Prag Narayan Mook Badhir Vidyalaya Aligarh: गांधी जयंती के उपलक्ष्य में प्रागनारायण मूक बधिर विद्यालय में हुआ खास आयोजन, इन छात्र-छात्राओं को मिला पुरस्कार
प्रागनारायण मूक बधिर विद्यालय कि स्थापना 1968 में हुई थी। इसका उद्देश्य है मूक‑बधिर बच्चों को शिक्षा देना, विशेष रूप से होंठ‑पठन और पूरी‑संवाद विधियों के जरिये होती है। विद्यालय शुरू में मुफ्त शिक्षा देता था और अभी भी शुल्क नहीं लिया जाता है।
Prag Narayan Mook Badhir Vidyalaya Aligarh: जानिए कब हुई प्रागनारायण मूक बधिर विद्यालय कि स्थापना…
Prag Narayan Mook Badhir Vidyalaya Aligarh: अलिगढ़ के प्रागनारायण मूक बधिर विद्यालय, सासनी गेट के प्रांगण में गांधी जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में प्रधानाचार्य रामजीलाल मुरसैनिया ने राष्ट्रीय महात्मा गांधी एवं पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के चित्रों पर माल्यार्पण करके उनके जीवन एवं देशहित में किए गए कार्यों का विवरण प्रस्तुत किया।

गांधी जयंती के उपलक्ष्य में कार्यक्रम आयोजित किए गए
अलिगढ़ के प्रागनारायण मूक बधिर विद्यालय, सासनी गेट के प्रांगण में गांधी जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में प्रधानाचार्य रामजीलाल मुरसैनिया ने राष्ट्रीय महात्मा गांधी एवं पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के चित्रों पर माल्यार्पण करके उनके जीवन एवं देशहित में किए गए कार्यों का विवरण प्रस्तुत किया। सभी शिक्षकों एवं प्रशिक्षकों ने दोनों महापुरुषों के जीवन से प्रेरणा लेने हेतु आग्रह किया।

इन छात्र-छात्राओं को खेलकूद प्रतियोगिताओं पुरस्कार मिला
तदुपरांत श्रवण दिव्यांग छात्र-छात्राओं को खेलकूद प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। जिसमें लंबी दौड़ (छात्र वर्ग जूनियर) में छात्र अंकित प्रथम, शुभम द्वितीय एवं सौरभ तृतीय रहे। (छात्र वर्ग सीनियर) में अंकित प्रथम, खुशी द्वितीय, ललिता तृतीय (छात्र वर्ग सीनियर) में अंकित प्रथम, अंकित द्वितीय, सौरभ तृतीय रहे। रस्साकसी प्रतियोगिता में अंशुल प्रथम, अजय द्वितीय, खुशी तृतीय, दौड़ी दौड़ (छात्र वर्ग कनिष्ठ) में सागर प्रथम, शुभम द्वितीय, अनिल तृतीय, कुर्सी दौड़ (छात्र वर्ग कनिष्ठ) में सागर प्रथम, शुभम द्वितीय, अजय तृतीय रहे। अंत में विजयी छात्र-छात्राओं को पुरस्कार वितरित किये गये।

जानिए कब हुई इस विद्यालय कि स्थापना
इसकी स्थापना 1968 में हुई थी। उद्देश्य है मूक‑बधिर (speech & hearing impaired) बच्चों को शिक्षा देना, विशेष रूप से होंठ‑पठन (lip‑reading) और पूरी‑संवाद (total communication) विधियों के जरिये होती है। विद्यालय शुरू में मुफ्त शिक्षा देता था और अभी भी शुल्क नहीं लिया जाता है।
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