Kajri Teej 2024 Vrat Katha: आज कजरी तीज के व्रत पर शाम में जरूर पढ़ें ये कथा, जीवन में बरसेगी खुशियां, मिलेगा संतान प्राप्ति का आशीर्वाद
Kajri Teej 2024 Vrat Katha: हिंदू पंचांग के अनुसार कजरी तीज का व्रत भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा विधिवत रूप से करने का विधान है। बता दें, इस साल कजरी तीज का व्रत 22 अगस्त गुरुवार के दिन रखा जा रहा है।
Kajri Teej 2024 Vrat Katha: ये है कजरी तीज की व्रत कथा और पूजा के नियम
हिंदू पंचांग के अनुसार कजरी तीज का व्रत भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा विधिवत रूप से करने का विधान है। बता दें, इस साल कजरी तीज का व्रत 22 अगस्त गुरुवार के दिन रखा जा रहा है। इस दिन महिलाएं अखंड सौभाग्य के लिए व्रत रखती हैं। Kajri Teej 2024 Vrat Katha कजरी तीज का व्रत कुंवारी कन्याओं के लिए भी उत्तम फलदायी माना जाता है। अब ऐसे में इस दिन जो महिलाएं व्रत रख रही हैं, उन्हें व्रत कथा अवश्य सुननी चाहिए। व्रत बिना कथा सुने पूर्ण नहीं मानी जाती है। आइए इस लेख में कथा के बारे में विस्तार से जानते हैं।
कजरी तीज व्रत कथा Kajri Teej 2024 Vrat Katha
प्राचीन समय में एक गांव में एक गरीब ब्राह्मण पति पत्नी रहते थे। उनकी आर्थिक स्थिति इतनी दयनीय थी कि केवल दो समय के भोजन का प्रबंध भी बड़ी मुश्किल से हो पाता था। ऐसे में जब भाद्रपद महीने में तृतीया तिथि की कजरी तीज आई, तो ब्राह्मण की पत्नी ने कजरी तीज का व्रत रखा। ब्राह्मणी ने ब्राह्मण से कहा, आज मेरा कजली माता का व्रत है। आप कहीं से चने का सत्तू ले आइए। Kajri Teej 2024 Vrat Katha इस पर ब्राह्मण बोला, घर में जरा सा भी धन नहीं है, मैं सत्तू कहां से लाऊं? तब ब्राह्मणी ने कहा, ये मैं नहीं जानती, चाहे आप चोरी करो या चाहे डाका डालो, लेकिन चने का सत्तू लेकर आओ।
यह बात सुनकर ब्राह्मण परेशान हो गया कि आखिर बिना धन के वह सत्तू कहां से लेकर आए। रात का समय था। ब्राह्मण घर से निकला और एक साहूकार की दुकान पर पहुंचा। वहां उसने देखा कि साहूकार के साथ-साथ उसके सभी नौकर भी सो रहे थे, तब वह चुपके से दुकान में घुस गया। Kajri Teej 2024 Vrat Katha सत्तू बनाने के लिए उसने वहां से चने की दाल, घी, शक्कर लिया सबको सवा किलो तोल लिया। इतने में ही खटपट की आवाज सुनकर दुकान के नौकर जाग गए और चोर-चोर चिल्लाने लगे। तब साहूकार की भी नींद खुल गई।
उसने ब्राह्मण को देखा और उसको पकड़ लिया। तब ब्राह्मण ने बहुत विनम्रता से साहूकार से कहा कि मैं चोर नहीं हूं। मेरी पत्नी ने कजरी तीज का व्रत रखा है। मैं केवल सवा किलो सत्तू लेने आया था, लेकिन सत्तू न मिलने पर सत्तू बनाने की सवा किलो सामग्री लेकर जा रहा था। Kajri Teej 2024 Vrat Katha आप मेरी तलाशी लेकर देख लीजिए। तब साहूकार ने उसकी तलाशी ली, लेकिन उसके पास सत्तू के सामान के अलावा कुछ नहीं मिला। ब्राह्मण ने कहा, हे साहूकार! चांद निकल आया है। ब्राह्मणी मेरा इंतजार कर रही होगी।
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ब्राह्मण की स्थिति देख साहुकार की आंखें भर आईं। नम आंखों से साहूकार ने कहा, आज से आपकी पत्नी को मैं अपनी धर्म बहन मानता हूं। इसके बाद उसने ब्राह्मण को सत्तू, आभूषण-गहने, रुपये, मेहंदी, लच्छा और बहुत सारा धन देकर ठाठ से विदा किया। सबने मिलकर कजली माता की पूजा की। Kajri Teej 2024 Vrat Katha इसके बाद ब्राह्मण दंपति पर माता की कृपा हुई और उसके अच्छे दिन आ गए। मान्यता के अनुसार, इस कथा जो भी पढ़ता है और सुनता है, उसका सब तरह से कल्याण होता है। इस कथा को पढ़ने-सुनने वाले के साथ-साथ सब लोगों के वैसे ही दिन फिरे, जिस तरह से ब्राह्मण के दिन फिरे थे। कजली माता की कृपा सब पर बरसे।
कजरी तीज पूजा विधि Kajri Teej 2024 Vrat Katha
कजरी तीज के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का पूजन किया जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए निर्जला व्रत करती हैं। इस दिन सुबह स्नान आदि कर स्वच्छ वस्त्र पहनें और फिर मिट्टी से माता पार्वती व भगवान शिव की मूर्ति बनाएं। इसके बाद चैकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं और उस पर मूर्ति स्थापित करें। फिर भगवान शिव व माता पार्वती को गंगाजल, दूध, बेलपत्र, फल, फूल, शहद, धूप, दीप आदि अर्पित करें। माता पार्वती को श्रृंगार का सामान अर्पित करना शुभ माना जाता है। आप शाम में कथा का पाठ जरूर करें।
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