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Karwa chauth Expert Tips: क्या आप भी मना रही है अपना पहला करवाचौथ? ऐसे करें श्रृंगार
लाइफस्टाइल

Karwa chauth Expert Tips: क्या आप भी मना रही है अपना पहला करवाचौथ? ऐसे करें श्रृंगार

Karwa chauth Expert Tips – नई दुल्हन करवा चौथ पर जरूर करें सोलहा श्रृंगार


Karwa chauth Expert Tips : भारत त्योहारों का देश है। यहां हर रिश्ते की मर्यादा को ध्यान में रखते हुए त्यौहार मनाए जाते हैं। यह इस बात का भी प्रतीक है कि भारत में हर रिश्ता प्यारा और कीमती है। एक ही परिवार के सदस्य से बाकी सब सदस्य अलग-अलग समय पर त्यौहारों के माध्यम से अपना प्रेम और आदर सम्मान व्यक्त करते हैं।इन सब त्यौहारों में से एक करवा चौथ का त्यौहार है जो पति पत्नी के रिश्तों को हर साल मजबूती और गहराई प्रदान करता है। पति पत्नी एक ही गाड़ी के दो पहिये हैं जो एक दूसरे के पूरक बन कर नर से नारायण की यात्रा, सती से पार्वती की यात्रा पूरी करते हैं।

Karwa chauth Expert Tips

विवाह के समय जो दोनों एक दूसरे को वचन देते हैं, उनका निर्वाह बड़ी ही सावधानी से करते हुए गृहस्थ जीवन को खुशी और प्रेम से बिताते हैं। इस त्यौहार को दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और पंजाब जैसे प्रांतों में ज्यादा मनाया जाता है। आजकल तो ये त्यौहार न केवल पूरे भारत में अपितु पूरे विश्व में मनाया जाता है। गणपति  पितृपक्ष, नवरात्रि और दशहरा के बाद अब करवाचौथ, अहोई अष्टमी,  धनतेरस, नरक चतुर्दशी, दीवाली और भाई दूज त्यों9 मुख्य हैं।

करवा चौथ के त्योहार को कर्क चतुर्थी भी कहते हैं। इस दिन विवाहित स्त्रियां अपने पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती हैं।  जिन लड़कियों का विवाह इसी वर्ष में हुआ है, उनकी 24 अक्टूबर 2021 को पहली करवा चौथ होगी। पहला करवा चौथ का व्रत कैसे रखते हैं, आइये ये जानते हैं।

क्या होते है रिवाज़?

करवा चौथ का पहला व्रत पीहर में रखा जाता है। करवा चौथ के दिन सुबह जल्दी उठकर अपने बड़ों का आशीर्वाद  लेकर  सरगी खानी होती है।  सास  बहू के लिये एक दिन पहले ही बहु के लिए उसकी पीहर भिजवा देती है। इसमें  मिठाइयां, कपड़े और श्रृंगार का सामान होता हैं। नवविवाहिता इसके उपरांत चन्द्र दर्शन तक निर्जल उपवास रखती हैं। शाम को नवविवाहिता पूजा के लिए शृंगार करती है।

हिंदुओं में 16 शृंगार का बहुत महत्व है तो जो स्त्रियाँ पहली बार करवा चौथ का व्रत रख रहीं हैं उन्हें 16 शृंगार के साथ- साथ अपने दुलहन  के कपड़े भी पहनने चाहिए। ये शुभ संकेत होता है, रिश्ते में नवीनता लाता है। 16 श्रृंगार पर बहुत से लोक गीत व गाने भी बने हैं।

16 shringhar

 

जानते हैं 16 शृंगार कैसे किया जाता है। 16 श्रृंगार में सबसे पहला श्रृंगार है स्नान। स्नान में शिकाकाई, आंवला, बृह्नगराज, उबटन आदि का प्रयोग शुभ माना जाता है।  कुमकुम की बिंदी गुरु के बल को बढ़ती है जो वैवाहिक जीवन को खुशहाल रखता है। सिंदुर भरी  मांग सके पति की आयु लम्बी होती है। मंगल दोष दूर करने के लिए और सुंदरता बढाने के लिए आंखों में काजल लगाया जाता है।

मान्यता है कि मेहंदी लगाने से विवाहिता को पति का प्यार मिलता है। हरि लाल चूड़ियों से भरे हाथ रिश्ते में खुशी और स्मृद्धि लाता है। मंगल सूत्र सुहाग का प्रतीक है और बुरी नजर से बचाता है। और गले मे सोने का हार अपयश से बचाता है। नाक में लौंग या नथनी पहने से बुध दोष दूर होता है। बालों में गजरा भी एक सुंदर श्रृंगार है।

ऐसे करे श्रृंगार!

माथे जे बीचों बीच टीका पहना जाता हैं। कानों में झुमके या सवर्ण बाली राहु केतु के दोषों को दूर रखता है। बाजू बंद भी 16 श्रृंगार में से एक है। तगड़ी या कमरबंद साड़ी को संभालकर कर रखता है और सुस्ती को दूर भगाता है। पैरों के बिछिये सूर्य और शनि के दोषों को दूर रखते हैं, साथ ही शरीर की कुछ बीमारियों को दूर रखने में मदद मिलती है। फिर छम छम पायलिया कैसे दूर रहे। इंगेजमेंट रिंग पहनना आवश्यक होता है।

16 श्रृंगार करके ही विवाहिता पूजा में बैठती है। करवा चौथ की कहानी का बहुत महत्व है और ये विवाहिताओं को रोज के जीवन शैली की कुछ बातों से अवगत करातीं हैं। कहानी सुनना शुभ माना जाता है।

फिर बायना या बाया निकाला जाता है। इसमें सास ससुर के जोड़े, 9 गिलास रुमाल और दक्षिणा के साथ, फल, मठ्ठी, मिठाई, मेवा, और यथा सम्भव उपहार सास ससुर के लिए रखे जाते हैं।

चन्द्र दर्शन पर स्त्रियां पूजा करके चंद्रमा को जल का अर्घ्य देती हैं। फिर छलनी में चांद और पति को देखती हैं व उनके पैर छूती हैं, आशीर्वाद लेती हैं  और पति के हाथ से पानी पीकर अपना व्रत खोलती हैं। इस समय पति अपनी अपनी पत्नियों को उपहार भी देते हैं।

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नाम: पूनम गौर (न्यू एज हीलर व के० बी०/ के० पी० विशेषज्ञ)
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Poonam Gaur

पूनम गौड़ एक नए युग की चिकित्सक और ज्योतिषी, वास्तु आचार्य, और अंकशास्त्री हैं। इन्होंने कई पुरस्कार जीते हैं और एक हजार से अधिक कुंडलियों का विश्लेषण किया है। उन्हें इस क्षेत्र में 15 वर्षों से भी अधिक का अनुभव है। पूनम जी ज्योतिष के नियमों का पूरी निष्ठा से पालन करती हैं और क्लाइंट के साथ बहुत पारदर्शी रहती हैं। उनका मानना है कि भविष्य रेत पर लिखा है और इसे बदला जा सकता है।
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