World Prematurity Day: प्रीमैच्योर बेबी के लिए आशा और सुरक्षा का संदेश, विश्व समयपूर्व जन्म दिवस
World Prematurity Day, हर साल 17 नवंबर को विश्व समयपूर्व जन्म दिवस (World Prematurity Day) मनाया जाता है।
World Prematurity Day : हर बच्चा है अनमोल, जानें विश्व समयपूर्व जन्म दिवस का महत्व और उद्देश्य
World Prematurity Day, हर साल 17 नवंबर को विश्व समयपूर्व जन्म दिवस (World Prematurity Day) मनाया जाता है। यह दिन उन शिशुओं के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए समर्पित है जो समय से पहले यानी गर्भावस्था के 37वें सप्ताह से पहले जन्म लेते हैं। ऐसे बच्चों को “प्रीमैच्योर बेबी (Premature Baby)” कहा जाता है। यह दिन माता-पिता, स्वास्थ्यकर्मियों और समाज को इस विषय पर जागरूक करने का अवसर प्रदान करता है ताकि हर शिशु को जीवन की सही शुरुआत मिल सके।
समयपूर्व जन्म क्या होता है?
सामान्य रूप से एक बच्चे का जन्म गर्भावस्था के 37 से 40 सप्ताह के बीच होता है। लेकिन जब कोई शिशु 37वें सप्ताह से पहले जन्म लेता है, तो उसे समयपूर्व जन्म (Premature Birth) कहा जाता है। ऐसे शिशु शारीरिक रूप से पूरी तरह विकसित नहीं होते, इसलिए उन्हें सांस लेने, दूध पीने, शरीर का तापमान बनाए रखने और संक्रमण से बचने में कठिनाई होती है।
समयपूर्व जन्म को चिकित्सकीय रूप से तीन श्रेणियों में बाँटा गया है —
- Moderate Preterm (32–36 सप्ताह)
- Very Preterm (28–32 सप्ताह)
- Extremely Preterm (28 सप्ताह से पहले)
जितना जल्दी शिशु जन्म लेता है, उतना ही उसका जीवन जोखिम में होता है और उतनी अधिक देखभाल की आवश्यकता होती है।
विश्व समयपूर्व जन्म दिवस का इतिहास
विश्व समयपूर्व जन्म दिवस की शुरुआत वर्ष 2008 में हुई थी। इसकी पहल जर्मनी की एक संस्था “European Foundation for the Care of Newborn Infants (EFCNI)” ने की थी। इसका उद्देश्य था उन लाखों परिवारों की आवाज़ को दुनिया तक पहुँचाना जिनके बच्चे समय से पहले जन्म लेते हैं। पहली बार 17 नवंबर 2011 को इसे वैश्विक स्तर पर मनाया गया। तब से यह दिन हर साल दुनियाभर में मनाया जाता है, जिसमें स्वास्थ्य संगठनों, अस्पतालों, डॉक्टरों और सामाजिक संस्थाओं द्वारा विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
इस दिवस का महत्व
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, हर साल लगभग 1.5 करोड़ बच्चे दुनिया भर में समयपूर्व जन्म लेते हैं, जिनमें से लगभग 10 लाख बच्चों की मृत्यु शुरुआती दिनों में हो जाती है। इनमें से अधिकांश मौतें रोकी जा सकती हैं यदि समय पर सही देखभाल और उपचार मिले।
इस दिन का मुख्य उद्देश्य है:
- समयपूर्व जन्म के कारणों और जोखिमों के बारे में जागरूकता फैलाना।
- समाज को यह समझाना कि ऐसे बच्चों को विशेष देखभाल और प्यार की जरूरत होती है।
- माताओं को स्वास्थ्य संबंधी शिक्षा देना ताकि प्रीमैच्योर जन्म की संभावना को कम किया जा सके।
- स्वास्थ्य संस्थानों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए प्रेरित करना।
समयपूर्व जन्म के प्रमुख कारण
समयपूर्व जन्म कई कारणों से हो सकता है, जिनमें प्रमुख हैं —
- माँ के स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएँ जैसे उच्च रक्तचाप, डायबिटीज़, संक्रमण या थायरॉइड।
- कुपोषण या असंतुलित आहार।
- तनाव और मानसिक दबाव।
- गर्भ में एक से अधिक भ्रूण (जुड़वां या ट्रिपलेट्स) होना।
- धूम्रपान, शराब या नशीले पदार्थों का सेवन।
- पिछले गर्भ का समयपूर्व समापन या गर्भपात का इतिहास।
- गरीबी और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी।
इनमें से अधिकांश कारणों को उचित देखभाल और समय पर इलाज से रोका जा सकता है।
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प्रीमैच्योर शिशुओं की देखभाल
समयपूर्व जन्मे शिशुओं की देखभाल सामान्य बच्चों की तुलना में अधिक नाजुक होती है। उनकी विशेष आवश्यकताएँ होती हैं, जैसे —
- इन्क्यूबेटर (Incubator) में उन्हें रखना ताकि शरीर का तापमान स्थिर रहे।
- माँ के दूध की नियमित आपूर्ति, क्योंकि यह संक्रमण से सुरक्षा देता है।
- साफ-सफाई और संक्रमण से बचाव का विशेष ध्यान।
- कंगारू मदर केयर (KMC) यानी माँ के सीने से लगाकर गर्माहट देना — यह बच्चों की जान बचाने में अत्यंत सहायक साबित हुआ है।
- नियमित स्वास्थ्य जांच और टीकाकरण।
ऐसी देखभाल से प्रीमैच्योर बच्चों के जीवित रहने की संभावना बहुत बढ़ जाती है।
विश्व समयपूर्व जन्म दिवस की थीम (Theme)
हर वर्ष इस दिवस की एक थीम होती है जो इस समस्या के किसी विशेष पहलू पर ध्यान केंद्रित करती है।
उदाहरण के लिए, 2024 की थीम थी – “Small actions, BIG IMPACT: Immediate skin-to-skin care for every baby everywhere”, यानी “छोटे कदम, बड़ा असर – हर बच्चे को तुरंत त्वचा से त्वचा का संपर्क।”
यह थीम इस बात पर जोर देती है कि नवजात को तुरंत माँ के संपर्क में लाना उसकी सेहत और जीवन रक्षा के लिए अत्यंत आवश्यक है।
भारत में स्थिति और प्रयास
भारत में भी हर साल लाखों बच्चे समयपूर्व जन्म लेते हैं। ग्रामीण और गरीब इलाकों में यह समस्या अधिक देखने को मिलती है। सरकार और स्वास्थ्य संस्थाएँ इस दिशा में लगातार कार्य कर रही हैं —
- जननी सुरक्षा योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान जैसे कार्यक्रम गर्भवती महिलाओं की देखभाल पर केंद्रित हैं।
- कंगारू मदर केयर केंद्रों और नवजात गहन चिकित्सा इकाइयों (NICU) की स्थापना से नवजात मृत्यु दर में कमी आई है।
- एएनएम और आशा कार्यकर्ताओं के माध्यम से गर्भवती महिलाओं को जागरूक किया जा रहा है।
विश्व समयपूर्व जन्म दिवस हमें यह याद दिलाता है कि हर शिशु, चाहे वह समय से पहले जन्मा हो या बाद में, उसे जीवन का पूरा अधिकार है। हमें समाज में यह संदेश फैलाना चाहिए कि प्रीमैच्योर बच्चों को विशेष देखभाल और प्यार की आवश्यकता होती है, न कि दया या दूरी की।
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