Delhi AIIMS News: एम्स के डॉक्टरों ने ने किया कमाल, जन्म से ही आपस में चिपकी बच्चियों को ऑपरेशन से किया अलग
एम्स के डॉक्टरों ने नौ घंटे तक सफलतापूर्वक सर्जरी करने के बाद दोनों जुड़वा बहनों को मिली नई जिदगी।सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है तस्वीरें
Delhi AIIMS News: नौ घंटे तक चली सर्जरी के बाद दोनों जुड़वा बहनों को मिली नई जिन्दगी, सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीरें
राजधानी दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के डॉक्टरों ने छाती और पेट के ऊपरी हिस्से से आपस में जुड़ी दो जुड़वां बहनों ऋद्धि और सिद्धि को अलग करने में सफल हुए है। इस सर्जरी में डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ समेत करीब 64 लोगों की टीम ने काम किया है। ये सर्जरी करीब नौ घंटे तक चली।इन दोनों बच्चियों का लिवर, छाती की हड्डियां, फेफड़ों का डायग्राम और यहां तक की दिल से जुड़ी कुछ झिल्लियां भी आपस में जुड़ी हुई थीं।
रिद्धि और सिद्धि को मिला नया जीवन –
उत्तर प्रदेश के बरेली की दीपिका गुप्ता जब चार महीने की गर्भवती थीं तभी उन्हें पता चल गया था कि उनके गर्भ में छाती और पेट से आपस में जुड़े जुड़वां बच्चे हैं। डॉ. मीनू बाजपेयी ने बताया कि बाद में उन्हें इलाज के लिए एम्स जाने की सलाह दी गयी थी। ये दोनों बच्चियां का जन्म पिछले साल सात जुलाई 2022 को हुआ है। दोनों बच्चियों को पांच महीने तक आईसीयू में रखा गया था। फिर उन्हें आठ जून को नौ घंटे तक चली सर्जरी के बाद एक दूसरे से अलग किया गया। दोनों बच्चियों का पहला जन्मदिन अस्पताल में ही मनाया गया। बच्चियों को देखभाल में कोई कमी नहीं की गई। विभिन्न विभागों के इनपुट और नर्सिंग स्टाफ की कड़ी देखभाल के कारण दोनों स्वस्थ होने में सक्षम हुई हैं, अब वे अस्पताल से छुट्टी के लिए तैयार हैं।
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एम्स के डॉक्टरों की सफल प्रयास –
एम्स के डॉक्टरों का कहना है कि बरेली की रिद्धि और सिद्धि संयुक्त रूप से जुड़वां बहनें थीं। संयुक्त जुड़वां बच्चे वे बच्चे होते हैं जो जन्म से ही एक-दूसरे से शारीरिक रूप से जुड़े होते हैं। ऐसे बच्चों को अलग करने के लिए बेहद जटिल सर्जरी की जरूरत होती है। रिद्धि और सिद्धि एक-दूसरे के सामने छाती और पेट के ऊपरी हिस्से से जुड़ी हुई थीं। दोनों का लीवर और हृदय के क्षेत्र को अलग करना चुनौतीपूर्ण था। जुड़वां बहनों के बीच प्रमुख अंग साझा थे। इन अंगों में यकृत, हृदय को ढकने वाली परतें, पसली, डायाफ्राम और पेट की दीवार शामिल थीं। दो सर्जनों की कई टीमों ने बारी-बारी से सर्जरी को सटीक और कुशलता से पूरा किया। इस सर्जरी के लिए रेडियोलॉजिस्ट, एनेस्थेसियोलॉजिस्ट, प्लास्टिक सर्जरी, कार्डियोथोरेसिक सर्जन, नर्सिंग समेत विभिन्न विभागों का कोआर्डिनेशन और साथ चाहिए होता है।
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