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Elvish Arrest Case: कैसे हुई एल्विश की गिरफ्तारी? जानें कैसे रेव पार्टियों में होता है सांप के दंश से नशे का धंधा

Elvish Arrest Case: बिग बॉस ओटीटी 2 के विजेता और मशहूर यूट्यूबर एल्विश यादव (Elvish Yadav) को एक रेव पार्टी में नशे के लिए सांपों की सप्लाई के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। इस खबर के बाद सांप के जहर से होने वाला नशा काफी चर्चा में आ गया है। कई लोगों का मानना है कि इसकी लत लग सकती है और कुछ लोग इसके विपरीत है।

Elvish Arrest Case: सांपों के जहर की वो लत क्या है जिसने एल्विश को सलाखों के भीतर पहुंचा दिया?

Elvish Yadav And Snake Venom Addiction: बिग बॉस ओटीटी विजेता एल्विश यादव इस समय सलाखों के पीछे हैं। उनपर सांपों की तस्करी के साथ रेव पार्टियों में उसका जहर भी उपलब्ध कराने का आरोप है। एल्विश 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में है। एल्विश ने खुद भी इन आरोपों को स्वीकारा है। अब मशहूर यूट्यूबर पर वन्यजीव अधिनियम (Wildlife Act) मामले के साथ ही नारकोटिक ड्रग्स और साइकोट्रोपिक सब्सटेंस अधिनियम के तहत कार्रवाई की जा रही है। एल्विश के खिलाफ लगाए गए कड़े कानून की ‘धारा 29’ नशीली दवाओं से जुड़ी साजिशों जैसे खरीद-फरोख्त से संबंधित है।

हकीकत ये है कि देश में कई जगहों पर रेव पार्टियों में हिस्सा लेने वाले युवाओं में नशे के लिए कोबरा के जहर का इस्तेमाल भी होने लगा है। हम आपको यहां बताएंगे ये पूरा धंधा कैसे चलता है। कैसे कोबरा और जहरीले सांपों से नशा कराने का खेल होता है। पुलिस तस्दीक करती है कि रेव पार्टियों में जहरीले सांपों के जहर को ड्रग्स के तौर पर लिया जाने लगा है। एल्विस यादव और पांच अन्य युवाओं के जिस रेव पार्टी में होने की जानकारी पुलिस को हासिल हुई। उसमें सांप के जहर की 20 मिलीलीटर मात्रा भी मिली। 09 सांप बरामद हुए, जिसमें 05 कोबरा, एक पायथन, दोमुंहा सांप और रेट स्नैक शामिल थे।

रेव पार्टियों में नशे के लिए कोबरा का प्रयोग

सबसे पहले तो ये जान लीजिए कि दिल्ली, नोएडा और आसपास जो रेव पार्टियां होती हैं, उसके आयोजकों के कनेक्शन ड्रग डीलर्स के साथ सांपों के ऐसे स्मगलर्स से जुड़ चुके हैं, जो इन पार्टियों में जहरीले सांप लेकर पहुंचते हैं। युवाओं को इसका नशा चखाते हैं। ये बहुत खतरनाक है। इसमें लोग अक्सर मर भी जाते हैं या पागल हो सकते हैं। पिछले साल दिल्ली पुलिस ने जब सांप तस्करों के एक गिरोह को पकड़ा तो पता लगा कि जहरीले सांपों का चलन नशे की रेव पार्टियों में होने लगा है। नशेड़ी युवा इसे आजमाने में पीछे नहीं। बताते हैं कि ये जितना जोखिम भरा है, उतना ही महंगा भी।

नशे का खतरनाक खेल

वाइल्ड लाइफ कंर्जवेटर मृदुल वैभव ने इस पूरी प्रक्रिया के बारे में बताया कि ये कैसे होता है। किस तरह इसमें नशा सिर चढ़कर बोलता है। मृदुल सक्रिय वाइल्ड लाइफ कंजरवेटर का काम कई सालों से कर रहे हैं। वो बताते हैं कि ये काम पहले पुष्कर में होता था, जहां हिप्पियों और नशेड़ियों को ऐसे नशे से रू-ब-रू कराया गया। उसके बाद इस नशे का खेल दिल्ली-एनसीआर की रेव पार्टियों तक पहुंच गया। इसके अलावा वह बताते हैं कि सांपों की चार कैटेगरी होती है – हीमोटॉक्सिक औऱ न्यूरोटॉक्सिक। इसमें दो कैटेगरी के सांप हीमोटॉक्सिक होते हैं, वो जहरीले नहीं होते। न्यूरोटॉक्सिल कैटेगरी के सांप जहरीले होते हैं।

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सीधे दिमाग पर अटैक करता है जहर

कोबरा और अन्य जहरीले सांप इसी न्यूरोटॉक्सिक कैटेगरी में आते हैं। जिनका दंश या काटना पहले सीधे दिमाग पर अटैक करता है। फिर जहर खून में फैलता है। इसके अलावा वो बताते हैं कि कोबरा जैसे सांप जब काटते हैं तो उनका पूरा विष जब शरीर में पहुंचता तो आदमी बहुत जल्दी दम तोड़ देता है। अगर यही विष कंट्रोल्ड तरीके से बहुत कम अंश में लिया जाए तो दिमाग में चढ़कर प्रचंड नशे की स्थिति में ला देता है। आदमी इसके नशे में एक अलग ही दुनिया में पहुंच जाता है।

एक्सपर्ट सपेरे दिलवाते हैं दंश

कोबरा से नशे के लिए दंश दिलाने का काम ना तो कोई कर सकता है और ना ही करा सकता है, ये काम बहुत पारंगत सपेरे या सांपों के एक्सपर्ट करते हैं। वो इन रेव पार्टियों में अपने जहरीले कोबरा सांपों के साथ पहुंचते हैं। इस नशे को देने की एवज में मोटा पैसा भी वसूलते हैं। इनसे वो कैसे कटाते हैं, ये जानना भी जरूरी है। आमतौर पर कोबरा या अन्य जहरीले सांपों के जरिए नशा लेने वाले की जीभ, होठों या हाथों या किसी हिस्से पर बहुत बारीक स्पर्श कराया जाता है। कह सकते हैं कि जहरीले सापों की जहर की तीव्रता का हजारवां या कुछ सौवां हिस्सा नशेड़ियों से जब टच भी होता है तो पहले दिमाग में अटैक करता है और फिर शरीर में दौड़ने लगता है।

नशा करने के बाद नहीं रह जाती चेतना

कई बार ये सीरिंज से भी विष को शरीर में इनसर्ट करते हैं। मृदुल बताते हैं कि दूसरे ड्रग्स की तुलना में मनुष्य जब कोबरा या जहरीले सांपों के विष से नशा करता है तो उसमें चेतना रह ही नहीं जाती। वह एक काल्पनिक दुनिया में विचरण करने लगता है। 08-10 घंटे उसी में गोता लगाते हुए खुद फंतासी बुनता है और उसी को असली समझ कर उसका आनंद लेता रहता है। बाकि सभी नशों में आमतौर पर चेतना बनी रहती है।

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सब कुछ भूल जाते हैं लोग

अंदाज रहता है कि आप क्या कर रहे हैं या आपके साथ क्या हो रहा है। समृदुल बताते हैं कि सांप के विष से नशा करने वाले कई लोगों से जब उनकी बात हुई तो उनमें से कुछ ने कहा कि ड्र्ग्स लेकर वो सबकुछ भूल गए। फिर क्या होता रहा, उसका उन्हें कुछ पता ही नहीं चला। कुछ ने कहा कि वो आनंद की अलग दुनिया में पहुंच गए, कुछ ने कहा कि वो सो गए। कुछ ने कहा उन्हें कुछ भी याद नहीं वो सब कुछ भूल गए।

10-12 घंटों तक रहता है असर

कुल मिलाकर ये नशा एक हेलोजेशन की स्थिति पैदा करता है। ये 10-12 घंटों तक रहता है। जब खून से बहुत हल्की मात्रा में आया ये विष साफ हो जाता है तो वो चेतना में लौट आते हैं। हालांकि ये बहुत खतरनाक है, ऐसा करते हुए कई बार नशेड़ी युवाओं के मरने या पागल होने की भी खबरें आई हैं। एक मामले में एक युवा इस खतरनाक नशे के बाद पैरालाइज हो गया था।

सांप का जहर इस्तेमाल करना कानूनी वैध?

कहीं से सांप का जहर लेना, अपने पास रखना या मनोरंजन के लिए इसका इस्तेमाल करना भारत समेत कई देशों में गैर-कानूनी है। ऐसा इसिलए है, क्योंकि इससे मौत होने की संभावना रहती है।

क्या सांप के जहर की लत लग सकती है?

सांप के जहर की लत को लेकर ज्यादा रिसर्च नहीं किया गया है। हालांकि, कहा जाता है कि इसका प्रभाव काफी गंभीर हो सकती है। इसके लकवा, रक्तस्राव और ऑर्गन फेल्यर जैसे दुष्प्रभाव होते हैं। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि सांप का जहर कोई लत नहीं है, लेकिन इसके बहुत ही गंभीर और नकारात्मक प्रभाव हो सकते हैं।

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एनाल्जेसिया क्या है?

कुछ सांपों के जहर में न्यूरोटॉक्सिन प्रकृति होती है, जो एनाल्जेसिया यानी किसी दर्द के एहसास को खत्म करने के लिए लिया होता है। एनाल्जेसिया ओपिओइड जैसे नशीले पदार्थों का ज्यादा गंभीर प्रभाव नहीं होता है और न ही इसको जानलेवा माना जाता है। यही कारण है कि इस पदार्थ को डॉक्टरों द्वारा दिया जाता है।

एल्विश ने क्या किया?

यूपी पुलिस ने पिछले साल नवंबर में सांप तस्करी रैकेट का भंडाफोड़ किया था, जिसमें सांप के जहर का सप्लाई करने के आरोप में चार सपेरों सहित पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया था। बाद में फोरेंसिक जांच में जब्त किए गए सैंपल में कोबरा और करैत प्रजाति के जहर के इस्तेमाल का खुलासा हुआ। पुलिस की कार्रवाई मेनका गांधी के एनजीओ पीपल फॉर एनिमल्स की शिकायत के बाद हुई। दरअसल, एनजीओ के एक सदस्य ने स्टिंग ऑपरेशन किया और सांप के जहर के लिए एल्विश से संपर्क किया था। हालांकि, उस समय एल्विश ने सभी आरोपों का खंडन किया था, लेकिन चल रही जांच के दौरान पुलिस को एल्विश का दो सांपों के साथ एक वीडियो मिला, जिसके बाद मामले में तेजी आ गई।

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vrinda

मैं वृंदा श्रीवास्तव One World News में हिंदी कंटेंट राइटर के पद पर कार्य कर रही हूं। इससे पहले दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण और नवभारत टाइम्स न्यूज पेपर में काम कर चुकी हूं। मुझसे vrindaoneworldnews@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।
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