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Diwali 2021: जाने क्यों मनाई जाती है छोटी दिवाली, और इसका महत्‍व

Diwali 2021: जाने क्यों पड़ा छोटी दिवाली का नाम नरक चौदस


Diwali 2021: दिवाली आने में अब कुछ ही दिन बाकी हैं। दिवाली हिंदूओं का एक सबसे बड़ा त्योहार है। दिवाली की तैयारियां तो दशहरे के आसपास से ही हर घर में शुरू हो जाती हैं। दिवाली को 5 दिवसीय त्योहार भी कहा जाता है इस त्योहार का हर दिन महत्वपूर्ण होता है। फिर चाहे वो धनतेरस हो, नरक चौदस यानि की छोटी दिवाली हो या फिर हो बड़ी दिवाली। ये बात तो हम अभी लोग जानते हैं कि पांच दिवसीय दीप पर्व की शुरूआत धनतेरस से होती है और धनतेरस के अगले दिन छोटी दिवाली मनाई जाती है। बात दें कि इस दिन का भी बहुत महत्व है। छोटी दिवाली का ही नाम नरक चौदस, रूप चौदस है। मान्यताओं के अनुसार दिवाली की साफ सफाई में दिन बिताने के बाद छोटी दिवाली का दिन रूप सज्जा और खुद की देखभाल में बिताया जाता है इसलिए छोटी दिवाली को रूप चौदस भी कहा जाता है। तो चलिए आज हम आपको रूप चौदस यानि छोटी दिवाली के बारे में विस्तार से बताते है।

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नरकासुर का वध

मान्यताओं के अनुसार भगवान कृष्ण ने इसी दिन नरकासुर नाम के राक्षस का वध किया था। इसलिए छोटी दिवाली को नरक चौदस कहा जाता है। इतना ही नहीं इससे मुक्ति पर्व भी माना जाता है। बता दें कि नरकासुर राक्षस ने न सिर्फ देव-देवियों को बल्कि मनुष्यों को भी बहुत ज्यादा परेशान किया था। श्रीमद्भागवत के अनुसार नरकासुर ने न केवल देवताओं की नाक में दम कर रखा था बल्कि उन्होंने 16 हजार स्त्रियों को भी बंदी बनाकर रखा था। नरकासुर के अत्याचारों से तीनों लोक के लोग परेशान हो गए थे। उसके बाद जब किसी के पास कोई हल नहीं मिला तो सभी देवी देवताओं ने भगवान कृष्ण की शरण लेना ही उचित समझा। देवी देवताओं ने भगवान कृष्ण से गुहार लगाई कि वो नरकासुर का वध कर तीनों लोकों को उसके अत्याचारों से मुक्त करें।

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नरकासुर का श्राप

मान्यताओं के अनुसार नरकासुर को ये श्राप मिला था कि वो किसी स्त्री के कारण ही मारा जाएगा। ऐसे में भगवान कृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा की मदद ली। उन्हें अपना सारथी बनाया बनाया और नरकासुर का वध किया। जिस दिन नरकासुर का वध किया गया वो दिन चौदस का ही दिन था। जिसे नरक चौदस कहा जाने लगा। इस प्रकार भगवान कृष्ण ने हजारों स्त्रियों को नरकासुर की कैद से मुक्त करवाया। इनमे से कई स्त्रियां तो ऐसी थी जिनके परिजनों की नरकासुर ने हत्या कर दी थी। ऐसी निराश्रित स्त्रियां समाज में पूरे सम्मान ने साथ रह सकें इसलिए भगवान ने 16,000 स्त्रियों को अपने नाम के रक्षासूत्र दिए।

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