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RBI Monetary Policy: अब नहीं बढ़ेगी आपकी EMI, चुनाव से पहले Reserve Bank Of India ने लोगों को दी बड़ी राहत

RBI Monetary Policy: लगातार सातवीं बार आपकी EMI नहीं बढ़ने वाली है। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास बैठक में लिए गए फैसलों के बारे बताते हुए कहा कि इस बार भी रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है, यानी इन दरों को 6.5 फीसदी पर स्थिर रखा गया है।

RBI Monetary Policy: कैसे EMI पर असर डालता रेपो रेट, एक क्लिक में जानें सब कुछ

केंद्रीय बैंक ने अपनी फरवरी की मौद्रिक नीति (monetary policy) में लगातार छठी बार रेपो रेट को 6.50 फीसदी पर स्थिर रखा था। आज वित्त वर्ष 2024-25 की पहली भारतीय रिजर्व बैंक मॉनिटरी पॉलिसी की बैठक में कई बड़े फैसले लिए गए हैं। उम्‍मीद की जा रही थी कि चुनाव से ठीक पहले आरबीआई अपने फैसले से चौंका सकता है, लेकिन RBI ने लगातार सातवीं बार मॉनिटरी पॉलिसी की बैठक में रेपो रेट को स्थिर रखने का फैसला लिया है। इसका मतलब है कि आपको ईएमआई में राहत अभी नहीं मिलेगी। Repo Rate के साथ ही रिजर्व बैंक ने रिवर्स रेपो रेट 3.35% पर स्थिर रखा है। MSF रेट और बैंक रेट 6.75% पर बरकरार है। जबकि, SDF रेट 6.25% पर स्थिर है।

RBI गवर्नर शक्तिकांत दास कहा कि ग्रोथ ने सभी अनुमानों को पार करते हुए अपनी गति बरकरार रखी है। जनवरी और फरवरी दोनों महीनों की हेडलाइन मुद्रास्फीति घटकर 5.1% हो गई है, और यह पहले से इन दो महीनों में दिसंबर के महीने 5.7% के पीक से घटकर 5.1% हो गई है। आगे देखते हुए, मजबूत विकास संभावनाएं नीति को मुद्रास्फीति पर ध्यान केंद्रित करने और 4% के लक्ष्य तक इसके बढ़ने को सुनिश्चित करने का अवसर प्रदान करती हैं।

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नहीं बदले हैं Repo Rate

Reserve Bank Of India ने रेपो रेट में आखिरी बार 8 फरवरी, 2023 को इजाफा किया था। तब आरबीआई ने इसे 25 बेसिस प्वाइंट या 0.25 फीसदी बढ़ाकर 6.5 फीसदी कर दिया था। तब से लगातार छह MPC बैठक में इन दरों को यथावत रखा गया है और इस बार भी पहले से ही इसमें कोई बदलाव नहीं होने की उम्मीद जताई जा रही थी।

कैसे EMI पर असर डालता रेपो रेट

रेपो रेट वह दर है, जिस पर किसी देश का केंद्रीय बैंक धन की किसी भी कमी की स्थिति में वाणिज्यिक बैंकों को पैसा उधार देता है। रेपो रेट का उपयोग मौद्रिक अधिकारियों द्वारा इंफ्लेशन को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है। वास्तव में रेपो रेट का असर आम लोगों द्वारा बैंकों से लिए गए लोन की EMI पर देखने को मिलता है। अगर रेपो रेट में कटौती होती है तो आम लोगों की होम और कार लोन की ईएमआई घट जाती है और अगर रेपो रेट में इजाफा होता है तो कार और होम लोन की कीमतों में बढ़ोतरी हो जाती है।

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ऑल टाइम हाई पर विदेशी मुद्रा भंडार

मौद्रिक नीति निर्णयों पर आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि स्थायी डिपॉजिट फैसिल‍िटी रेट 6.25% पर बनी हुई है और सीमांत स्थायी सुविधा दर और बैंक दर 6.75% पर बनी हुई है। शक्तिकांत दास ने कहा कि भारत का फॉरेक्‍स रिजर्व ऑल टाइम हाई लेवल पर पहुंच गया है। 29 मार्च तक भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 645.6 अरब डॉलर हो चुका है।

तो ऐसे बढ़ी महंगाई

रिपोर्ट के मुताबिक मौजूदा समय में महंगाई खाद्य पदार्थों की कीमतों में उछाल की वजह से बढ़ रही है। रिपोर्ट में यह उम्मीद जताई गई है कि वित्त वर्ष 2025 में जमा राशि और क्रेडिट क्रमशः 14.5-15% और 16.0-16.5% तक बढ़ सकते हैं। रिपोर्ट के अनुसार रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया दरों में कटौती केवल वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही में ही कर सकता है।

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vrinda

मैं वृंदा श्रीवास्तव One World News में हिंदी कंटेंट राइटर के पद पर कार्य कर रही हूं। इससे पहले दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण और नवभारत टाइम्स न्यूज पेपर में काम कर चुकी हूं। मुझसे vrindaoneworldnews@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।
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