतीय रेल के प्रति आपके विश्वास को थोड़ा सा कमज़ोर करदे, आपको थोड़ा असुरक्षित महसूस करायेऔर इसकी आवश्यकता भी है। अगर आप अपने सुरक्षा का ध्यान रखकर उसके प्रति आवाज़ नहीं उठाएंगे तो हो सकता है दुरघटनाओं का सिलसिला यू ही चलता रहे।
आइए एक नज़र डालते है कुछ घातक ट्रेन आपदाओं पर:
1981 बिहार ट्रेन आपदा
बिहार के सहरसा के पास, लगभग 900 लोगों को ले जा रही एक ट्रेन पटरी से उतर कर बाघमती नदी में गिर गयी थी। इस हादसे में कुल 500 से अधिक मौते हुई थी। भारत में सबसे खराब ट्रेन दुर्घटनाओं में से यह एक है।
1995 फिरोजाबाद रेल आपदा:
उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद के पास कालिंदी एक्सप्रेस को दिल्ली जा रही पुरुषोत्तम एक्सप्रेस ने टक्कर मार दी थी, इस हादसे में कम से कम 358 लोग मारे गए। गाय से टकराने के बाद कालिंदी एक्सप्रेस का ब्रेक फेल होने से ट्रेन ट्रैक पर फंस गया था। चूंकि पुरुषोत्तम एक्सप्रेस को उसी समय उसी ट्रैक पर संचालित करने की अनुमति दी जा चुकी इसलिए दोनों ट्रेन की आपस में भिड़त हो गयी।
1999 गैसल ट्रेन आपदा
गुवाहाटी से लगभग 310 मील की दूरी पर असम के गैसल के पास 2,500 से अधिक यात्रियों को ले जा रही दो ट्रेनों की टक्कर में कम से कम 290 लोग मारे गए। ट्रेनें इतनी तेज गति से टकराईं थी कि उनमें विस्फोट हो गया, जिस कारण बड़ी संख्या में लोग मारे गए।
1998 खन्ना ट्रेन आपदा
कोलकाता के लिए बाध्य जम्मू तवी-सियालदह एक्सप्रेस पंजाब में भारत के उत्तर रेलवे के खन्ना-लुधियाना खंड पर खन्ना के पास अमृतसर में पटरी से उतरे फ्रंटियर गोल्डन टेम्पल मेल के छह डिब्बों से टकरा गई, जिसमें कम से कम 212 लोग मारे गए।
2010 ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस आपदा
मुंबई जा रही हावड़ा कुर्ला लोकमान्य तिलक ज्ञानेश्वरी सुपर डीलक्स एक्सप्रेस के पश्चिम मिदनापुर जिले के खेमाशुली और सरडीहा के बीच तड़के 1:30 बजे हुए विस्फोट से एक संदिग्ध माओवादी हमले में कम से कम 170 लोगों की मौत हो गई, और फिर एक मालगाड़ी द्वारा भिड़त भी हुई।
2016 इंदौर पटना आपदा
इंदौर से पटना जाने वाली इंदौर-पटना एक्सप्रेस 19321, 20 नवंबर, 2016 को पुखरायण, कानपुर, भारत के पास पटरी से उतर गई, जिसमें कम से कम 150 लोग मारे गए और 150 से अधिक घायल हो गए।
2002 हावड़ा-नई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस
रात को 10 बजकर 40 मिनट, गया और डेहरी-ऑन-सोन स्टेशनों के बीच रफीगंज स्टेशन के पास हावड़ा-नई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस के पटरी से उतरने से 140 से अधिक लोगों की मौत हुई।
2005 वेलिगोंडा ट्रेन त्रासदी
29 अक्टूबर, 2005 को एक अचानक आई बाढ़ ने एक छोटा रेल पुल बहा दिया और उस पर यात्रा कर रही एक “डेल्टा फास्ट पैसेंजर” ट्रेन लाइन के क्षतिग्रस्त कर पटरी से नीचे उतार दिया, हादसे में कम से कम 114 लोग मारे गए और 200 से अधिक घायल हुये थे।
2010 सैंथिया ट्रेन क्रैश
19 जुलाई, 2010 को उत्तर बंगा एक्सप्रेस पश्चिम बंगाल के सैंथिया में वनांचल एक्सप्रेस से जा टकराई। हादसे में लगभग 63 लोगों की मौत हो गई और 165 से अधिक लोग घायल हो गए थे।
2012 हम्पी एक्सप्रेस दुर्घटना
हुबली-बैंगलोर हम्पी एक्सप्रेस 22 मई, 2012 को आंध्र प्रदेश के पास एक मालगाड़ी से टकरा गई। ट्रेन के चार डिब्बे पटरी से उतर गए, और उनमें से एक में आग भी लग गई, जिसमें लगभग 25 यात्रियों की मौत हो गई और लगभग 43 अन्य घायल हो गए।
Conclusion: इन हादसो से पता चलता है की भारतीय रेल में हादसो का होना कोई नयी बात नही है। एसे में लाज़मी सवाल यह है की, क्या इनमे से कई हादसो को रोका जा सकता था? क्या अब भी आने वाले समय में इन हादसों से सीख लेकर दुर्घटनाओं को रोका जा सकता है? सवाल काफी सरल है मगर करना बहुत जरूरी है। इन हादसों में न जाने कितने परिवारों ने अपने कीमती सदस्यों को खोया है, जिसकी भरपाई शायद ही कोई मुआवजा कभी कर पाये।