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Jammu-Kashmir News: 51 साल के सफर में स्टेशन पर दो बार आतंकी हमला हुआ, जानिए जम्मू रेलवे स्टेशन का इतिहास
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Jammu-Kashmir News: 51 साल के सफर में स्टेशन पर दो बार आतंकी हमला हुआ, जानिए जम्मू रेलवे स्टेशन का इतिहास

1969 में पहली बार रेल लाइन को जम्मू तक पहुंचाने में जमीनी स्तर पर पहल हुई। कठुआ-जम्मू तक लाइन बिछाने का काम तीन साल में पूरा किया गया।

Jammu-Kashmir News: 1969 में पहली रेल लाइन को जम्मू तक पहुंचाया गया, 266 करोड़ से बदलती स्टेशन की तस्वीर 


आपको बता दें कि पिछले वर्ष ट्रेनों की पंक्चुअलिटी 80 से 85 प्रतिशत रही। देश में ऐसे कम रेलवे स्टेशन है जहां तीन प्लेटफॉर्म होने पर भी 30 से 40 ट्रेनें चल रही हैं। पिछले साल जम्मू रेलवे स्टेशन पर यात्री ट्रेन पहुंचने की 50वीं वर्षगांठ मनाई गई थी।
Jammu-Kashmir News: जम्मू रेलवे स्टेशन पर 2 दिसंबर को पहली यात्री ट्रेन आए हुए 51 साल पूरे हो गए। इसी दिन 1972 को श्रीनगर एक्सप्रेस (झेलम एक्सप्रेस) दिल्ली से पहुंची थी। आज प्रतिदिन 30 से 40 जोड़ी ट्रेनों का परिचालन हो रहा है जिसमें 40 हजार यात्री सफर कर रहे हैं। कभी दो ट्रेनों के बीच तीन घंटे का अंतराल होता था, अब हर आधे घंटे में ट्रेन पहुंच रही है।

माता वैष्णो देवी जाने के लिए पठानकोट उतरना पड़ता था

51 साल पहले तत्कालीन केंद्र और राज्य सरकार के मंत्री ट्रेन में आए थे। जम्मू तक ट्रेन नहीं आने से दूसरे राज्यों से आने वाले माता वैष्णो देवी के भक्तों को पठानकोट उतरना पड़ता था। हरिद्वार जाने के लिए वहीं से ट्रेन पकड़नी पड़ती थी। यहां सिर्फ माल गाड़ियां आती थीं। उस समय एक वॉशिंग लाइन होती थी। न क्वार्टर न ही किसी तरह की अन्य सुविधा थी।

साल 1969 को पहली रेल लाइन को जम्मू तक पहुंचाने में जमीनी स्तर पर पहल हुई

1969 में पहली बार रेल लाइन को जम्मू तक पहुंचाने में जमीनी स्तर पर पहल हुई। कठुआ-जम्मू तक लाइन बिछाने का काम तीन साल में पूरा किया गया। भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान भी प्रोजेक्ट चलता रहा। रहली ट्रेन चलने के बाद तीन अन्य शुरू की गईं। इसमें कश्मीर ट्रेन (जम्मू मेल), सियालदह एक्सप्रेस और जम्मू-पठानकोट डीएमयू चलाई गई। इसके बाद यात्रियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए रेलवे ने राजधानी ट्रेन का परिचालन शुरू किया। फिर समय पालन में सुधार हुआ।

इस रूट में 80 से 85 प्रतिशत पंक्चुअलिटी रहती है ट्रेन की

आपको बता दें कि पिछले वर्ष ट्रेनों की पंक्चुअलिटी 80 से 85 प्रतिशत रही। देश में ऐसे कम रेलवे स्टेशन है जहां तीन प्लेटफॉर्म होने पर भी 30 से 40 ट्रेनें चल रही हैं। पिछले साल जम्मू रेलवे स्टेशन पर यात्री ट्रेन पहुंचने की 50वीं वर्षगांठ मनाई गई थी।

जम्मू रेलवे स्टेशन देश के हर बड़े रेलवे स्टेशन के साथ जुड़ गया

इस सफर में जम्मू रेलवे स्टेशन देश के हर बड़े रेलवे स्टेशन के साथ जुड़ गया है। दिल्ली, बांद्रा टर्निमल, लखनऊ, हावड़ा, ऋषिकेश, हरिद्वार सहित अन्य बड़े रेलवे स्टेशनों के लिए ट्रेनों का परिचालन हो रहा है। इससे न सिर्फ अन्य राज्यों से संपर्क बढ़ा है, बल्कि आम लोगों के साथ-साथ व्यापार में भी वृद्धि हुई है। वंदे भारत ट्रेन भी यहां से गुजरती है। वहीं, पुनर्विकास शुरू हो चुका है।

266 करोड़ से बदलती रही तस्वीर

आपको बता दें कि 266 करोड़ की लागत से दूसरा प्रवेश द्वार, जिसमें चार प्लेटफॉर्म, यात्रियों के सुगम आवागमन के लिए सब-वे और आरआरआई बिल्डिंग, सिंगल एंड कंट्रोल रूम सहित अन्य ढांचे बनाए जा रहे हैं। नया प्रवेश द्वार बनने के बाद पुराने रेलवे स्टेशन को शिफ्ट किया जाएगा।

दो बार हो चुका है आतंकी हमला

आपको बता दें कि 1990 के बाद ट्रेनों की संख्या बढ़ी है। माता वैष्णो देवी आने वाले भक्त जम्मू तक ट्रेन में आने लगे। 51 साल के सफर में स्टेशन पर दो बार आतंकी हमला हुआ। पहले सिर्फ प्लेटफॉर्म एक पर ही शेड होता था। इसके बाद दूसरे प्लेटफॉर्म का कायाकल्प किया गया। एस्केलेटर व लिफ्ट तक की सुविधा दी गई।
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प्रतिदिन 30 से 40 ट्रेनों का होता है परिचालन 

जम्मू रेलवे स्टेशन में तीन प्लेटफॉर्म से प्रतिदिन 30 से 40 ट्रेनों का परिचालन हो रहा है। इतने कम प्लेटफार्म के बावजूद इतनी ज्यादा ट्रेनों का परिचालन चुनौतीपूर्ण है। एक साल में लोग जम्मू से कश्मीर तक सफर कर सकेंगे। नया प्रवेश द्वार तैयार होने से यात्रियों और ट्रेनों की संख्या में वृद्धि होगी।
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