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World Smallest Airport: यहां है दुनिया का सबसे छोटा एयरपोर्ट, जहां जरा सी हुई चूक, समुद्र में चला जाएगा प्लेन
अजब - गजब

World Smallest Airport: यहां है दुनिया का सबसे छोटा एयरपोर्ट, जहां जरा सी हुई चूक, समुद्र में चला जाएगा प्लेन

World Smallest Airport: फ्लाइट एक ऐसा परिवहन है जो यात्रियों को एक जगह से दूसरी जगह तक ले जाने में मदद करता है। इसी यात्रा के लिए दुनियाभर में हर तरह के एयरपोर्ट भी बने हुए हैं। कुछ इतने बड़े जो महल के जैसे दिखाई देते हैं, तो कुछ ऐसे जो एकदम माचिस की डिब्बी जैसे हैं।

World Smallest Airport: ये है दुनिया का सबसे छोटा हवाई अड्डा, जान जोखिम में डाल प्लेन उतारते हैं पायलट

फ्लाइट एक ऐसा परिवहन है जो यात्रियों को एक जगह से दूसरी जगह तक ले जाने में मदद करता है। इसी यात्रा के लिए दुनियाभर में हर तरह के एयरपोर्ट भी बने हुए हैं। कुछ इतने बड़े जो महल के जैसे दिखाई देते हैं, तो कुछ ऐसे जो एकदम माचिस की डिब्बी जैसे हैं। मतलब वहां अगर 10 लोग भी खड़े हो जाएं तो बहुत ही ज्यादा भीड़ लगने लगती है। एक ऐसा ही एयरपोर्ट सबा के कैरिबियन द्वीप में है, जिसे दुनिया के सबसे छोटे कमर्शियल रनवे के रूप में जाना जाता है। बता दें, ये एयरपोर्ट जुआंचो यारूस्किन एयरपोर्ट के नाम से फेमस है। चलिए आपको इस एयरपोर्ट के बारे में विस्तार से बताते हैं।

ये नीदरलैंड के सबा आइलैंड (Saba Island) पर बना है। इस कमर्सियल एयरपोर्ट का रनवे न सिर्फ छोटा है, बल्कि समुद्र और चट्टानों के किनारे बना है। ऐसे में एक छोटी सी गलती की वजह से प्लेन के समुद्र में गिरने का जोखिम बना रहता है। कमजोर दिलवाले पायलट यहां पर अपने प्लेन को लैंड नहीं करवा सकते, क्योंकि यहां लैंडिंग के लिए केवल बहादुरी ही नहीं, बल्कि कौशल की भी आवश्यकता होती है। इसे दुनिया में सबसे डरावनी लैंडिंग माना जाता है।

प्लेन को लैंड कराना रोमांचकारी

ये एयरपोर्ट भले ही कमर्सियल हो, लेकिन यात्री विमान भी यहां उतारे जाते हैं। प्लेन से आए पैसेंजर्स को इस आइलैंड पर अक्सर “मैं सबा लैंडिंग से बच गया” वाला शर्ट पहने देखा जा सकता है। बता दें कि इस एयरपोर्ट पर लैंडिंग के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित पायलटों के एक समूह की आवश्यकता होती है। हालांकि, हवाई अड्डे से उड़ान भरना भी उतना ही रोमांचकारी है, जितना प्लेन को उतारना।

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किसी स्टंट से कम नहीं प्लेन को उतारना

विमान जब चट्टान से नीचे की ओर तेजी से बढ़ता है तो यात्री अपनी सांसें रोक लेते हैं। जैसे ही विमान चट्टान और रनवे के अंत तक पहुंचता है और चंद सेकेंड में हवा में उड़ान भरता है, तभी पैसेंजर्स राहत की सांस ले पाते हैं। हालांकि, इस एयरपोर्ट पर प्लेन को उतारना किसी फिल्मी स्टंट से कम नहीं है। ऐसा केवल एड्रेनालाईन-जंकी द्वारा ही किया जा सकता है और अनुभवी एविएटर कैप्टन रोजर हॉज उनमें से एक हैं। एड्रेनालाईन से तात्पर्य, तनाव में शारीरिक स्थिति को कंट्रोल करने वाले हार्मोन से है।

एविएटर रेमी डी हेनेन थे पहले पायलट

कैप्टन रोजर हॉज ने सीएनएन को बताया, “एक पायलट के रूप में मुझे सबा में जाना बहुत पसंद है, क्योंकि वहां जाने के बाद ही आप अपने अनुभव को पूरा इस्तेमाल में लाते हैं। ऐसा करते हुए आपको यात्रियों और जमीन पर मौजूद लोगों द्वारा देखा जा रहा है, लेकिन आपको बस उस मशीन को उड़ाना है।” बता दें कि इस छोटे रनवे पर उतरने वाले पहले व्यक्ति एक महत्वाकांक्षी एविएटर रेमी डी हेनेन थे।

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ऐतिहासिक पल का गवाह बना था पूरा शहर

उन्होंने 9 फरवरी, 1959 को सबा द्वीप पर पहली बार लैंडिंग की। इस ऐतिहासिक पल का गवाह बनने के लिए पूरा शहर मौजूद था। इसके बाद से लगातार प्लेन लैंड करवाए जाने लगे। इस छोटे से आइलैंड की कुल आबादी 1990 है, जबकि हर साल यहां पर 9 हजार से अधिक टूरिस्ट आते हैं। सबा के लिए ये एयरपोर्ट लाइफलाइन है, क्योंकि इसी के जरिए स्थानीय लोगों को चिकित्सा उपचार के लिए ले जाता है और दूसरी तरफ से आगंतुकों को लाया जाता है।

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एयरपोर्ट का इतिहास

जुआंचो यारूस्किन एयरपोर्ट 18 सितंबर 1963 में बनकर तैयार किया गया था। बनने के बाद इस उड़ान में कुछ बदलाव भी किए गए हैं। पहले यहां हफ्ते में केवल एक ही फ्लाइट चलती थी, लेकिन यहां से 4 चार्टर फ्लाइट भी संचालित कर दी गई। टूरिस्ट को बढ़ावा देने के लिए इस एयरपोर्ट पर उड़ाना को बढ़ा दिया गया। लेकिन काफी अनुभवी पायलट को ही फ्लाइट उड़ाने के लिए रखा जाता है। बता दें, जरा सी लापरवाही से ही विमान चट्टान से टकरा सकता है या फिर समंदर में जाकर गिर सकता है। रनवे छोटा होने की वजह से जोखिम ज्यादा है।

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vrinda

मैं वृंदा श्रीवास्तव One World News में हिंदी कंटेंट राइटर के पद पर कार्य कर रही हूं। इससे पहले दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण और नवभारत टाइम्स न्यूज पेपर में काम कर चुकी हूं। मुझसे vrindaoneworldnews@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।
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