Bank Closed News: बैंकिंग क्षेत्र में बढ़ती अनियमितताएं को लेकर RBI का सख्त रुख, न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक पर भी आरबीआई की कार्रवाई
भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से इस वर्ष 2025 में अब तक 27 बैंकों पर विभिन्न अनियमितताओं के लिए जुर्माना लगाया जा चुका है। जुर्माने के अतिरिक्त, आरबीआई ने 10 गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) के लाइसेंस भी रद्द किए हैं।
Bank Closed News: भारत का यह चर्चित बैंक भी हुआ बंद, जानिए बैंक बंद होने के बाद ग्राहकों के पैसों का क्या होगा
Bank Closed News: भारतीय रिजर्व बैंक हमारे देश की वित्तीय प्रणाली की निगरानी करने वाली सर्वोच्च संस्था है जो बैंकिंग व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने और ग्राहकों के हितों की रक्षा के लिए समय-समय पर कड़े निर्णय लेती रहती है। हाल ही में आरबीआई ने एक और सख्त कदम उठाते हुए तमिलनाडु में स्थित कुडालूर और विल्लुपुरम DCCB कर्मचारी सहकारी बैंक लिमिटेड का लाइसेंस रद्द कर दिया है। यह बैंक अब 6 फरवरी 2025 से अपना बैंकिंग कारोबार पूरी तरह से बंद कर दिया है। इस कार्यवाही के पीछे बैंक द्वारा बैंकिंग विनियम अधिनियम के नियमों का पालन न करना और वित्तीय अनियमितताएं मुख्य कारण बताए जा रहे हैं। आरबीआई का यह कदम ग्राहकों के हितों की रक्षा के लिए उठाया गया है, जिससे उनकी जमा राशि सुरक्षित रह सके और बैंकिंग क्षेत्र में विश्वास बना रहे।
2025 में अब तक कितने बैंकों पर गिरी गाज
भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से इस वर्ष 2025 में अब तक 27 बैंकों पर विभिन्न अनियमितताओं के लिए जुर्माना लगाया जा चुका है। जुर्माने के अतिरिक्त, आरबीआई ने 10 गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) के लाइसेंस भी रद्द किए हैं। पिछले वर्ष भी रिजर्व बैंक की तरफ से 12 बैंकों के लाइसेंस रद्द किए गए थे। इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि आरबीआई बैंकिंग क्षेत्र में अनुशासन और पारदर्शिता बनाए रखने के लिए किसी भी तरह का समझौता नहीं कर रहा है। कुडालूर और विल्लुपुरम DCCB कर्मचारी सहकारी बैंक लिमिटेड को बैंकिंग लाइसेंस 21 मार्च 2020 में दिया गया था, लेकिन महज पांच साल के भीतर ही बैंक ने ऐसी गंभीर गलतियां कीं कि आरबीआई को इसका लाइसेंस रद्द करने का कठोर निर्णय लेना पड़ा। यह घटना बैंकिंग क्षेत्र के लिए एक सबक है कि नियमों का पालन न करने वाले संस्थानों को कड़ी सजा का सामना करना पड़ सकता है।
बैंक लाइसेंस रद्द होने का क्या मतलब है
आरबीआई द्वारा बैंकिंग लाइसेंस रद्द होने का मतलब है कि अब यह संस्थान एक बैंक के रूप में कार्य नहीं कर सकता। हालांकि, रिजर्व बैंक ने बैंकिंग विनियम अधिनियम 1949 की धारा 56 के साथ धारा 36A(2) के अंतर्गत कुडालूर और विल्लुपुरम DCCB कर्मचारी सहकारी बैंक लिमिटेड को एक गैर-बैंकिंग संस्थान के रूप में अधिसूचित करने का निर्णय लिया है। इसका अर्थ है कि यह संस्थान अब मौजूदा जमाकर्ताओं से संबंधित कुछ सीमित गतिविधियां ही कर सकेगा। इस बैंक को अब नई जमा राशि स्वीकार करने, डेबिट कार्ड जारी करने, कैश निकासी की सुविधा देने या ऑनलाइन पेमेंट जैसी सेवाएं प्रदान करने की अनुमति नहीं होगी। सरल शब्दों में कहें तो, अब यह संस्थान एक सामान्य बैंक की तरह काम नहीं कर सकेगा और इसकी गतिविधियां बहुत सीमित हो जाएंगी।
बैंक के ग्राहकों के लिए क्या होगा
जब किसी बैंक का लाइसेंस रद्द होता है तो सबसे बड़ी चिंता ग्राहकों की जमा राशि की सुरक्षा को लेकर होती है। रिजर्व बैंक ने अपने नोटिस में स्पष्ट किया है कि कुडालूर और विल्लुपुरम DCCB कर्मचारी सहकारी बैंक को गैर-बैंकिंग संस्थान के रूप में अधिसूचित होने के बाद भी गैर-सदस्यों की अवनैतिक और दावा न की गई जमा राशियों को चुकाना सुनिश्चित करना होगा। इसका अर्थ है कि बैंक के ग्राहकों की जमा राशि सुरक्षित है और उन्हें चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। जमाकर्ता अपनी राशि वापस पाने के लिए बैंक से संपर्क कर सकते हैं। इसके अलावा, डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) के अंतर्गत प्रत्येक जमाकर्ता की 5 लाख रुपये तक की राशि भी सुरक्षित है। यह सुरक्षा उन सभी बैंकों के ग्राहकों को मिलती है, जो आरबीआई के अधीन हैं और डिपॉजिट इंश्योरेंस का प्रीमियम देते हैं।
न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक पर भी आरबीआई की कार्रवाई
कुडालूर और विल्लुपुरम DCCB कर्मचारी सहकारी बैंक के अलावा, आरबीआई ने मुंबई के न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक पर भी पूरी तरह से रोक लगा दी है। इस बैंक के ग्राहकों को अपना पैसा निकालने की अनुमति नहीं दी गई है। केंद्रीय बैंक ने इस बैंक पर नए ऋण देने, पैसे निकालने, पैसे जमा करने और फिक्स्ड डिपॉजिट जैसी सभी गतिविधियों पर रोक लगा दी है। रिजर्व बैंक का कहना है कि बैंक की आर्थिक स्थिति में सुधार होने तक यह प्रतिबंध लागू रहेगा। इस कदम से न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक के हजारों ग्राहक प्रभावित हुए हैं, जिन्हें अपनी जमा राशि तक पहुंचने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि, आरबीआई ने आश्वासन दिया है कि ग्राहकों की जमा राशि सुरक्षित है और उन्हें घबराने की जरूरत नहीं है।
बैंकिंग क्षेत्र में बढ़ती अनियमितताएं और आरबीआई का सख्त रुख
भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षों में अनियमितताओं और धोखाधड़ी के मामलों में वृद्धि देखी गई है। इसके कारण आरबीआई को बैंकों पर निगरानी बढ़ानी पड़ी है और समय-समय पर सख्त कदम उठाने पड़े हैं। आरबीआई के इन कदमों का उद्देश्य बैंकिंग प्रणाली की विश्वसनीयता बनाए रखना और ग्राहकों के हितों की रक्षा करना है। बैंकों पर लगाए जा रहे जुर्माने और लाइसेंस रद्द करने जैसे कदम यह संदेश देते हैं कि नियमों का उल्लंघन करने वाले बैंकों को कड़ी सजा मिलेगी। इससे अन्य बैंकों को भी सतर्क रहने और नियमों का पालन करने का संदेश मिलता है। आरबीआई का यह सख्त रुख बैंकिंग क्षेत्र में अनुशासन और पारदर्शिता लाने में मदद करेगा और ग्राहकों का बैंकिंग प्रणाली में विश्वास बढ़ेगा।
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