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World Suicide Prevention Day: वर्ल्ड सुसाइड प्रिवेंशन डे 2025, मानसिक स्वास्थ्य और उम्मीद का संदेश

World Suicide Prevention Day, हर साल 10 सितंबर को पूरी दुनिया वर्ल्ड सुसाइड प्रिवेंशन डे (World Suicide Prevention Day) मनाती है।

World Suicide Prevention Day : वर्ल्ड सुसाइड प्रिवेंशन डे, मानसिक तनाव से जूझ रहे लोगों के लिए सहारा

World Suicide Prevention Day, हर साल 10 सितंबर को पूरी दुनिया वर्ल्ड सुसाइड प्रिवेंशन डे (World Suicide Prevention Day) मनाती है। इस दिन का उद्देश्य आत्महत्या जैसे गंभीर सामाजिक और मानसिक स्वास्थ्य संकट के प्रति जागरूकता फैलाना और लोगों को जीवन जीने के लिए प्रोत्साहित करना है। मानसिक तनाव, अवसाद, अकेलापन और सामाजिक दबाव के कारण हर साल लाखों लोग आत्महत्या का शिकार हो जाते हैं। इस दिन विभिन्न संगठन, स्वास्थ्य संस्थान और समाजसेवी मिलकर लोगों को जागरूक करते हैं और संदेश देते हैं कि हर समस्या का समाधान है, लेकिन जीवन का कोई विकल्प नहीं।

वर्ल्ड सुसाइड प्रिवेंशन डे का इतिहास

आत्महत्या रोकथाम के लिए जागरूकता फैलाने का विचार 2003 में सामने आया। उस समय इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर सुसाइड प्रिवेंशन (IASP) ने वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) के सहयोग से इस दिन को मनाना शुरू किया। तब से लेकर आज तक हर साल 10 सितंबर को इसे दुनिया भर में मनाया जाता है। इस पहल का मकसद मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी बाधाओं को कम करना, आत्महत्या से पीड़ित या उसके खतरे में जी रहे लोगों की पहचान करना और उन्हें सहारा देना है।

आत्महत्या एक गंभीर समस्या क्यों?

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट के अनुसार, हर साल लगभग 7 लाख से अधिक लोग आत्महत्या करते हैं। यह संख्या युद्ध, दुर्घटनाओं और प्राकृतिक आपदाओं से होने वाली मौतों से भी अधिक है। आत्महत्या के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे

  • मानसिक अवसाद और चिंता
  • पारिवारिक विवाद और रिश्तों में तनाव
  • आर्थिक तंगी और बेरोजगारी
  • शैक्षणिक दबाव और असफलता का डर
  • अकेलापन और सामाजिक उपेक्षा
  • नशे की लत

यह समस्या सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं होती, बल्कि उसके पूरे परिवार और समाज पर गहरा प्रभाव डालती है।

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वर्ल्ड सुसाइड प्रिवेंशन डे का महत्व

इस दिन को मनाने का उद्देश्य सिर्फ जागरूकता फैलाना नहीं, बल्कि समाज में यह संदेश देना है कि हम सभी को मानसिक स्वास्थ्य को लेकर उतना ही गंभीर होना चाहिए जितना कि शारीरिक स्वास्थ्य को लेकर।यह दिन हमें सिखाता है कि छोटी-छोटी समस्याओं को नज़रअंदाज़ न करें। यह दिन मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने की अपील करता है। यह दिन हमें सिखाता है कि दूसरों की तकलीफ़ को समझना और उनकी मदद करना हमारी ज़िम्मेदारी है।

थीम 2025

हर साल इस दिन की एक खास थीम रखी जाती है। 2025 की थीम (संभावित) है – “Creating Hope Through Action” (कार्रवाई के जरिए उम्मीद जगाना)। इस थीम का संदेश है कि हर व्यक्ति अपने छोटे-छोटे प्रयासों से किसी की ज़िंदगी में नई उम्मीद जगा सकता है। एक मुस्कान, एक बातचीत, एक सहानुभूति भरा शब्द भी किसी को आत्महत्या से बचा सकता है।

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आत्महत्या रोकने के उपाय

आत्महत्या जैसी समस्या को रोकने के लिए कुछ कदम उठाना बेहद ज़रूरी है –

  1. खुलकर बातचीत करें – अगर कोई व्यक्ति उदास, अकेला या अवसाद में दिखे तो उससे बात करें।
  2. सुनना सीखें – उसकी परेशानियों को ध्यान से सुनें और उसकी भावनाओं की कद्र करें।
  3. प्रोफेशनल मदद लें – काउंसलर, मनोवैज्ञानिक या मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ की सलाह लेना ज़रूरी है।
  4. सकारात्मक माहौल बनाएं – घर और समाज में प्यार, अपनापन और सहयोग का वातावरण होना चाहिए।
  5. मोटिवेट करें – व्यक्ति को उसकी खूबियों और जीवन के महत्व का एहसास कराएं।
  6. आसानी से उपलब्ध न हों हानिकारक साधन – जहरीली दवाइयां या अन्य खतरनाक चीज़ें आसानी से उपलब्ध न हों।

समाज की भूमिका

आत्महत्या रोकथाम में समाज की भूमिका बेहद अहम है। यदि परिवार और पड़ोसियों का सहारा मिलता है तो व्यक्ति कभी इतना अकेला महसूस नहीं करता कि उसे जीवन खत्म करने की ज़रूरत पड़े। हमें मिलकर मानसिक स्वास्थ्य पर खुली बातचीत को प्रोत्साहित करना चाहिए और आत्महत्या को एक “टैबू” विषय की बजाय सामान्य स्वास्थ्य समस्या मानकर उस पर चर्चा करनी चाहिए। वर्ल्ड सुसाइड प्रिवेंशन डे हमें यह याद दिलाता है कि हर ज़िंदगी अनमोल है और कोई भी परिस्थिति इतनी बड़ी नहीं कि उसके लिए जीवन को समाप्त कर दिया जाए। समाज, परिवार और दोस्तों का सहारा लेकर हम आत्महत्या जैसी समस्याओं को रोक सकते हैं। आइए हम सब मिलकर यह संकल्प लें कि ज़रूरतमंद व्यक्ति को समय पर सहारा देंगे और मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता फैलाएंगे।

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