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Raj Kapoor 100th Birthday : ‘आवारा हूं’ से लेकर ‘दादा साहब फाल्के’ तक, जानें राज कपूर के 9 रोचक किस्से

Raj Kapoor 100th Birthday, राज कपूर, जिन्हें भारतीय सिनेमा का 'शोमैन' कहा जाता है, का जन्म 14 दिसंबर 1924 को पेशावर (अब पाकिस्तान में) हुआ। उनका असली नाम रणबीर राज कपूर था।

Raj Kapoor 100th Birthday : राज कपूर के 100 साल, थप्पड़ से ‘श्री 420’ तक, जानें उनकी प्रेरणादायक कहानी

Raj Kapoor 100th Birthday, राज कपूर, जिन्हें भारतीय सिनेमा का ‘शोमैन’ कहा जाता है, का जन्म 14 दिसंबर 1924 को पेशावर (अब पाकिस्तान में) हुआ। उनका असली नाम रणबीर राज कपूर था। राज कपूर की जिंदगी और करियर कई दिलचस्प किस्सों से भरा हुआ है। उनके 100वें जन्मदिन पर आइए जानते हैं उनके जीवन से जुड़े 10 अनसुने किस्से।

पहली फिल्म और थप्पड़ की कहानी

राज कपूर को पहली बार कैमरे का सामना 10 साल की उम्र में करना पड़ा। यह फिल्म इंकलाब (1935) थी।  उनके पिता ने उन्हें मंत्र दिया कि राजू नीचे से शुरुआत करोगे तो ऊपर तक जाओगे। पिता की इस बात को गांठ बांधकर राजकूपर ने 17 साल की उम्र में रंजीत मूवीकॉम और बाम्बे टॉकीज फिल्म प्रोडक्शन कंपनी में स्पॉटब्वॉय का काम शुरू किया। उस वक्त के मशहूर निर्देशकों में शुमार केदार शर्मा की एक फिल्म में क्लैपर ब्वॉय के रूप में काम करते हुए राज कपूर ने एक बार इतनी जोर से क्लैप किया कि फिल्म के हीरो की नकली दाड़ी क्लैप में फंसकर बाहर आ गई। राज कपूर की इस हरकत पर केदार शर्मा को बहुत गुस्सा आया और उन्होंने गुस्से में आकर राज कपूर को एक जोरदार चांटा रसीद कर दिया।

24 की उम्र में बने सबसे कम उम्र के डायरेक्टर

राज कपूर ने केवल 24 साल की उम्र में आग (1948) फिल्म के साथ निर्देशन के क्षेत्र में कदम रखा। यह उनके प्रोडक्शन हाउस, आर.के. फिल्म्स की पहली फिल्म थी। हालांकि यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर औसत रही, लेकिन यह उनकी निर्देशक प्रतिभा की झलक थी। इसके बाद उन्होंने बरसात (1949) बनाई, जिसने उन्हें सफलता के शिखर पर पहुंचा दिया।

‘बरसात’ से आर.के. स्टूडियो का लोगो

बरसात फिल्म का एक प्रसिद्ध दृश्य, जिसमें राज कपूर नर्गिस को गिटार के साथ थामे हुए हैं, इतना लोकप्रिय हुआ कि इसे आर.के. स्टूडियो का लोगो बना दिया गया। यह दृश्य आज भी भारतीय सिनेमा के सबसे यादगार पलों में से एक है।राज कपूर अपने किरदारों में पूरी तरह डूब जाने वाले कलाकार थे। फिल्म मेरा नाम जोकर (1970) के लिए उन्होंने अपनी असली जिंदगी के कई पहलुओं को पर्दे पर उतारा। इस फिल्म में उन्होंने एक जोकर का किरदार निभाया, जो अपनी जिंदगी के उतार-चढ़ाव के बावजूद खुशियां बांटता है। हालांकि, यह फिल्म फ्लॉप रही, लेकिन इसे आज भी एक कल्ट क्लासिक के रूप में याद किया जाता है।

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नर्गिस और राज कपूर की जोड़ी

राज कपूर और नर्गिस की जोड़ी ने भारतीय सिनेमा को कई शानदार फिल्में दीं, जैसे आवारा (1951), श्री 420 (1955) और चोरी चोरी (1956)। इनकी ऑन-स्क्रीन केमिस्ट्री को दर्शकों ने खूब सराहा। हालांकि, उनकी ऑफ-स्क्रीन नजदीकियों ने भी काफी चर्चा बटोरी। राज कपूर शादीशुदा थे, लेकिन उनकी और नर्गिस की दोस्ती और संबंधों ने बॉलीवुड की सबसे चर्चित कहानियों में जगह बनाई।

नर्गिस और राज कपूर की जोड़ी

आवारा का गाना जिसने दुनिया भर में तहलका मचाया

राज कपूर की फिल्म आवारा का गाना “आवारा हूं” न केवल भारत में बल्कि रूस, चीन और मिडिल ईस्ट में भी बेहद लोकप्रिय हुआ। यह गीत उस समय भारत की पहचान बन गया। यहां तक कि राज कपूर को रूस में भारतीय सिनेमा का चेहरा कहा जाने लगा।

आर.के. स्टूडियो और उसकी विरासत

1948 में स्थापित आर.के. स्टूडियो भारतीय सिनेमा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा। यहां कई ब्लॉकबस्टर फिल्मों का निर्माण हुआ, जैसे आवारा, श्री 420 और संगम। हालांकि, 2017 में स्टूडियो में आग लगने के बाद इसे बेच दिया गया, लेकिन इसका नाम आज भी राज कपूर की विरासत को जीवित रखता है। राज कपूर अपनी फिल्मों के म्यूजिक पर खास ध्यान देते थे। शंकर-जयकिशन, हसरत जयपुरी और शैलेंद्र जैसे संगीतकार और गीतकार उनकी फिल्मों का अभिन्न हिस्सा रहे। श्री 420 का गाना “मेरा जूता है जापानी” और आवारा का “आवारा हूं” आज भी अमर हैं।

राजनीति में भी थे सक्रिय

राज कपूर का राजनीतिक दृष्टिकोण उनकी फिल्मों में साफ झलकता था। उनकी फिल्में आम आदमी के संघर्ष और सामाजिक अन्याय को सामने लाने का काम करती थीं। श्री 420 और आवारा जैसी फिल्मों में समाजवाद और सामूहिकता का संदेश था।

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अंतिम समय और दादा साहब फाल्के पुरस्कार

1988 में, राज कपूर को भारतीय सिनेमा के सर्वोच्च सम्मान, दादा साहब फाल्के पुरस्कार से नवाजा गया। हालांकि, उसी साल उनका स्वास्थ्य बिगड़ने लगा। 2 जून 1988 को दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया।

इंडियन सिनेमा पर राज कपूर का प्रभाव

राज कपूर ने भारतीय सिनेमा को न केवल मनोरंजन के स्तर पर बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी समृद्ध किया। उनकी फिल्में आम आदमी की कहानियां थीं, जो दिल को छू जाती थीं। अभिनय, निर्देशन और प्रोडक्शन में उनकी बहुमुखी प्रतिभा ने उन्हें सिनेमा का ‘शोमैन’ बना दिया। उनकी फिल्मों के जरिए सामाजिक संदेश, संगीत, और सादगी आज भी दर्शकों को प्रेरित करती है। उनके 100वें जन्मदिन पर, यह कहना गलत नहीं होगा कि राज कपूर भारतीय सिनेमा के सबसे बड़े कलाकारों में से एक थे।

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