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जाने क्यों अब्दुल कलाम के जन्मदन पर मनाया जाता है विश्व  छात्र  दिवस, साथ  ही  जाने  उनका ऐतिहासिक योगदान

जाने विश्व छात्र दिवस और अब्दल कलाम के जन्मदिन के बीच संबंध


हर साल 15 अक्टूबर को विश्व छात्र दिवस मनाया जाता है. इससे मनाने की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र ने 2010 में की थी. इससे मनाने का मुख्य उद्देश्य बच्चों के बीच शिक्षा के महत्व और जीवन में उपयोगिता के प्रति बच्चों में जगरूकता फैलाना है. क्या आपको पता है विश्व छात्र दिवस और अब्दुल कलाम के जन्मदिन के बीच क्या संबंध है. अगर नहीं, तो कोई बात नहीं, आज हम आपको बतायेगे. हमारे देश में मिसाइलमैन के नाम से मशहूर व हमारे पूर्व राष्ट्रपति और महान वैज्ञानिक डॉ. अब्दुल  कलाम के जन्मदिन पर 2010 में पहली बार संयुक्त राष्ट्र ने विश्व छात्र दिवस मनाया था. संयुक्त राष्ट्र ने अब्दुल कलाम के जन्मदिन पर विश्व छात्र दिवस उनको सम्मानित करने के लिए मनाया था.

जाने कौन थे डा. अब्दुल कलाम

भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को रामेश्वरम में हुआ था. मिसाइलमैन के नाम से मशहूर अब्दुल कलाम हमारे देश के 11वें राष्ट्रपति थे. अब्दुल कलाम को बच्चों से खास लगाव था. उन्होंने अपना पूरा जीवन शिक्षा और विज्ञान के क्षेत्र को समर्पित कर दिया था. 1962 में ISRO से जुड़ने के बाद मिसाइलमैन यानि की अब्दुल कलाम ने सफलतापूर्वक कई उपग्रह प्रक्षेपण परियोजनाओं में अपनी एक विशेष भूमिका निभाई. इतना ही नहीं अब्दुल कलाम ने हमारे देश में पहले सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल को विकसित करने वाले प्रोजेक्ट में मुख्य डायरेक्टर के रूप में काम किया था.

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जाने डॉअब्दुल कलाम की उपलब्धियों के बारे में

1. अगर हम अपने पूर्व राष्ट्रपति डॉ. अब्दुल कलाम की उपलब्धियों की बात करें तो उनकी सबसे बड़ी  उपबलब्धि है कि उनके जन्मदिन के दिन संयुक्त राष्ट्र ने विश्व छात्र दिवस मनाने की घोषणा की थी.

2. डॉ. अब्दुल कलाम को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन में एक वैज्ञानिक के रूप में सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न, नागरिक पुरस्कार, पद्म भूषण और पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया.

3. डॉ. अब्दुल कलाम को भारत में मिसाइलमैन की उपाधि के साथ ही साथ एक सफल वैज्ञानिक और शिक्षक के रूप में भी जाना जाता है. अब्दुल कलाम बच्चों को प्रेरित करने वाला जीवंत और कर्मठ व्यक्ति थे.

डॉअब्दुल कलाम का सपना

डॉ. अब्दुल कलाम हमेशा से भारत को एक विश्व शक्ति के रुप में स्थापित देखना चाहते थे. भारत को विश्व शक्ति के रुप में स्थापित करने की शुरुआत उन्होंने 1998 में हुए परमाणु परीक्षण के साथ की. उसके बाद उनके नेतृत्व में दो और अग्नि और पृथ्वी नामक स्वदेशी मिसाइल का सफल परीक्षण हुआ. इतना ही नहीं अब्दुल कलाम भारत को प्राचीन काल की विरासत, ज्ञान और वैचारिक उन्नति के साथ वैज्ञानिकता का मेल करते हुए एक नए भारत की स्थापना करना चाहते थे.

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