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Protein Supplements: प्रोटीन पाउडर लेने से आ सकता है आपको हार्ट अटैक, मानें एक्सपर्ट्स की सलाह

इन दिनों हर कोई फिट और हेल्दी रहने के लिए कई तरीके अपना रहा है। प्रोटीन सप्लीमेंट का इस्तेमाल इन्हीं में से एक है जो आजकल लोगों खासकर युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय हो चुका है। संतुलित भोजन की भरपाई करने और स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने में प्रोटीन सप्लीमेंट गुणकारी तो है लेकिन यदि इसमें मिलावट हो तो यह जोखिम भी बन सकता है।

Protein Supplements: प्रोटीन सप्लीमेंट हो सकता है हानिकारक, शरीर के लिए बेहतर खानपान और व्यायाम जरूरी


Protein Supplements:प्रोटीन सप्लीमेंट को लोग इसलिए लेते हैं ताकि शरीर में इसकी कमी खत्म हो जाए और शरीर में ताकत बढ़े लेकिन क्या होगा यदि आपका प्रोटीन सप्लीमेंट फायदा पहुंचाने की जगह बीमार ही कर दें। दरअसल, मेडिसीन जर्नल में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रोटीन सप्लीमेंट में इतने ज्यादा टॉक्सिन होते हैं कि यदि आपको पता चल जाए तो आप माथा पीट लेंगे। रिसर्च में भारत में उपलब्ध 36 प्रोटीन सप्लीमेंट का लैब टेस्ट किया गया जिनमें कई तरह के टॉक्सिन, पेस्टीसाइड और हैवी मेटल पाया गया। यहां तक कि इनमें खतरनाक लेड, आर्सेनिक और क्रोमियम जैसे तत्व भी मिले।

क्यों जरूरी है प्रोटीन

प्रोटीन पाउडर कई तरह के होते हैं। बेसिक प्रोटीन सप्लीमेंट जो मरीजों को दिया जाता है, उसे व्हे प्रोटीन कहते हैं, जो गेहूं से तैयार होता है। यह उच्च गुणवत्ता का प्रोटीन सप्लीमेंट होता है। अच्छी फार्मा कंपनियां इसे तैयार करती हैं और सेवन के लिए यह बेहतर होता है। आमतौर पर जो मरीज सही ढंग से भोजन नहीं ले पाते हैं या जिन्हें ट्यूब से खाना दिया जाता है, उनके लिए प्रोटीन सप्लीमेंट का सहारा लिया जाता है। दूसरा, आज बहुत सारे लोग खासकर युवा बाडी बिल्डिंग के लिए प्रोटीन सप्लीमेंट लेते हैं।

प्रोटीन का कितना सेवन जरूरी

आमतौर पर डाक्टर किसी मरीज को प्रतिदिन 60 से 80 ग्राम प्रोटीन सप्लीमेंट के सेवन का परामर्श देते हैं। प्रयास होता है कि मरीज की 1800 कैलोरी की आवश्यकता पूरी हो। व्हे प्रोटीन को दूध में घोलकर पीने से उसकी कैलोरी वैल्यू और बढ़ जाती है। जो बेहोशी की स्थिति में हैं या जिन मरीजों को ट्यूब से भोजन दिया जाता है। उनके लिए प्रोटीन की मात्रा अलग से निर्धारित होती है।

सप्लीमेंट हो सकता है हानिकारक

बाडी बिल्डिंग के लिए प्रयोग में लाए जाने वाले प्रोटीन सप्लीमेंट में कई बार समस्या आती है, क्योंकि इसमें स्टेरायड और अन्य चीजें मिला दी जाती हैं। खासकर जिम में प्रयोग होने वाले प्रोटीन सप्लीमेंट को लेकर लोगों को पर्याप्त जानकारी नहीं होती। एक-दो महीने में शरीर आकर्षक बनाने की जिद कई बार स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित होती है। हालांकि, इस तरह के प्रोटीन सप्लीमेंट के प्रयोग से 90 प्रतिशत लोगों को कोई गंभीर प्रभाव नहीं होता, लेकिन 10 प्रतिशत में लिवर डैमेज होने की प्रबल आशंका रहती है।

बेहतर खानपान और व्यायाम जरूरी

जल्दी शरीर बनाने की चाहत में कई बार धोखा हो जाता है। यह बिल्कुल वैसा ही है, जिस तरह छह महीने में पैसे डबल करने के चक्कर में लोग धोखा खा जाते हैं। वैसे ही, मांसपेशियों को तीन महीने में दोगुना करना संभव नहीं है। इसके लिए निरंतर बेहतर खानपान और पर्याप्त व्यायाम करना होता है। जिम करने वाले प्रोटीन सप्लीमेंट की उचित मात्रा का ध्यान नहीं रखते और ना ही किसी चिकित्सक से परामर्श लेते हैं। इससे भी समस्या बढ़ती है।

असुरक्षित सेवन से लिवर को खतरा

असुरक्षित प्रोटीन के प्रयोग से सबसे समस्या बड़ी समस्या लिवर डैमेज की होती है। अगर अन्य किसी तरह की मिलावट होगी, तो शरीर के अन्य अंगों को भी प्रभावित कर सकती है। कई आयुर्वेदिक दवाओं या भस्म आदि के नाम पर भी विषाक्त तत्वों का सेवन नुकसानदेह हो सकता है। इसमें लेड, आर्सेनिक जैसे हानिकारक तत्व हो सकते हैं।

हर आयु वर्ग के लिए अलग-अलग मात्रा

वजन के हिसाब से प्रति किलोग्राम पर एक ग्राम प्रोटीन का सेवन करना चाहिए यानी अगर कोई 70 किलो का व्यक्ति है तो 60-70 ग्राम तक प्रोटीन ले सकता है।

बच्चों को, खासकर जिनके शरीर का विकास हो रहा है, उन्हें अधिक प्रोटीन की जरूरत होती है। मांसपेशियों, हड्डियों के विकास के साथ प्रोटीन की आवश्यकता बढ़ती है।

गर्भवती महिलाओं को उनकी जरूरत के हिसाब से डाक्टर प्रोटीन सप्लीमेंट की मात्रा निर्धारित करते हैं।

बीमार होने पर भी प्रोटीन की आवश्यकता बढ़ जाती है।

प्रोटीन के प्राकृतिक स्रोत

क्लास-1 प्रोटीन- दूध, दही, पनीर, अंडा, मीट (मछली, चिकन आदि)

क्लास-2 प्रोटीन- काले चने की दाल, सोयाबीन, राजमा और अन्य दलहन।

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सोयाबीन एक अच्छा स्रोत

सोयाबीन का पनीर बहुत उपयोगी है, हालांकि यह भारत में उतना प्रचलित नहीं है। जापान, चीन और पूर्वी एशिया में सोया पनीर खाने का चलन है। उसे टोफू कहते हैं, उसमें प्रोटीन प्रचुर मात्रा में पाई जाती है। शाकाहारी लोगों के लिए यह एक अच्छा विकल्प है। ध्यान रखें किसी सब्जी में प्रोटीन नहीं होता, सब्जी खाने से इसकी भरपाई नहीं होगी। प्रोटीन के लिए दाल, अंडे आदि का सेवन करना होगा।

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