सेहत

Air Pollution: बढ़ते प्रदूषण में रेस्पिरेटरी सिस्टम को रखिए हैल्थी

पिछले कुछ दिनों में दिल्ली- मुंबई समेत कई राज्यों में प्रदूषण बढ़ता हुआ नज़र आ रहा है। दशहरा के बाद दिल्ली में वायु की क्वालिटी बहुत ख़राब श्रेणी में दर्ज़ की गई है। बढ़ते प्रदूषण में लोगो का सांस लेना मुश्किल हो गया है। इतनी प्रदूषित वायु में सांस लेने से हमारे स्वशन प्रणाली पर भी बुरा असर पड़ रहा है। गले में खरास, खांसी और सीने में दर्द जैसी समस्या का सामना करना पड़ रहा है।

Air Pollution: किचन में मौजूद ये जड़ी बूटियां, जो रखेगी आपके रेस्पिरेटरी सिस्टम को हैल्थी 


पिछले कुछ दिनों में दिल्ली- मुंबई समेत कई राज्यों में प्रदूषण बढ़ता हुआ नज़र आ रहा है। दशहरा के बाद दिल्ली में वायु की क्वालिटी बहुत ख़राब श्रेणी में दर्ज़ की गई है। बढ़ते प्रदूषण में लोगो का सांस लेना मुश्किल हो गया है। इतनी प्रदूषित वायु में सांस लेने से हमारे स्वशन प्रणाली पर भी बुरा असर पड़ रहा है। गले में खरास, खांसी और सीने में दर्द जैसी समस्या का सामना करना पड़ रहा है। 

ऐसे समय में ये आवश्यक है कि हम अपनी सेहत का ध्यान रखे। इसलिए आज हम आपको बताने जा रहे है हमारे किचन में मौजूद ये असरदार जड़ी बूटियां जिसका सेवन आपको और आपके रेस्पिरेटरी सिस्टम को हैल्थी रखने में मदद करेगा। 

अदरक (Ginger):

अदरक एक प्राचीन औषधि है जो रेस्पिरेटरी सिस्टम के लिए फायदेमंद हो सकता है। इसमें एंटी-इन्फ्लैमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं जो खांसी, जुकाम और दमा जैसी समस्याओं को कम करने में मदद कर सकते हैं। आप अदरक का काढ़ा बना सकते हैं या इसे खाने में शामिल कर सकते हैं। बदलते मौसम में दिन में एक बार अदरक का काढ़ा ज़रूर पिए। 

तुलसी (Basil):

तुलसी भारतीय गंगा के किनारे पाई जाने वाली पवित्र पौधा है, और इसके पत्तों में एंटी-इन्फ्लैमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं। भारत के लगभग सभी घरों में ये पौधा उपलब्ध होता है। यह फेफड़ों को स्वस्थ रखने में मदद कर सकता है और खांसी, जुकाम, और सांस की समस्याओं को कम करने में भी मददगार साबित हो सकता है। 

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पुदीना (Mint):

पुदीना खांसी, सांस की समस्याएं, और ब्रोंकाइटिस जैसी रेस्पिरेटरी समस्याओं के इलाज में मदद कर सकता है। इसके मंथोल स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं। कई अध्ययनों से पता चलता है कि पुदीना फेफड़ों की कार्यप्रणाली को बेहतर बनाने में कैसे मदद करता है। यह एक डिकॉन्गेस्टेंट के रूप में कार्य करता है, जिसका अर्थ है कि यह नाक की झिल्ली की सूजन से राहत देता है और रेस्पिरेटरी सिस्टम में जमा हुए बलगम को खत्म करता है।

मुलेठी (Liquorice):

मुलेठी एक और असरदार आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है, जिसका इस्तेमाल आमतौर पर खांसी और गले की खराश को कम करने के लिए किया जाता है। हालांकि, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और निमोनिया जैसी विभिन्न पुरानी मेडिकल कंडीशन के इलाज के लिए भी इसका किया जा सकता है। मुलेठी की जड़ में पाया जाने वाला ग्लाइसीराइजिन फेफड़ों की क्षमता को बढ़ाने और संक्रमण के खिलाफ शरीर की सुरक्षा बढ़ाने में मदद करता है।

पीपली (Long Paper):

आयुर्वेद में कई ऐसी जड़ी-बूटियां मौजूद हैं, जो सेहत को ढेर सारे फायदे पहुंचाती हैं। पीपली या लॉन्ग पेपर इन्हीं में से एक है, जो हमारे पूरे रेस्पिरेटरी सिस्टम के लिए फायदेमंद होती है। यह फेफड़ों की कार्यप्रणाली को बेहतर बनाने में मदद करती है। साथ ही इसमें मौजूद पिपेरिन में कफ निकालने, वातहर और संक्रमण-रोधी गुण होते हैं।

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