Amar Jawan Jyoti : सालों पुरानी परंपरा का हो जाएगा आज अंत? क्या है अमर जवान स्मारक का इतिहास?
Amar Jawan Jyoti : 5 दशक से जलती आ रही इस ज्योत को आज कर दिया जाएगा विलीन। 1971 के शहीदो के लिए बनवाया गया था यह स्मारक
Highlights:
- Amar Jawan Jyoti To Get Merged: आज से नहीं जलेगी अमर जवान ज्योत?
- इन्दिरा गांधी ने किया था इस स्मारक का उदघाटन।
- क्यों होने जा रहा है इस सालों पुराने परंपरा में बदलाव?
Amar Jawan Jyoti : 50 साल तक जलने के बाद इंडिया गेट के लॉन में अमर जवान ज्योति की अखंड ज्योति हमेशा के लिए आज बुझ जाएगी। गणतंत्र दिवस से कुछ दिन पहले आज एक कार्यक्रम में मशाल को अब राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की ज्योत में मिला दिया जाएगा।
आज एयर मार्शल बालाबदरा राधा कृष्ण, एकीकृत रक्षा स्टाफ के प्रमुख, सेवारत चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की अनुपस्थिति में राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर अमर जवान ज्योति की ज्वाला को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के शाश्वत लौ के साथ मिलाएंगे।
साउथ ब्लॉक के अधिकारियों के अनुसार, आग की लपटों का विलय एक विस्तृत समारोह में किया जाएगा, जो सीआईएससी के इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति पर आगमन के साथ दोपहर 3:30 बजे शुरू होगा। लौ को मशाल के रूप में राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर गार्ड दल के साथ ले जाया जाएगा और फिर दोनों लपटों को मिला दिया जाएगा।
इतिहास
अमर जवान ज्योति एक भारतीय स्मारक है जो 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान भारतीय सशस्त्र बलों के शहीद और अज्ञात सैनिकों की स्मृति में बनवाया गया था। इसे दिसंबर 1971 में बनाया गया था और 1972 में इंदिरा गांधी द्वारा नई दिल्ली के राजपथ पर इंडिया गेट के तहत उद्घाटन किया गया था।
भारतीय सशस्त्र बलों के सभी ज्ञात शहीदों को उनके नाम से सम्मानित करने के लिए राष्ट्रीय युद्ध स्मारक को स्थापित किया गया था। सारे शहीदो के नाम इस स्मारक पर सोने से अंकित किए गए है। यह स्मारक फरवरी 2019 में पूरा हुआ और 25 फरवरी को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इसका उद्घाटन किया गया और जवानों की शाश्वत लौ को प्रज्वलित किया गया था।
अमर जवान का स्मारक संगमरमर से बना है, जिस पर एक कब्र है। स्मारक के चारों तरफ “अमर जवान” सोने में लिखा गया है और शीर्ष पर, एक एल 1 ए 1 सेल्फ-लोडिंग राइफल अपने बैरल पर हेलमेट के साथ खड़ी है। आसन चार कलशों से बंधा हुआ है, जिनमें से एक में लगातार ज्योत उद्घाटन से अब तक जलती हुई आ रही है।
क्यों होने जा रहा है सालों पुराने परंपरा में बदलाव?
दोनो ज्वालाओं को मिलाने का निर्णय इसलिए लिया गया है क्योंकि दो युद्ध स्मारक एक दूसरे के निकट नहीं हो सकते हैं। राष्ट्रीय युद्ध स्मारक स्वतंत्र भारत और शाश्वत सैनिक का प्रतिनिधित्व करता है। इस स्मारक में शहीदों के नाम हैं जिन्होंने विभिन्न अभियानों में अपनी जान गंवाई है सन 1947-48 के पाकिस्तान के साथ युद्ध से लेकर गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ संघर्ष तक और आतंकवाद विरोधी अभियानों में जान गंवाने वाले सैनिकों के नाम भी इस स्मारक में शामिल हैं।
एक तर्क यह भी दिया जा रहा है की चूंकि देश के शहीदों के लिए राष्ट्रीय युद्ध स्मारक बनाया जा चुका है, इसलिए इंडिया गेट पर एक अलग लौ क्यों जलाई जानी चाहिए और यह फैसला तब लिया जा रहा है जब दोनो लपटों का रख-रखाव कठिन होता जा रहा है।
विपक्षी दल के नेता से लेकर आम नागरिको में भी सरकार के इस फैसले पर नाराजगी देखी जा सकती है।
कॉंग्रेस के राहुल गांधी ने ट्वीट कर लिखा, “यह दुख की बात है की ज्योत को बुझाया जा रहा है, मगर हम अपने सैनिको के लिए इसे एक बार फिर जलाएंगे ।“
बहुत दुख की बात है कि हमारे वीर जवानों के लिए जो अमर ज्योति जलती थी, उसे आज बुझा दिया जाएगा।
कुछ लोग देशप्रेम व बलिदान नहीं समझ सकते- कोई बात नहीं…
हम अपने सैनिकों के लिए अमर जवान ज्योति एक बार फिर जलाएँगे!— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) January 21, 2022
वही रेडियो की दुनियां में कहानियाँ सुनाने वाले मशहूर नीलेश मिसरा ने भी अपनी भावनाओ को व्यक्त करते हुये इस ज्योत को अपने बचपन से जोड़ा और कहा वह हर साल इसे 26 जनवरी के दिन देखा करते थे।
I hope you know that I am talking about that flame that I have watched every Jan 26 since my childhood. If you don’t know what someone like me feels about the extinguishing of the flame, “not much of a difference” to me. 🙏🏼 https://t.co/FpMElY73Jy
— Neelesh Misra (@neeleshmisra) January 20, 2022
इन सारी अटकलो के बीच सरकार के हवाले से कहा जा रहा है कि दिल्ली के इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति की लौ बुझाई नहीं जा रही है बस केवल राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की लौ में विलीन हो रही है।
Thread
There is a lot of misinformation circulating regarding the flame of the Amar Jawan Jyoti.
Here is the correct perspective:
The flame of the Amar Jawan Jyoti is not being extinguished. It is being merged with the flame at the National War Memorial. 1/n pic.twitter.com/7ZGSCZeZP8
— Sambit Patra (@sambitswaraj) January 21, 2022
सरकार का यह स्पष्टीकरण उन खबरों के बीच आया है जिसमें कहा गया था कि 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान शहीद हुए सैनिकों की याद में जलाई गई अमर जवान ज्योति की चिराग को 50 साल बाद बुझाया दिया जाएगा।
सरकार का मानना है की अमर जवान स्मारक पर किसी शहीद का नाम वहां मौजूद नहीं हैऔर इंडिया गेट पर अंकित नाम केवल कुछ शहीदों के ही हैं । जिन्होंने प्रथम विश्व युद्ध और एंग्लो-अफगान युद्ध में अंग्रेजों के लिए लड़ाई लड़ी थी इसलिए श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए 1971 और उसके पहले और बाद के युद्धों सहित सभी युद्धों के सभी भारतीय शहीदों के नाम राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में रखे गए हैं।
Conclusion: 5 दशक से अभी अधिक पुरानी चलती आ रही परंपरा का आज अंत होने जा रहा है। कल से अमर जवान के स्मारक पर 1971 से जलती आ रही ज्योत नहीं देखी जा सकेगी। इस ज्योत को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की लौ में आज विलीन कर दिया जाएगा। सरकार के इस निर्णय से कुछ नागरिक अपनी नाराजगी व्यक्त कर रहे है जिनमे विपक्षी दल के नेता बढ़ चल कर बोल रहे है। सरकार ने अपने हवाले से जानकारी देते हुये कहा है की ज्योत को बुझाया नहीं जा रहा है बल्कि उसे राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में शरद्धांजली के तौर में विलीन कर दिया जाएगा। इस स्मारक का उदघाटन प्रधान मंत्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी ने वर्ष 2019 में किया था।