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UAPA मामले में उमर खालिद की जमानत याचिका पर सुनवाई करने वाले जज ने खुद को किया अलग !
दिल्ली

UAPA मामले में उमर खालिद की जमानत याचिका पर सुनवाई करने वाले जज ने खुद को किया अलग !

उमर खालिद की याचिका की सुनवाई से पलटे जज, अब किसी और पीठ के समक्ष जायेगा मामला। दिल्ली हाई कोर्ट ने पिछले साल 18 अक्टुबर को इस मामले मे उमर की जमानत याचिका खारिज कर दी थी।

दिल्ली दंगों के कथित तौर पर ‘मास्टरमाइंड’ उमर खालिद की जमानत याचिका पर सुनवाई करने वाले जज प्रशांत कुमार मिश्रा ने खुद को किया अलग ,सुप्रीम कोर्ट में है मामला।


सुप्रीम कोर्ट के जज प्रशांत कुमार ने 9 अगस्त को फरवरी 2020 में दिल्ली में हुए दंगों के पीछे की कथित साजिश से यूएपीए मामले में पूर्व jnu छात्र उमर खालिद की जमानत याचिका पर सुनवाई करने से खुद को अलग कर लिया है। दिल्ली हाई कोर्ट ने पिछले साल 18 अक्टुबर को इस मामले मे उमर की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आई है।

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न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना ने न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा के इनकार का कोई कारण नहीं बताया है। उन्होंने कहा कि ‘यह मामला अब किसी और पीठ के समक्ष आयेगा। मेरे सहयोगी न्यायमूर्ति मिश्रा को इस मामले को उठाने में कुछ कठिनाई है।’

दिल्ली पुलिस की ओर से पेश वकील रजत नायर ने कहा है कि ‘बयानों के कुछ हिस्से हैं जो हमने निकाले हैं, वह हिस्सा कौमी भाषा में है। उन्होंने आगे कहा, वह बयान खुद कौमी भाषा में है। नायर ने कहा कि वह मामले में दायर आरोपपत्र का प्रासंगिक हिस्सा भी दाखिल करना चाहते हैं। पीठ ने मामले की सुनवाई 17 अगस्त को तय करते हुए कहा कि जवाबी हलफनामे को रिकॉर्ड पर लिया जाए।

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पीठ ने कहा, मामले को पीठ के इस संयोजन में नहीं उठाया जा सकता। इसलिए, 17 अगस्त को सूचीबद्ध करें। 12 जुलाई को दिल्ली पुलिस ने खालिद की याचिका पर जवाब देने के लिए समय मांगा था। खालिद की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने तब कहा था, जमानत मामले में, कौन सा जवाब दाखिल किया जाना है। आदमी दो साल और 10 महीने से जेल में है।

फरवरी  2020 में सीएए और एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा में उमर खालिद, शरजील इमाम और कई अन्य पर कथित तौर पर दंगों का “मास्टरमाइंड” होने के लिए भारतीय दंड संहिता के प्रावधान के तहत आतंकवाद विरोधी कानून गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) और अन्य के तहत मामला दर्ज किया गया था। इस दंगे में करीब 700 से अधिक लोग घायल हुए थे और करीब 53 लोगो की मृत्यु हो गयी थी।

Shriya Gupta

Journalist, Talks about Politics, Culture and International Affairs. Love to see things through the lenses. Short Films and Documentries make me More excited.
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