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Budget 2020 – आने वाले बजट में प्रयोग होंगे ये शब्द, जाने इन शब्दों के अर्थ

Budget 2020- क्या आप जानते है पहली बार शनिवार को पेश किया जायेगा बजट


Budget 2020 – क्या लगाए हम अनुमान?

भारत देश में लोगों को सबसे ज्यादा इंतज़ार रहता है आम बजट का जिसके अनुसार वो लोग अपनी होने वाली इनकम और खर्चों को निर्धारित करते हैं। अगर बात करें आने वाले इस साल के बजट 2020 (Budget 2020) की तो आज से दस्तावेजों की छपाई हलवा रस्म के बाद शुरू हो जाएगी। इस साल का आम बजट इसलिए ख़ास है क्योंकि इस समय देश आर्थिक विकास दर बहुत नीचे है। देश की अर्थव्यवस्था को 2020 के बजट से कई उम्मीदें हैं। इस बजट में कुछ नए शब्दों का प्रयोग हुआ, आइये जानते है उनके बारे में।

बजट 2020 (Budget 2020) –  क्या अर्थ है इन शब्दों का

1. बैलेंस बजट (balance budget)- बैलेंस शब्द का तात्पर्य बजट के आधार पर यह होता है कि खर्चा और कमाई बराबर हों। यह तब होता है जब सरकार का खर्चा और कमाई दोनों ही बराबर होते है। विनिवेश (Disinvestment) – जब सरकार किसी सेक्टर के अपने शेयर को किसी प्राइवेट यानि निजी व्यक्ति को दे देती है या बेच देती है तो उसे विनिवेश कहा जाता है। प्राइवेट यानि निजी में कोई भी निजी कंपनी या कोई एक व्यक्त्ति आते हैं। सरकारी क्षेत्र को शेयरों द्वारा बेचा जाता है।

2. कस्टम ड्यूटी
(Custom duty ) – किसी विदेश से कोई भी सामान देश में आता है तो उस पर कर लगता है, उसे कस्टम ड्यूटी कहते हैं। इसे सिमा शुल्क भी कहा जाता हैयह सामान समुंद्री या हवाई माध्यम से भारत में आता है।  बांड (BOND) – बांड जब केंद्र सरकार के पास पैसों की कमी हो जाती है  तो वो बाजार से पैसा जुटाने के लिए बांड जारी करती है। ये एक तरह का कर्ज होता है जिसकी अदायगी पैसा मिलने के बाद सरकार द्वारा एक तय समय के अंदर की जाती है, इस बांड को कर्ज का सर्टिफिकेट भी कहते हैं।

3. राजकोषीय घाटा
(Fiscal deficit) – सरकार द्वारा लिया जाने वाला अतिरिक्त कर्ज राजकोषीय घाटा कहलाता है। राजकोषीय घाटा घरेलू कर्ज पर बढ़ने वाला बोझ ही है जिससे सरकार आय और खर्च के अंतर को दूर करती है।
बैलेंस ऑफ पेमेंट (Balance of payment) – केंद्र सरकार का राज्य सरकारों और विश्व के अन्य देशों में मौजूद सरकारों द्वारा जो भी वित्तीय लेनदेन होता है, उसे बजट भाषा में बैलेंस ऑफ पेमेंट कहा जाता है।

4. प्रत्यक्ष कर (Direct tax) – व्यक्त्तियों और संगठनों की आमदनी पर लगाये जाने वाला कर प्रत्यक्ष कर कहलाता है। निवेश, वेतन, ब्याज, आयकर, कॉर्पोरेट टैक्स ये सभी प्रत्यक्ष कर कहलाते हैं।

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5. अप्रत्यक्ष कर (Indirect tax) – ग्राहको द्वारा सामान खरीदने और सेवाओं का इस्तेमाल करने के दौरान उनपर लगाया जाने वाला टैक्स अप्रत्यक्ष कर कहलाता है। जीएसटी, कस्टम्स ड्यूटी और एक्साइज ड्यूटी आदि अप्रत्यक्ष कर के तहत आते हैं। आयकर छूट (Income tax exemption) – टैक्सपेयर की वे इनकाम जो टैक्स के दायरे में नहीं आती, यानी जिस पर कोई टैक्स नहीं लगता। वित्त वर्ष (financial year) – ये वित्तीय साल होता है, जो कि 1 अप्रैल से शुरू होकर 31 मार्च तक चलता है। फिलहाल सरकार वित्त वर्ष को बदलने पर विचार कर रही है।

6. कैपिटल असेट (Capital asset ) –
जब कोई व्यक्ति बिजनेस या प्रोफेशनल किसी भी उद्देश्य से किसी चीज में निवेश करता है या खरीदारी करता है तो इस रकम से खरीदी गई प्रॉपर्टी कैपिटल असेट कहलाती है। ये बांड, शेयर मार्केट और कच्चा माल में से कुछ भी हो सकता है।  शार्ट टर्म कैपिटल असेट (Short term capital asset) – शार्ट टर्म कैपिटल असेट 36 महीने से कम समय के लिए जाने वाले पूंजीगत एसेट्स को शार्ट टर्म कैपिटल असेट कहते हैं।

7. विकास दर (Growth rate )
– सकल घरेलू उत्पाद या जीडीपी एक वित्त वर्ष के दौरान देश के भीतर कुल वस्तुओं के उत्पाद और देश में दा जाने वाली सेवाओं का टोटल होता है।

8.वित्त विधेयक (Finance bill) – इस विधेयक के माध्यम से ही आम बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री सरकारी आमदनी बढ़ाने के विच से नए करों आदि का प्रस्ताव करते हैं। इसके साथ ही वित्त विधेयक में मौजूदा कर प्रणाली में किसी तरह का संशोधन आदि को प्रस्तावित किया जाता है।

9. कर निर्धारण साल (Assessment year) –
ये कर निर्धारण साल होता है, जो किसी वित्तीय साल का अगला साल होता है, जैसे 1 अप्रैल 2015 से 31 मार्च 2016 अगर वित्तीय वर्ष है तो कर निर्धारण वर्ष 1 अप्रैल 2016 से 31 मार्च 2017 तक होगा।

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