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अगर बजट को समझना चाहते हैं तो, सबसे पहले जानें ये फाइनेंशियल टर्म्स: Budget 2024
बिज़नस

अगर बजट को समझना चाहते हैं तो, सबसे पहले जानें ये फाइनेंशियल टर्म्स: Budget 2024

1 फरवरी को बजट पेश किया जाएगा। यह बजट देश के वित्त मंत्री यानी निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किया जाएगा। बजट का असर देश के सभी नागरिक की जेब पर पड़ती है। ऐसे में कई लोगों को बजट में इस्तेमाल होने वाले फाइनेंशियल टर्म्स समझ नहीं आते हैं। आइए बजट में इस्तेमाल होने वाले टर्म्स का मतलब जानते हैं।

बजट के दौरान वित्‍त मंत्री करते हैं इन फाइनेंशियल टर्म्स का इस्‍तेमाल, ऐसे समझें : Budget 2024


Budget 2024: 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट 2024 पेश करेगी। यह मोदी सरकार का आखिरी बजट होगा। आपको बता दें कि कई लोगों को बजट समझने में परेशानी आती है। इसकी वजह है फाइनेंशियल टर्म्स। बजट में कई तरह के फाइनेंशियल टर्म्स का इस्तेमाल किया जाता है। इन टर्म्स की जानकारी कई लोगों को नहीं होती है। अगर आपको भी बजट समझने में परेशानी होती है तो आज हम आपको कुछ फाइनेंशियल टर्म्स के बारे में बताएंगे जिनकी मदद से आप आसानी से बजट को समझ पाएंगे।

इकॉनोमिक सर्वे

बजट पेश करते समय इकॉनोमिक सर्वे शब्द का इस्तेमाल किया जाता है। इसकेा मतलब आर्थिक सर्वेक्षण होता है। यह एक तरह का फ्लैगशिप डॉक्यूमेंट है। इसमें चालू वित्त वर्ष की परफॉर्मेंस के बारे में बताया जाता है। इस सर्वे में आने वाले वित्त वर्ष के आधार पर तय किया जाता है।

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टैक्स

देश के सभी टैक्सपेयर्स को समय से टैक्स का भुगतान करना होता है। सरकार द्वारा डायरेक्ट और इनडायरेक्ट टैक्स लिया जाता है। बजट में इन टैक्स के बारे में कहा जाता है। कई लोग डायरेक्ट और इनडायरेक्ट टैक्स को लेकर कंफ्यूज हो जाते हैं। आपको बता दें कि डायरेक्ट टैक्स को कॉरपोरेट टैक्स

इनफ्लेशन

इनफ्लेशन शब्द का मतलब महंगाई होता है। सरकार द्वारा हर महीने महंगाई दर जारी होती है। महंगाई दर द्वारा देश की आर्थिक स्थिति के बारे में पता लगाया जा सकता है। मंहगाई दर में वस्तुओं, सर्विस और कमोडिटीज की कीमतों में बढ़ोतरी और गिरावट की जानकारी दी जाती है। अगर इन सब की कीमत ज्यादा रहती है तो उपभोक्ता द्वारा खरीदारी की क्षमता कम होती है।

फाइनेंस बिल

सरकार जब भी कोई नई टैक्स पॉलिसी शुरू करती है तो उसके लिए फाइनेंस बिल का इस्तेमाल करती है। इसमें टैक्स पॉलिसी के स्ट्रक्चर की जानकारी होती है।

कैपिटल एक्सपेंडिचर

बजट में कैपिटल एक्सपेंडिचर के बारे में भी कहा जाता है। दरअसल, कैपिटल एक्सपेंडिचर को आसान भाषा में खर्च समझ सकते हैं। सरकार द्वारा विकास संबंधी गतिविधियों के लिए जो भी एसेट खरीदे जाते हैं वह सब इसमें शामिल होता है। कैपिटल एक्सपेंडिचर में बताया जाता है कि सरकार देश के विकास के लिए किस पॉलिसी या एसेट के लिए कितना खर्च करेगी।

बजट अनुमान

सभी मंत्रालय, विभागों, सेक्टरों और पॉलिसी के लिए एक फंड बनाया जाता है। यह एक अनुमानित फंड होता है। इस अनुमानित फंड को ही बजट अनुमान कहा जाता है। इसमें बताया जाता है कि सरकार कितना फंड किस अवधि में देगी और उस फंड का इस्तेमाल कैसे किया जाएगा।

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फिस्किल डेफिसिट

फिस्किल डेफिसिट का मतलब है सरकार द्वारा बीते वित्त वर्ष में कितना खर्च किया गया और उसका रेवेन्यू कितना है। सरकार के कुल खर्च और कुल रेवेन्यू के अंतर को ही फिस्किल डेफिसिट कहा जाता है। इस अंतर को कम करने के लिए सरकार भारतीय रिजर्व बैंक से उधार लेती है।

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