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रतन टाटा ने 18 वर्षीय अर्जुन देशपांडे की कंपनी ‘Generic Aadhar’ में 50 फीसदी शेयर खरीदे, हुआ 6 करोड़ का फायदा

मुंबई में 2 साल पहले शुरू हुई थी कंपनी, रतन टाटा ने किया निवेश


मोदी सरकार ने देश के सभी युवाओं को स्वरोजगार के लिए स्टार्टअप शुरू करने की अपील की हुई है। इसके बाद कई लोगों द्वारा स्टार्टअप शुरू किए गए है। कुछ लोगों के स्टार्टअप चल गए तो कुछ लोगों के स्टार्टअप में पैसे डूब गए। इसी कड़ी में मुंबई के एक 18 साल के युवा अर्जुन देशपांडे ने 2 साल पहले अपने स्टार्टअप की शुरुआत की। अब इस स्टार्टअप का सालाना रेवेन्यू 6 करोड़ तक पहुंच गया है। दो साल पहले अर्जुन ने अपने परिजनों की मदद से स्टार्टअप को शुरू किया था। उसने ‘जेनेरिक आधार’ नाम से एक यूनिक फॉर्मेसी रिटेल चेन की शुरुआत की, जो ओर ऑनलाइन फॉर्मेसी और ऐप से अलग है जो इस वक्त बड़ी संख्या में नेट पर मौजूद है।

स्टार्टअप का कॉन्सेप्ट

‘जेनेरिक आधार’ यूनिक फॉर्मेसी एग्रीगेटर बिजनेस मॉडल पर आधारित है। जेनेरिक दवाईयों को सीधे मैन्यूफेक्चर्स से लेता है फिर वह बाकि शहरों में मौजूद फॉर्मेसीज को उपलब्ध कराता है। कंपनी दवाईयों को मार्केट प्राइज से सस्ते में उपलब्ध कराती है क्योंकि वह 16-20 प्रतिशत होलसेलर के मार्जिन को कम कर देती है। अर्जुन देशपांडे के स्टार्टअप का दावा है कि उनकी कंपनी का रेवेन्यू सालाना 6 करोड़ तक पहुंच गया। परन्तु अर्जुन का लक्ष्य 6 करोड़ नहीं है वह अगले तीन सालों में इस रेवेन्यू को 150 से 200 करोड़ तक पहुंचाने का लक्ष्य लेकर चल रहे है। कंपनी अब तक मुंबई, पुणे, बेंगलुरु और ओडिशा के 30 रिटेलर्स से प्रॉफिट शेयरिंग मॉडल के आधार पर जुड़ चुकी है। कंपनी में अभी 55 लोग काम करते है। इसमें फॉर्मासिस्ट, आईटी इंजीनियर और मार्केटिंग प्रोफेशनल्स शामिल है।

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अभी तक बहुत सारे स्टार्टअप में निवेश कर चुके रतन टाटा

खबरों के मुताबिक रतन टाटा ने ‘जेनेरिक आधार’ कंपनी में निजी तौर पर निवेश किया है। ये पहले से टाटा ग्रुप से जुड़ा नहीं है। रतन टाटा ने इससे पहले भी ऐसे कई स्टार्टअप में निवेश किया है, जिसमें ओला, पेटीएम, क्योरफिट, अर्बन लैडर, लेंसकार्ट और लाइब्रेट आदि।

रिटेलर्स को कितने पर्सेंट का मुनाफा मिलेगा

अर्जुन देशपांडे की कंपनी की शुरुआत दो साल पहले हुई थी। तब अर्जुन 16 साल के थे। अब उनकी कंपनी हर साल 6 करोड़ रुपए के रेवेन्यू का दावा करती है। ये स्टार्टअप यूनिक फार्मेसी-एग्रीगेटर बिजनेस मॉडल को फॉलो करता है। ये रिटेल फार्मेसी तक जेनेरिक दवाओं को पहुँचता है। इससे रिटेल फार्मेस के 20% तक मार्जिन बच जाता है, जिसे थोक व्याापरी कमाते है।

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