Bollywood Cult Classics: फिल्मों से हटकर यह चुनिंदा फिल्म है Entertainment और Infotainement का Solid पैकेज!
Bollywood Cult Classics: ऐसी फिल्में जिन्हें देख कर आप हसेंगे, रोएंगे, सोचेंगे मगर “पछताएंगे” बिलकुल नहीं!
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आइए, बिना किसी और विलंभ के उन फिल्मों से आपको रूबरू करवाते है :
उड़ान: यह फिल्म सिनेमा से मोहब्बत करने वाले हर शख्स को देखनी ही चाहिए। उड़ान की शानदार कहानी आपको मंत्रमुग्ध कर देगा। रोनित रॉय ने एक सख्त पिता के रूप में कमाल का काम किया है और रोहन की आज़ादी की यात्रा कुछ ऐसी है जिसे देख आप मुस्कुराते हुए रो पड़ेंगे!
अलीगढ़: यह फिल्म अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रामचंद्र सिरस के जीवन पर आधारित है। अपने यौन अभिविन्यास और उनके संघर्षों के कारण अपने विश्वविद्यालय से निष्कासित प्रोफेसर की कहानी दिल दहला देने वाली है। मनोज बाजपेयी और राजकुमार राव द्वारा अभिनीत इस शानदार फिल्म को एक बार जरूर देखना चाहिए।
देव डी: देवदास की एक अपरंपरागत व्याख्या और चित्रण, यह फिल्म बहुत ही शानदार है। देव डी एक कल्ट फिल्म है, और क्लासिक फिल्म देवदास का शहरी संस्करण है। पारो और देव की अनोखी प्रेम कहानी मज़ेदार और सामान्य से हटकर है।
मसान: गंगा के किनारे फिल्माई गई यह कहानी प्रेम, जीवन और मृत्यु के बारे में एक अंतर्दृष्टि देता है। 2015 की बेहतरीन फिल्मों में से एक, यह फिल्म रोमांच से भरपूर है। बेहद खूबसूरती से लिखा और दर्शाया गया यह फिल्म एक मिस न करने वाली फिल्म है!
गुलाल: यह फिल्म एक कानून के छात्र की कहानी पर आधारित है जिसकी यात्रा आपको अवाक कर देगी। कमाल का कास्ट, पटकथा और के के मेनन का दमदार परफॉर्मेंस को एक बार देखने के बाद आप कभी भुला नहीं पाएंगे। पीयूष मिश्रा की देन मशहूर “आरंभ है प्रचंड है” गीत का नाता इसी फिल्म से जुड़ा हुआ है।
लूडो: हालही में रिलीज हुई यह फिल्म, केवल 1 कहानी नहीं है, बल्कि 4 बहुत अलग कहानियाँ हैं जो एक साथ हस्तक्षेप करती हैं। फिल्म का संगीत बढ़िया है और दर्शाया गया असामान्य हास्य आपके मनोरंजन में कोई कमी नहीं आने देगा।
एक चालीस की लास्ट लोकल: अगर आप एडवेंचर पर जाना चाहते हैं और पता लगाना चाहते हैं कि मुंबई की सड़कों पर 1:40 बजे के बाद क्या होता है, तो यह फिल्म एक बेहतरीन विकल्प है। यह कॉमिक थ्रिलर एक ऐसे व्यक्ति के बारे में है जिसकी आखिरी लोकल ट्रेन छूट जाती है और वह सुबह तक 2.5 करोड़ रुपये कमा लेता है! अभय देओल के करियर की कुछ शानदार फिल्मों में से एक है यह फिल्म।
आँखों देखी: हम अक्सर सुनते है की सिर्फ उसी पर विश्वास करना चाहिए जिसे हमने अपनी आंखों से देखा होता है, हैं न? मगर इसे अमल करते हुए शायद ही आपने ने आजतक किसी को देखा हो! संजय मिश्रा के द्वारा निभाए गए मुख्य किरदार के जीवन में कुछ ऐसा हो जाता है जिसके बाद उनके और उनके परिवार की दुनिया ही बदल जाती है। अगर आप थोड़े इमोशनल स्वभाव के है तो फिल्म को देखने से पहले एक टिशू का बॉक्स अपने साथ जरूर लेकर बैठे!
हासिल: तिग्मांशु धूलिया द्वारा निर्देशित यह फिल्म अनिरुद्ध के जीवन की कहानी पर आधारित है। जब वह इलाहाबाद विश्वविद्यालय में प्रवेश लेते हैं तो उन्हें यह उम्मीद नहीं होती है कि उनका प्यार, वहां की गंदी छात्र राजनीति में उलझ जाएगा। मूल रूप से यह फिल्म कॉलेज के दो दुश्मन गुटों पर केंद्रित है जिनकी आपसी दुश्मनी अनिरुद्ध के प्यार में बाधा डालती है। फिल्म में इरफान ख़ान साहब भी है, जिन्हें इस फिल्म के लिए फिल्मफेयर की तरफ से बेस्ट एक्टर ( नेगेटिव रोल) के किरदार से भी सम्मानित किया गया था।