Brown rice health benefits : क्या आपको वाइट राइस को करना चाहिए ब्राउन राइस से रिप्लेस, यहाँ जाने एक्सपर्ट की राय
Brown Rice Health Benefits -जानें ब्राउन राइस को अपने खाने मे इंक्लूड
Brown rice health benefits: भारत मे चावल थाली का सबसे महत्वपूर्ण अन्न है । पूर्व और दक्षिण भारत में किसी भी शुभ काम में चावल को रखा जाता है। भारत के कई हिस्सों मे खाना तब तक पूरा नहीं होता जब तक उसमे चावल शामिल न हो। चावल में बहुत सारे पोषक तत्व पाए जाते हैं इसलिए दिन मे एक बार चावल खाने चाहिए। लेकिन हम से बहुत सारे लोग खाने से पहले सोचते हैं। उन्हें लगता है कि चावल खाने से वह मोटे हो जाएंगे। इसके लिए वह कौन से चावल खाएं। चावल में बहुत कार्बोहाइड्रेट और फाइबर पाया जाता है। जो सेहत के लिए फायदेमंद है।
आइये जानते हैं नूट्रिशनिस्ट भुवन रस्तोगी की क्या हमें वाइट राइस को ब्राउन राइस से रिप्लेस करना चाहिए? क्या होते है ब्राउन राइस के फायदे?
कुछ दिन पहले ही भुवन रस्तोगी नूट्रिशनिस्ट भुवन रस्तोगी ने अपने इंस्टाग्राम पेज पर एक पोस्ट शेयर की थी। जिसमें उन्होंने ब्राउन राइस से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्यों को शेयर किया है। जिसके अनुसार इसे आपको डेली डाइट में शामिल करना चाहिए। उन्होंने बताया कि सभी व्हाइट राइस पॉलिश किए जाने किए जाने के पहले ब्राउन ही होते हैं। बिना पॉलिश किए गए चावल ही ब्राउन राइस के नाम से बेचे जाते हैं। वह बताते हैं कि ब्राउन चावल साबुत अनाज होता है।
वहीं दूसरी ओर व्हाइट राइस को आप तक पहुंचने से पहले प्रोसेस्ड किया जाता है। जब चावल के दाने को पॉलिश किया जाता है। तो इससे चोकर और अंकुर का हिस्सा निकाल दिया जाता है। चावल का अंकुरित भाग वो हिस्सा होता है। जिसमें खूब सारा मिनरल और चोकर में भरपूर फाइबर होता है। पॉलिश के बाद व्हाइट राइस से फाइबर, विटामिन और मिनरल्स निकल जाते हैं।
महत्वपूर्ण जानकारियां
उन्होंने अपने पोस्ट में और भी महत्वपूर्ण जानकारियां शेयर की है। जिसके अनुसार पके हुए सफेद चावल का ग्लाइसेमिक इंडेक्स 70 से ज्यादा और ब्राउन राइस का लगभग 50 है। इसका मतलब है कि व्हाइट राइस की तुलना में ब्राउन राइस ब्लड ग्लूकोज का स्तर ज्यादा नहीं बढ़ता है और डायबिटीज के मरीजों के लिए ये बेहतर विकल्प है। भले ही यह डायबिटीज के लिए अच्छा है। फिर भी फाइबर की कमी पर ध्यान देने की जरूरत है।
कई लोग खाने में सिर्फ सफेद चावल खाना पसंद करते हैं जिससे शरीर में फाइबर की जरूरी मात्रा नहीं पहुंच पाती है। इसलिए हमें अपनी डाइट में कुछ भी शामिल नहीं करना चाहिए जिसमें सिर्फ कैलोरी और कोई भी पोषक तत्व ना हो।
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बताया इतिहास के बारे में
अपने पोस्ट के अंत में भुवन बताते हैं कि 1900 के दशक की शुरुआत में बेरीबेरी बीमारी ब्राउन राइस की तुलना में ज्यादा व्हाइट राइस खाने की वजह से फैलना शुरु हुई थी। क्योंकि इसकी वजह से लोगों में विटामिन B1 की कमी हो गई। खासतौर पर उन लोगों में जिनका मुख्य भोजन चावल होता था। इसलिए व्हाइट राइस की जगह ब्राउन राइस को प्राथमिकता देना हेल्थ ट्रेंड नहीं है, ब्लकि ये एक तरह से अपनी जड़ों में वापस लौटाने जैसा है, जहा हम कम प्रोसेस्ड वाला चावल खाते हैं।
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ब्राउन राइस के फायदे
1- कॉलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करता है। जिससे हार्ट अटैक की संभावना कम हो जाती है।
2- ब्राउन राइस में फाइबर पाया जाता है। जो आपके वजन को कम करने में मददगार होता है।
3- हड्डियों को तंदुरुस्त रखता है। क्योंकि इसमें भरपूर मात्रा में मैग्नीशियम पाया जाता है। जो हड्डियों के लिए फायदेमंद है।
4- ब्राउन राइस में एन्टी ऑक्सीडेंट तत्व पाए जाते हैं। जो आपकी सांस सम्बन्धित परेशनियों में बेहद फ़ायदेमंद है।
5- पित्ताशय की पथरी में भी सबूत अनाज खाने की सलाह दी जाती है।
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