Hypomenorrhea: पीरियड्स में हो रही कम ब्लीडिंग? हाइपोमेनोरिया हो सकता है कारण, ऐसे करें बचाव
Hypomenorrhea: पीरियड्स के दौरान कम ब्लीडिंग एक चिंता का विषय है, जिसे Hypomenorrhea कहते हैं। जानते हैं किन वजहों से होती है यह समस्या, इसके लक्षण और उपचार से कुछ जुड़ी जरूरी बातें।
Hypomenorrhea: अचानक क्यों कम हो जाता है पीरियड फ्लो? इन तरीकों को अपनाकर पाएं छुटकारा
हर महिला के पीरियड हैवी या बहुत दिनों तक नहीं होते। कुछ महिलाओं को हल्के पीरियड और कम दिनों के लिए भी पीरियड होते हैं। हर किसी के पीरियड एक जैसे तकलीफदेह भी नहीं होते। पर इनमें अचानक किसी भी तरह का बदलाव चिंताजनक हो सकता है। अगर आपके पीरियड अचानक बहुत हल्के (Scanty periods) हो गए हैं, तो यह शरीर में हो रहे बदलाव का संकेत है। इसलिए जरूरी है इसके कारणों को समझना। ताकि आप अपने स्वास्थ्य पर समय रहते ध्यान दे सकें।
आज कल खान पान में काफी बदलाव हो गया है, जिसकी वजह से पीरियड साइकल अनियमित होने लगी है। जंक, प्रोसेस्ड फूड, पैक्ड फूड भी आपकी सेहत पर भारी असर डालता है। आपको जानकर हैरानी होगी, पर यह सच है कि बढ़ा हुआ स्क्रीन टाइम भी आपकी मेंस्ट्रुअल हेल्थ को नुकसान पहुंचा रहा है।
कई बार तनाव, अपर्याप्त नींद या खराब लाइफस्टाइल भी आपकी मेंस्ट्रुअल हेल्थ को प्रभावित कर सकता है। पीरियड्स के दौरान कम ब्लीडिंग एक चिंता का विषय है, जिसे Hypomenorrhea कहते हैं। जानते हैं किन वजहों से होती है यह समस्या, इसके लक्षण और उपचार से कुछ जुड़ी जरूरी बातें।
Hypomenorrhea के कारण
हार्मोनल असंतुलन (Hormonal Imbalance)
एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन के लेवल में उतार-चढ़ाव से एंडोमेट्रियल लाइनिंग का सही तरीक से डेवलपमेंट नहीं हो पाता, जिसकी वजह से पीरियड्स हल्के होते हैं।
थायराइड डिसऑर्डर (Thyroid Disorder)
थायराइड डिस्फंक्शन, जैसे हाइपोथायरायडिज्म या हाइपरथायरायडिज्म के चलते भी मेंस्ट्रुअल साइकल में प्रॉब्लम्स देखने को मिलती है, जिससे हाइपोमेनोरिया की समस्या हो सकती है।
पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम
PCOS एक हार्मोनल डिसऑर्डर है जिसकी वजह से अनियमित पीरियड्स, ओवेरियन अल्सर और हार्मोनल असंतुलन की समस्या होती है और इन सबके होने पर अक्सर हाइपोमेनोरिया होता है।
बहुत ज्यादा एक्सरसाइज़ करना
बहुत ज्यादा फिजिकल एक्टिविटी खासतौर से एथलीट्स या रिगोरस ट्रेनिंग करने वाली महिलाओं में हार्मोन प्रोडक्शन और मेंस्ट्रुअल रेगुलेरिटी (पीरियड्स की नियमितता) बाधित हो सकती है, जिसके परिणामस्वरूप हल्के पीरियड्स आ सकते हैं।
स्ट्रेस (Stress)
क्रोनिक स्ट्रेस हाइपोथैलेमिक-पिट्यूटरी-एड्रेनल (HPA) फंक्शन में दिक्कतें पैदा कर सकता है, जिससे हार्मोन का लेवल और मेंस्ट्रुअल साइकल डिस्टर्ब हो सकता है।
Hypomenorrhea की रोकथाम
लाइफस्टाइल और आदतों में कुछ जरूरी बदलावों से इससे काफी हद तक छुटकारा पाया जा सकता है।
बैलेंस्ड डाइट लें
विटामिन, मिनरल्स से भरपूर डाइट हार्मोनल संतुलन और प्रजनन स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने के लिए जरूरी होता है। फल, सब्जियां, साबुत अनाज, लीन प्रोटीन और हेल्दी फैट वाली डाइट लेने से हाइपोमेनोरिया की प्रॉब्लम तो दूर होती ही है, साथ ही हेल्थ भी अच्छी रहती है।
नियमित एक्सरसाइज करें
रोजाना थोड़ी देर की फिजिकल एक्टिविटी से शरीर में ब्लड का सर्कुलेशन सही तरह से होता है। इससे तनाव कम होता है और हार्मोनल एक्टिविटीज को रेगूलेट करने में भी मदद मिलती है। मीडियम एक्सरसाइज, जैसे तेज़ चलना, स्वीमिंग या योग आदि करने से पीरियड्स से जुड़ी दिक्कतें दूर हो सकती हैं।
स्ट्रेस से दूर रहें
क्रोनिक स्ट्रेस हार्मोन संतुलन और पीरियड साइकल को बाधित कर सकता है। मेडिटेशन, ब्रीदिंग एक्सरसाइज़ और माइंडफुलनेस जैसी स्ट्रेस मैनेजमेंट तकनीकों को अपनाकर तनाव को आसानी से कम किया जा सकता है।
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वजन कंट्रोल रखें
वजन में बहुत ज्यादा उतार-चढ़ाव हार्मोन के स्तर और पीरियड्स की नियमितता पर ख़राब प्रभाव डाल सकता है। सही डाइट और नियमित एक्सरसाइज़ के जरिए वजन को कंट्रोल में रखा जा सकता है और सेहतमंद रहा जा सकता है।
हाइपोमेनोरिया प्रजनन स्वास्थ्य और समग्र कल्याण पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है। इसलिए इसकी समय रहते पहचान कर इलाज जरूरी है।
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