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Kisan Andolan के एक साल : कैसे किसानों की हिम्मत ने 2021 को बना दिया ऐतिहासिक साल?

 Kisan Andolan के एक साल: इस  साल के दौरान किसानों ने मौसम की मार के साथ-साथ पुलिस के डंडो का भी सामना किया


Kisan Andolan के एक साल :तीन कृषि कानून को लेकर भले ही सरकार ने रद्द करने का ऐलान कर दिया हो लेकिन किसान धरना स्थल को छोड़ने को तैयार नहीं है। आज यानि की 26 नवंबर 2021  को इस आंदोलन को एक साल हो गया है। इस दौरान किसान नेताओं और सरकार के बीच लगभग सात से आठ दौर की बातचीत हुई लेकिन सारी  नाकाम ही रही। इस एक साल के आंदोलन के दौरान किसानों ने कई सारी स्थितियों का सामना किया है। साथ ही इस एक साल के दौरान इस आंदोलन में कई तरह के परिवर्तन भी हुए हैं।

चलिए आज पूरे एक साल की कहानी बताते हैं। जिसकी शुरुआत और पीएम मोदी के रद्द के ऐलान के बाद हमारी टीम वहां स्वयं गई थी।

कैसे हुई शुरुआत ?

पिछले साल 5 जून 2020 को मोदी सरकार अध्यादेश के जरिए तीन कृषि कानूनों को लेकर आई थी। इसके बाद 14 सिंतबर 2020 को पहली केंद्र सरकार ने इन अध्यादेशों को संसद में पेश किया। जिसके बाद 17 सितंबर को यह अध्यादेश लोकसभा से पारित हो गया। इसके पारित होने के साथ ही विपक्षी पार्टियों के साथ किसान संगठनों ने भी इसका विरोध शुरु कर दिया। इस अध्यादेश के कानून बनते ही पंजाब और हरियाणा में इसको लेकर विरोध प्रदर्शन शुरु हो गया।

जुलाई के महीने से शुरु हुए इस विरोध प्रदर्शन का नतीजा यह हुआ कि किसान दिल्ली की तरफ कूच करने को मजबूर हो गए। इसके लिए 26 नवंबर का दिन मुकर्र किया गया। लगभग तीन- चार महीने राज्य में मशक्त करने के बाद किसान राजधानी की तरफ बढ़ने लगें। यहां तक पहुंचने के लिए भी उन्हें कड़ी मेहनत करनी पड़ी। किसानों को रोकने के लिए कड़े इंतजाम किए गए। याद हैं न सबकुछ या भूल गए। ठंड का वह दिन जब दिनभर न्यूज चैनल में यह खबर चली ही किसान दिल्ली की तरफ कूच कर रहे हैं और सुरक्षा बल इनको रोकने की पूरी कोशिश कर रहे हैं।

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 तो चलिए आज आपको इस पूरे एक साल में क्या कुछ हुआ आपको बताते हैं।

1. किसानों को रोकने का कोशिश

26 नवंबर के दिन जब किसानों काफिला पंजाब से दिल्ली की तरफ बढ़ रहा तो उन्हें रोकने के लिए अंबाला के पास हाईवे पर रास्ता अवरुद्ध करने के लिए बड़े-बड़े पत्थर रख दिए गए। ताकि वह आगे न बढ़ पाएं। इतना ही नहीं किसानों को रोकने  के लिए उन पर ठंड के मौसम में  पानी की बौछार की गई। किसानों पर डंडे बरसाएं गए। एक फोटो उस वक्त खूब वायरल हुई थी। जिसमें एक बुजुर्ग को पुलिस डंडा मार रही है और वह अपने आप को बचाते हुए भाग रहे हैं। इतना कुछ होने क बाद किसान दिल्ली के रामलीला मैदान पहुंचना चाहते थे। लेकिन वह पहुंच नहीं पाएं। उन्हें रास्ते पर ही रोक दिया गया।

पुलिस विभाग से बातचीत करके बुराडी के पास का मैदान उन्हें दिया गया। और अंत में किसान दिल्ली के तीन बॉर्डर पर धरने पर बैठ गए।

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2. मौसम की मार- पिछले साल जैसे ही किसान

आंदोलन शुरु हुआ ठंड का मौसम शुरु हो चुका था। किसान जिस वक्त आएं थे उस वह ट्रैक्टरों में आएं थे। उसके बाद बॉर्डर पर तो जैसे मेला सा लग गया था। किसान अपने हक के लिए लड़ रहे थे। वहीं दूसरी ओर लोगों को खाना भी खिला रहे थे। धरना स्थल के आसपास के लोग रोज वहीं लंगर भी खाया करते थे। इसी बीच जनवरी के महीने में कड़ाके की ठंड़ के बीच बारिश ने किसानों का जीना दुस्वार कर दिया। लेकिन किसान हारे नहीं वह डटे रहे। इसी बारिश और ठंड को एक बुजुर्ग किसान बर्दाश्त नहीं कर पाएं और खड़े-खड़े गिर गए और उनकी मौत हो गई।

कड़ाके की ठंड के बाद तपती गर्मी ने भी किसानों का हौसला नहीं टूटने दिया। वह अपनी मांग को लेकर मैदान  पर डटे रहे और आखिर में लगभग एक साल बाद यह कानून रद्द होने जा रहा है।

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3. करनाल में किसानों पर लाठीचार्ज

तीन कृषि कानूनों के विरोध में किसान करनाल हाईवे पर प्रदर्शन कर रहे थे। इसी दौरान पुलिस ने किसानों पर लाठीचार्ज कर दिया। जिसमें किसानों की मौत भी हुई। इस घटना के बाद एक वीडियो खूब वायरल हुई जिसमें करनाल के एसडीएम आयुष सिन्हा पुलिस बल को यह निर्देश दे रहे थे कि जहां भी किसान दिखे उनका सिर फोड़ दे। इस वीडियो के वायरल होने के बाद किसान हरियाणा के मिनी सचिवालय के बाहर धरना प्रदर्शन पर बैठ गए। जिसके बाद किसानों से बातचीत होने के बाद यह धरना प्रदर्शन खत्म किया गया।

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4. लखीमपुर खीरी वाली घटना

अक्टूबर महीने के 3 तारीख को किसान आंदोलन के किसान यूपी के डिप्टी सीएम केशव मौर्या को घेरना के चाहते थे ताकि वह उनकी मांग को सुन सके। लेकिन ऐसा हुआ नहीं ब्लकि विरोध कर रहे किसानों पर गृहराज्यमंत्री के अजय मिश्रा ने बेटे आशीष मिश्रा ने गाड़ी चढ़ाकर उन्हें रौंद दिया। इस घटना में लगभग 8 लोग मारे गए। जिसमें एक पत्रकार भी शामिल था।

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आपको बता दें पिछले एक साल में लगभग 700 किसानों की मौत हो गई है। अब भारतीय किसान यूनियन इन 700 किसानों के परिवार को सरकारी नौकरी और मुआवजा देने की मांग कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर तेलंगाना के सीएम के.चंद्रशेखर राव ने मारे गए किसानों को तीन लाख मुआवजा देने का ऐलान किया है। साथ ही केंद्र सरकार से भी मुआवजा देने की अपील की है!

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