Earth Traffic Jam : स्पेस में ट्रैफिक जाम! बढ़ती सैटेलाइट्स से अंतरिक्ष गतिविधियों पर मंडरा रहा संकट
Earth Traffic Jam,आज की दुनिया तकनीकी उन्नति के शिखर पर है, और इसका सबसे बड़ा उदाहरण है अंतरिक्ष में बढ़ती गतिविधियां।
Earth Traffic Jam : अंतरिक्ष में जाम, पृथ्वी की कक्षा में 14 हजार सैटेलाइट्स का खतरा
Earth Traffic Jam,आज की दुनिया तकनीकी उन्नति के शिखर पर है, और इसका सबसे बड़ा उदाहरण है अंतरिक्ष में बढ़ती गतिविधियां। जहां एक ओर सैटेलाइट्स ने हमारे जीवन को सरल बनाया है, वहीं दूसरी ओर यह बढ़ती संख्या अंतरिक्ष में एक नई चुनौती पैदा कर रही है।
अंतरिक्ष में सैटेलाइट्स की बढ़ती भीड़
पृथ्वी की निचली कक्षा (Low Earth Orbit, LEO) में लगभग 14,000 सक्रिय सैटेलाइट्स घूम रहे हैं। ये सैटेलाइट्स विभिन्न उद्देश्यों के लिए उपयोग में लाए जा रहे हैं, जैसे कि संचार, नेविगेशन, मौसम पूर्वानुमान, और वैज्ञानिक अनुसंधान। लेकिन इनकी बढ़ती संख्या ने अंतरिक्ष में एक प्रकार का ‘यातायात जाम’ बना दिया है।
सैटेलाइट्स की भूमिका और जरूरत
सैटेलाइट्स ने मानव जीवन को कई तरीकों से बदल दिया है। ये इंटरनेट, जीपीएस, और टेलीविजन सेवाओं को सुलभ बनाने में मददगार हैं। इसके अलावा, आपदा प्रबंधन, कृषि, और जलवायु परिवर्तन पर नजर रखने जैसे कार्यों में भी इनकी भूमिका अहम है। परंतु, इसके लिए जिस तेजी से सैटेलाइट्स लॉन्च किए जा रहे हैं, वह अब एक बड़ी समस्या बनती जा रही है।
अंतरिक्ष जाम के कारण
1. सस्ता और आसान लॉन्च: स्पेस टेक्नोलॉजी में प्रगति के कारण सैटेलाइट लॉन्च करना अब सस्ता और आसान हो गया है। प्राइवेट कंपनियां जैसे SpaceX, Amazon, और OneWeb बड़ी संख्या में सैटेलाइट्स लॉन्च कर रही हैं। उदाहरण के लिए, SpaceX के ‘Starlink’ प्रोजेक्ट के तहत हजारों सैटेलाइट्स लॉन्च किए जा रहे हैं।
2. प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी: पहले केवल सरकारी एजेंसियां अंतरिक्ष में सैटेलाइट्स भेजती थीं, लेकिन अब निजी कंपनियों की सक्रियता बढ़ गई है।
3. रीसाइक्लिंग और निष्क्रिय सैटेलाइट्स: पृथ्वी की कक्षा में कई निष्क्रिय सैटेलाइट्स और उनके टूटे हुए टुकड़े मौजूद हैं। ये ‘स्पेस डेब्रिस’ कहलाते हैं और नए सैटेलाइट्स के लिए खतरा बनते हैं।
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समस्याएं और खतरे
भारत की भूधरती की निचली कक्षा यानी लोअर अर्थ ऑर्बिट कुछ दिन में जाम हो जाएगी। सूरज की रोशनी भी फिल्टर हो कर आएगी। या हो सकता है आए ही न, कोई और रॉकेट इस ऑर्बिट को पार ही न कर पाए। 100 से 1000 किलोमीटर तक की ऊंचाई में इतना ट्रैफिक हो जाए।
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