Namak Haram Ki Haveli : पुरानी दिल्ली में स्थित है ‘नमक हराम की हवेली’,जानिए क्या है इसकी कहानी
1857 की क्रांति के वक्त अंग्रेजों के वफादार भवानी शंकर खत्री की हवेली का नाम 'नमक हराम की हवेली' पड़ गया था और अभी भी इस गली में मौजूद ”नमक हराम की हवेली” के सामने से जो भी गुजरता है, उसके मुंह से एक ही शब्द निकलता है और वो ‘गद्दार है।
Namak Haram Ki Haveli :आज भी है कायम दगाबाजी का किला, गली से जो गुजरता है वह बोलता है क्यों गद्दार
1857 की क्रांति के वक्त अंग्रेजों के वफादार भवानी शंकर खत्री की हवेली का नाम ‘नमक हराम की हवेली’ पड़ गया था और अभी भी इस गली में मौजूद ”नमक हराम की हवेली” के सामने से जो भी गुजरता है, उसके मुंह से एक ही शब्द निकलता है और वो ‘गद्दार है।
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यह हवेली पुरानी दिल्ली में स्थित है जो अपने मालिक से दगाबाजी के कारण आज भी बदनाम है। ये हवेली सन् 1750 में बनाई गई थी और इसमें मुशीं भवानी सिंह रहते थे। ये दिल्ली कम से कम सात बार उजड़ी और दोबारा बसी है। इसके सीने में तमाम किस्से आज भी दफन हैं। और ये किस्से वफादारी के भी हैं और दगाबाजी के भी है। पुरानी दिल्ली के कूचा घासीराम गली में दगाबाजी का एक निशान आज भी मौजूद है। इस गली में मौजूद ”नमक हराम की हवेली” के सामने से जो भी गुजरता है, उसके मुंह से एक ही शब्द निकलता है और वो‘गद्दार’ है।
Namak Haram ki Haveli, Old Delhi.
The story goes that in the 19th century, the owner of the haveli, Lala Bhowani Shankar, would pass on information from the Mughals to the Britishers, and vice-versa. So the house earned this moniker, the palace of the traitor. pic.twitter.com/SlNMzcb2P3— Indian Art (@IndiaArtHistory) November 20, 2018
अंग्रेजों ने दिया गद्दार को तोहफा –
भवानी शंकर की गद्दारी के चलते होलकर को पीछे हटना पड़ा था। खत्री की वफादारी से खुश होकर अंग्रेजों ने उसे चांदनी चौक में एक शानदार हवेली तोहफे में दे दी और वह अपने परिवार के साथ यहां रहने लगा था। उस समय पटपड़गंज की लड़ाई के बाद दिल्ली के लोग अंग्रेजों से बुरी तरह उखड़ गए थे। साल 1857 के पहले स्वतंत्रता संग्राम के दौरान जब अंग्रेजों ने बहादुरशाह जफर के खिलाफ मुकदमा शुरू किया तो दिल्ली के लोगों ने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ बिगुल फूंक दिया था और तरह-तरह से अंग्रेजों की खिलाफत करने लगे थे। इस हवेली के मालिक ने सवा दो सौ साल पहले जो गद्दारी की थी, उसके दाग आज तक नहीं मिटे हैं। इस समय भी हवेली में तमाम किराएदार जो रहते हैं, ज्यादातर किराएदार पचासियों साल से यहां रह रहे हैं और किराया भी नाम मात्र पांच-दस रुपये ही है।
#DYK @akshaykumar who betrayed India & his adopted country Canada grew up next to a Haveli in Chandni Chowk called “Namak Haram ki Haveli”.
Bhavani Shankar Khatri who got the Haveli as a gift for betraying the Holkars, is a direct ancestor!
Namak Harami is truly in their blood! pic.twitter.com/9vxiN9EgRz
— Kaleshi Bua (@KaleshiBua) January 9, 2024
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मराठा फौज से गद्दारी –
भवानी शंकर खत्री ने अंग्रेजों को होलकर और मराठा सेना से जुड़ी तमाम खुफिया जानकारी दी थी। फिर आया साल 1803 में यशवंतराव होलकर और अंग्रेजी फौज के बीच दिल्ली में आमने-सामने की लड़ाई हुई थी। पर तमाम रियासतों ने अंग्रेजों के आगे सिर झुका लिया लेकिन होलकर ने ईस्ट इंडिया कंपनी की गुलामी स्वीकार नहीं की, बल्कि अंग्रेजों से लड़ने का फैसला किया था। यशवंतराव होलकर के वफादारों में भवानी शंकर खत्री नाम का शख़्स था, लेकिन एक वक्त ऐसा आया जब भवानी शंकर खत्री और होलकर के बीच अनबन हो गई थी।फिर खत्री इंदौर छोड़ दिल्ली आ गया और अंग्रेजों से हाथ मिला लिया था।
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