दिल्ली

Public Urinals in Delhi: एमसीडी के नामित सदस्य ने सार्वजनिक शौचालयों की स्थिति पर व्यक्त की गंभीर चिंता, ये हैं इसके मुख्य समस्याएँ

कई सार्वजनिक शौचालयों में हाथ धोने की सुविधा और ठीक से काम करने वाले फ्लश सिस्टम का अभाव है। ढांचे में खराबी और टूटे-फूटे फिटिंग्स आम बात हो गई है।

Public Urinals in Delhi: दिल्ली के सार्वजनिक शौचालयों की है गंभीर स्थिति, तत्काल सुधार की बेहद आवश्यकता


Public Urinals in Delhi: दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के नामित सदस्य, मनोज कुमार जैन, ने दिल्ली के सार्वजनिक शौचालयों की बदतर स्थिति पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। एमसीडी के आयुक्त श्री अश्वनी कुमार को लिखे गए पत्र में, उन्होंने इन शौचालयों के रखरखाव और विशेष रूप से महिलाओं के लिए अतिरिक्त स्वच्छता सुविधाओं की आवश्यकता पर बल दिया है।

ये हैं मुख्य समस्याएँ

अत्यधिक अस्वच्छ स्थिति

दिल्ली के कई सार्वजनिक शौचालयों में जाम की समस्या है, जिसके कारण मूत्र का बाहर बहना और अस्वच्छता की स्थिति उत्पन्न हो रही है। नियमित सफाई के अभाव में लोग अस्वास्थ्यकर विकल्पों का सहारा लेने पर मजबूर हैं।

बुनियादी सुविधाओं की कमी

कई सार्वजनिक शौचालयों में हाथ धोने की सुविधा और ठीक से काम करने वाले फ्लश सिस्टम का अभाव है। ढांचे में खराबी और टूटे-फूटे फिटिंग्स आम बात हो गई है।

प्रकाश और वेंटिलेशन की कमी

इन शौचालयों में पर्याप्त प्रकाश और वेंटिलेशन की अनुपस्थिति विशेषकर रात के समय में एक बड़ी समस्या बन गई है, जिससे इनका उपयोग मुश्किल और असुरक्षित हो जाता है।

 कीटाणुशोधन की कमी

नियमित कीटाणुशोधन न होने के कारण, इन शौचालयों से बदबू आती है, जिससे वातावरण अस्वस्थ और असुविधाजनक हो जाता है।

 स्वास्थ्य जोखिम

इन शौचालयों की उपेक्षित स्थिति के कारण ये मच्छरों और अन्य कीटों के प्रजनन स्थल बन गए हैं, जिससे डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियों का प्रसार हो रहा है, विशेष रूप से आसपास के क्षेत्रों में।

 महिलाओं के लिए स्वच्छता सुविधाओं की कमी

मनोज कुमार जैन ने पत्र में दिल्ली में महिलाओं के लिए सार्वजनिक शौचालयों की गंभीर कमी की ओर भी ध्यान आकर्षित किया है। वर्तमान सुविधाएँ पर्याप्त नहीं हैं, जिससे महिलाओं की सुरक्षा और स्वच्छता को लेकर गंभीर चिंताएँ उत्पन्न हो रही हैं।

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 प्रस्तावित समाधान

इन समस्याओं के समाधान के लिए, मनोज कुमार जैन ने सुझाव दिया है कि स्थानीय रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए) और ट्रेडर्स एसोसिएशन को इन शौचालयों के रखरखाव की जिम्मेदारी दी जाए। इन समूहों को आवश्यक धनराशि प्रदान करके और उन्हें विज्ञापन और होर्डिंग्स के माध्यम से अतिरिक्त संसाधन जुटाने की अनुमति देकर, सार्वजनिक शौचालयों के रखरखाव को काफी हद तक सुधारा जा सकता है। इसके अलावा, दिल्ली में महिलाओं के लिए अधिक संख्या में सुरक्षित और साफ-सुथरे शौचालयों का निर्माण करना स्वच्छ भारत अभियान के लक्ष्यों को प्राप्त करने और सभी नागरिकों की गरिमा बनाए रखने के लिए आवश्यक है।

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