चुनाव

Ghosi By-election Result: यूपी की बहुचर्चित सीट घोसी पर सपा ने मारी बाजी, बीजेपी उम्मीदवार को बड़े अंतर से हराया

यूपी की घोसी विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में समाजवादी पार्टी ने बीजेपी उम्मीदवार दारा सिंह चौहान को बड़े अंतर से हराया है।

Ghosi By-election Result: INDIA गठबंधन के लिए उपचुनाव एक चुनौती, अखिलेश का ये फॉर्मूला हुआ हिट


यूपी की घोसी विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में समाजवादी पार्टी ने बीजेपी उम्मीदवार दारा सिंह चौहान को बड़े अंतर से हराया है। हालांकि बीजेपी ने त्रिपुरा की दोनों विधानसभा सीटों बक्सानगर और धनपुर में जीत दर्ज की है। साथ ही उत्तराखंड की बागेश्वर विधानसभा पर भी भगवा पार्टी ने कब्जा कर लिया है।
Ghosi By-election Result: देश के 6 राज्यों की 7 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में सीटों के नतीजे सामने आ गए हैं। इनमें सबसे ज्यादा चर्चित सीट यूपी के घोसी विधानसभा है, जहां समाजवादी पार्टी ने बीजेपी उम्मीदवार दारा सिंह चौहान को 42,759 वोटों से हराया है। दरअसल, 5 सितंबर को पश्चिम बंगाल की धुपगुड़ी सीट, त्रिपुरा की धनपुर और बॉक्सनगर सीट, केरल में पुथुपल्ली सीट, यूपी की घोसी सीट, उत्तराखंड की बागेश्वर सीट और झारखंड की डुमरी सीट पर उपचुनाव के लिए मतदान हुआ था। इन सभी सीटों के नतीजे आज 8 सितंबर को सामने आ गए हैं।

INDIA गठबंधन के लिए उपचुनाव एक चुनौती

इन सात सीटों पर हो रहे उपचुनाव को INDIA गठबंधन के लिए एक चुनौती के रूप में देखा जा रहा था। ऐसा इसलिए क्योंकि इतने दलों के साथ आने और फिर INDIA गठबंधन बनने के बाद यह किसी भा राज्य में पहला चुनाव था।

अखिलेश का ये फॉर्मूला हुआ हिट

घोसी विधानसभा सीट की बात करें तो यहां कुल करीब 4.37 लाख वोटर हैं। अनुमानों के मुताबिक, यहां मुस्लिम वोटरों की तादाद करीब 90 हजार के आसपास हैं। दलित वोटर भी करीब 80 से 85 हजार के बीच हैं। अनुमान के मुताबिक, घोसी में सवर्ण मतदाता करीब 70 से 80 हजार के बीच हैं। इनमें भूमिहार 45000, राजपूत 16000 और ब्राह्मण 6 हजार के करीब हैं। पिछड़े समुदाय से ताल्लुक रखने वाले वोटरों की तादाद करीब 2 लाख है। अखिलेश यादव 2022 के यूपी चुनाव के बाद से सपा के पक्ष में नया सियासी, सामाजिक समीकरण गढ़ने की कोशिश में लगे हैं। उन्होंने ‘पीडीए’ यानी ‘पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यकों’ का फॉर्म्युला अपनाया है जो घोसी उपचुनाव में हिट साबित हुआ। बीएसपी उपचुनाव लड़ नहीं रही थी लिहाजा उसके कोर वोटरों यानी दलित समुदाय को लुभाने के लिए एसपी और बीएसपी दोनों ने पूरा जोर लगाया। नतीजों से ऐसा लग रहा है कि एसपी को दलित वोटों को साधने में कामयाबी मिली है।

 

पिछड़े वोटों को साधने में कामयाब हुई सपा

घोसी में पिछड़े वोट निर्णायक भूमिका निभाते हैं। चौहान, निषाद, कुशवाहा जैसी तमाम गैर-यादव ओबीसी जातियों की यहां अच्छी खासी तादाद है। प्रतिष्ठा की लड़ाई को जीतने के लिए बीजेपी ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। विधानसभा क्षेत्र में दर्जनों मंत्रियों ने कैंप किया हुआ था। इन्हें अपने-अपने समाज के वोटरों को साधने की जिम्मेदारी दी गई थी। इनमें स्वतंत्रदेव सिंह, विजय लक्ष्मी गौतम, दयाशंकर सिंह, एके शर्मा, नरेंद्र कश्यप, असीम अरुण, दानिश आजाद अंसारी जैसे मंत्री शामिल थे। इसके अलावा डेप्युटी चीफ मिनिस्टर केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक भी मोर्चा संभाले हुए थे। मंत्रियों के अलावा कई सांसदों और विधायकों को भी बीजेपी ने चुनाव प्रचार में उतारा था। सपा के यादव वोट बेस में सेंध लगाने के लिए बीजेपी ने आजमगढ़ के सांसद और भोजपुरी फिल्मों के सुपरस्टार दिनेश लाल यादव निरहुआ और राज्यसभा सांसद संगीता यादव को मोर्चे पर लगाया था।
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