Afghanistan Connection With Mahabharat: अफगानिस्तान को गांधारी ने दिया था ‘श्राप’, राज्य में कभी नहीं रहेगी शांति
Afghanistan Connection With Mahabharat: अफगानिस्तान से भारत का संबंध एक दशक या सैकड़ा पुराना नहीं बल्कि हजारों साल पुराना है। जी हां अफगानिस्तान का भारत से 5 हजार साल पुराना नाता है। और तो और इतिहास के सबसे बड़े युद्ध माने जाने वाले महाभारत के षड्यंत्र का आरंभ भी यहीं से हुआ था।
Afghanistan Connection With Mahabharat: अफगानिस्तान पर गांधारी के श्राप का प्रभाव, जो आज है बुरा हाल
अफगानिस्तान में तालिबान शासन ने देश को पूरी तरह से अपने कब्जे में ले लिया है। लोकतांत्रिक व्यवस्था को पूरी तरह से ध्वस्त करते हुए सभी सरकारी संस्थाओं पर अब तालिबान आतंकियों का कब्जा हो चुका है। वर्तमान में मुस्लिम आबादी वाला यह देश एक समय में हिंदू संस्कृति और रीतियों को मानता था। आइए आपको ले चलते हैं इतिहास के पन्नों में और बताते हैं अफगानिस्तान का इंडिया कनेक्शन। ऐसा माना जाता है कि अफगानिस्तान से भारत का संबंध एक दशक या सैकड़ा पुराना नहीं बल्कि हजारों साल पुराना है। जी हां अफगानिस्तान का भारत से 5 हजार साल पुराना नाता है। और तो और इतिहास के सबसे बड़े युद्ध माने जाने वाले महाभारत के षड्यंत्र का आरंभ भी यहीं से हुआ था। आइए आपको बताते हैं अफगानिस्तान का संबंध महाभारत काल से है और देते हैं रोचक जानकारियां…
महाभारत काल में गांधार अफगानिस्तान में ही स्थित था, इसे साबित करने वाले तथ्यों में से एक यह है कि देश के शहरों में से एक को अभी भी कंधार के नाम से जाना जाता है। यह शब्द गांधार से उत्पन्न हुआ है, जिसका शाब्दिक अर्थ है ‘सुगंधों की भूमि’। इस शब्द का उल्लेख ऋग्वेद, महाभारत और उत्तर-रामायण जैसे विभिन्न पुराने ग्रंथों में मिलता है। सहस्त्रनाम के अनुसार, गांधार भगवान शिव के नामों में से एक है। यह भी माना जाता है कि गांधार के पहले निवासी शिव के भक्त थे।
महाभारत और कंधार के बीच संबंध
गांधार साम्राज्य में आज का पूर्वी अफगानिस्तान, उत्तरी पाकिस्तान और उत्तर-पश्चिम पंजाब शामिल हैं। महाभारत ऋषि वेद व्यास द्वारा लिखित एक संस्कृत महाकाव्य है। इसमें कौरव और पांडव राजकुमारों के बीच युद्ध की कहानी शामिल है। इस ग्रंथ के अनुसार लगभग 5500 वर्ष पूर्व गांधार पर राजा सुबाला का शासन था। उनकी गांधारी और शकुनि नाम की एक बेटी और एक बेटा था। उनकी बेटी का विवाह धृतराष्ट्र से हुआ था, जो हस्तिनापुर साम्राज्य के राजकुमार थे और बाद में राजा बने।
गांधार बना कंधार
महाभारत की कथा के अनुसार गांधारी के 100 पुत्र जिन्हें कौरव कहा जाता था, जिन्हें पांडव भाइयों द्वारा युद्ध के बाद दुखद नुकसान का सामना करना पड़ा। युद्ध के बाद जो लोग बच गए वे गांधार साम्राज्य में बस गए और धीरे-धीरे आज के सऊदी अरब और इराक में चले गए। गांधार क्षेत्र से शिव उपासकों के धीरे-धीरे खत्म होने और बौद्ध धर्म के प्रसार के साथ, गांधार का नाम कंधार हो गया। इतना ही नहीं, चंद्रगुप्त, अशोक, तुर्क विजेता तैमूर और मुगल सम्राट बाबर जैसे मौर्य शासकों ने भी इस क्षेत्र पर शासन किया। संभवत इन्हीं शासकों में से किसी एक के शासन काल में गांधार का नाम बदल गया।
अफगानिस्तान पर गांधारी के श्राप का प्रभाव
कथाओं के अनुसार, कौरवों की माता गांधारी ने भगवान श्रीकृष्ण को श्राप दिया था जिस कारण पूरी द्वारिका नगरी समुद्र में डूब गई। इसी के साथ गांधारी ने अपने भाई शकुनि को भी श्राप दिया क्योंकि गांधारी अपने पुत्रों की मृत्यु के लिए अपने भाई को भी उतना ही दोषी मानती थी जितना श्रीकृष्ण को इसलिए गांधारी ने श्राप दिया कि मेरे 100 पुत्रों को मारने वाले गांधार नरेश तुम्हारे राज्य में कभी शांति नहीं रहेगी।
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पहले भी कभी नहीं रही शांति
यहां हमेशा ही क्लेश का वातावरण बना रहेगा। माना जाता है कि गांधारी के इस श्राप के कारण ही अफगानिस्तान में कभी भी शांति का माहौल नहीं रहता है। तालिबान का कब्जा होने के बाद और उससे पहले भी कभी शांति नहीं रहती थी। कहा जाता है कि यह देश कभी किसी भी काल में बिना तनाव और झगड़ों के नहीं रह सका है। इन सब वजहों के पीछे गांधारी के श्राप का प्रभाव ही माना जाता है।
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