ग्लेशियर टूटने से नहीं बर्फ पिघलने के कारण हुआ चमोली वाला हादसा
लगभग 202 लोगों को लापता होने की आशंका
रविवार का दिन उत्तराखंड के लिए एक तबाही बनकर आया. प्रदेश के चमोली जिले में ग्लेशियर टूटने के कारण कई लोगों की जान जा चुकी है. घटना के बाद ही राहत कार्य शुरु कर दिया गया है. सोमवार तक बचाव कार्य के दौरान चमोली जिला पुलिस ने 19 शव मिलने की पुष्टि की है. जबकि 202 लोगों के लापता होने की बात कही जा रही है. ग्लेशियर टूटने के कारण धौलीगंगा, ऋषिगंगा और अलंकनंदा नदियों में अचानक बाढ़ आ गया. अचानक गलेशियर टूटने के कारण एनटीपीसी के तपोवन-विष्णुगढ़ जल विद्युत प्रोजेक्ट और ऋषिगंगा जल विद्युत प्रोजेक्ट को भारी नुकसान हुआ है.
बचाव कार्य
बताया जा रहा है हादसे में 202 लोगों की लापता होने की संभावना है. उत्तराखंड पुलिस द्वारा जारी नोटिस के तहत अलग-अलग स्थानों से 19 लोगों की शवों को खोजा गया है. राहत बचाव कार्य में एनडीआरफी की टीम के अलावा आईटीबीपी की सेना, जल सेना, वायुसेना भी जुड़ी हुई है.
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Rescue operation underway in 2.5 km long tunnel. Problem lies with debris which's gradually being cleared. 27 people alive,11 dead,153 missing. Out of 153, 40-50 are stuck in tunnel. There's a possibility of remaining people being washed away in Uttarakhand: NDRF DG SN Pradhan pic.twitter.com/3IFn3PVlyC
— ANI (@ANI) February 8, 2021
एनडीआरएफ के डीजी एसएन प्रधान ने बताया है कि ढाई किलोमीटर लंबी सुरंग में राहत बचाव कार्य जारी है. जिसमें से 27 जिंदा लोगों को निकाला जा चुका है. 11 शव, 153 लोग लापता है. जबकि 40-50 लोग सुरंग में फंसे होने की आशंका है. आईटीबीपी की डीआईजी अपर्णा कुमार ने बताया है कि बड़ी सुरंग को 70 से 80 मीटर तक साफ कर दिया गया है. सुरंग की लंबाई 100 मीटर तक है. जिसमें 30-40 कर्मचारी फंसे हुए हैं. उन्हें निकालने के प्रयास जारी है. दूसरी सुरंग की तलाश जारी है. वहीं दूसरी ओर गृहमंत्रालय ने बताया है कि डीआरडीओ और एसएएसई की और एक टीम देहरादून के लिए रवाना हो गई है.
कल के हादसे में अभी तक लगभग 202 लोगों के लापता होने की सूचना है, वहीं 19 के शव अलग अलग स्थानों से बरामद किए गए है। शोक और दुःख की इस घड़ी में प्रशासन आपके साथ है, कृपया सहयोग बनाए रखें। राहत-बचाव कार्य त्वरित रूप से जारी है। @Ashokkumarips pic.twitter.com/jOVa65M175
— Uttarakhand Police (@uttarakhandcops) February 8, 2021
लोगों के बीच डर का माहौल
इस हादसे मे 17 गांव चपेट में आ गए हैं. बीबीसी से बात करते हुए डॉक्टर प्रदीप भारद्वाज ने बताया कि करीब 17 गांवों के लोगों ने भयानक मंजर देखा है. लोगों के बीच दहशत है. उस दृश्य के गवाह बने कुछ लोग भी ट्रॉमा में हैं. यहां के लोगों को चिकित्सीय मदद की जरुरत पड़ती है. मरीजों की स्थिति को बताते हुए वह कहते हैं इस हादसे के बाद कई लोग सदमे में हैं. एक महिला को मेरे पास इलाज के लिए लाया गया. जिनका ब्लड प्रेशर बढ़ा हुआ था. घटना से पहले वह अच्छी तरह से बोलती थी लेकिन इस घटना के बाद वह अच्छी तरह से बोल नहीं पा रही है.
ग्लेशियर टूटने से नहीं बर्फ पिछलने से आपदा
कल से लगातार यह बात कही जा रही है कि ग्लेशियर टूटने के कारण इतनी बड़ी तबाही हुई है. लेकिन ऐसा नहीं है. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बताया है कि यह हादसा ग्लेशियर टूटने की वजह से नहीं ब्लकि बर्फ पिछलने के कारण हुआ है. उन्होंने बताया कि बैठक के दौरान इसरो के साइंटिस्टस ने सेटेलाइट की पिक्चर से साफ कर दिया है कि यह आपदा ग्लेशियर टूटने की वजह से नहीं ब्लकि बर्फ पिघलने की कारण हुई है. बढ़ते तापमान और जलवायु परिवर्तन के कारण ऐसे हादसे हो रहे हैं.
राहत मदद
हादसे में जान गंवाने वालों को प्रधानमंत्री राहत कोष द्वारा दो लाख रुपये की मदद करने घोषणा की है. इसके साथ ही राज्य सरकार द्वारा राशन, माचिश दी गई है.
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