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जानें संविधान लागू होने से पहले किन अनुच्छेदों में बदलाव किया गया

पहला संविधान संशोधन 1951 में हुआ


किसी भी देश का सबसे मजबूत हिस्सा संविधान होता है. जो बिना किसी भेदभाव के नागरिकों क उनके अधिकारो देता है. जिससे की किसी की साथ किसी तरह का अन्याय न हो. हर साल 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाया जाता है. देश के अलग-अलग हिस्सों मे लोग अपने-अपने अंदाज में इसे मनाते हैं.

संविधान बनने में खर्च हुए 6.4 करोड़ रुपए

देश के आजाद होने के बाद इसे सुचारु रुप से चलाने के लिए संविधान की जरुर थी. जिसके लिए  साल 1946 में संविधान सभा का गठन किया गया. जिसके लिए 389 को चुना गया जिसमें से 296 लोगों का चुनाव किया है. जिसमें डॉ भीमराव अंबेडकर भी थे. जो आगे चलकर देश के  पहले कानून मंत्री बने. हमारा संविधान विश्व का सबसे बड़ा और लिखित संविधान है. जिसमें 448 अनुच्छेद, 12 अनुसूचियां और 94 संशोधन शामिल. इस पूरा करने में 2 साल 11महीने और 18 दिन लगे थे. जिसमें करीब 6.4 करोड़ रुपए खर्च हुए थे. जिसके प्रारुप के लिए 144 दिन बहस हुई थी.

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लागू होने से पहले ही हुए बदलाव

हम गणतंत्र दिवस 26 जनवरी को मानते हैं लेकिन संविधान दिवस को 26 नवंबर को क्यों? इसका जवाब है 26 नवंबर 1949 को संविधान बनकर तैयार हो गया था. जिसे बाद में 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया. लागू होने से पहले ही संविधान के अनुच्छेद 5,6,7,8,9, 324, 366, 367, 372, 380, 388, 391, 392, 393 को 26 नवंबर 1949 को ही परिवर्तित कर दिया था. लागू होने के बाद पहला संविधान संशोधन 1951 में हुआ था.

 

साल 2015 से मनाया जा रहा संविधान दिवस

संविधान दिवस अंबेडकरवादी और बौद्ध लोगों द्वारा लंबे समय से मनाया जा रहा है. लेकिन साल 2015 में पहली बार भारत सरकार द्वारा मनाया गया. इसे मनाने के पीछे का कारण यह था कि लोगों के बीच डॉ भीमराव अंबेडकर के विचारों और अवधाराओं का प्रसार किया जाए. ताकि लोग संविधान और अपने अधिकारों को जान पाएं. इसी दिन संविधान समिति के वरिष्ठ सदस्य डॉ सर हरीसिंह गौर का जन्मदिन भी होता है.

पहला संशोधन 1951 में हुआ

संविधान बनने के कुछ दिन बाद ही इसमें बदलाव की जरुरत महसूस हुई. संविधान का पहला संविधान 1951 में पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु द्वारा 10 मई 1951 को पेश किया गया. जिसे जून 1951 में संसद से पारित कर दिया गया. पहले संविधान संशोधन के तहत मौलिक अधिकारों में कुछ परिवर्तन किए गए और भाषण तथा अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार आम आदमी को दिया गया. इसके साथ ही समानता का अधिकार तथा जमींदारी उन्मूलन का कानून लगाया गया.

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