हमारे देश में हर महिला को पता होने चाहिए अपने ये 10 अधिकारों के बारे में
भारतीय संविधान में महिलाओं को दिए गए है ये विशेष अधिकार
अगर हम अंतरराष्ट्रीय स्तर की बात करें तो हमारा देश खेल से लेकर तकनीक और शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है लेकिन हमे ये बिलकुल भी नहीं भूलना चाहिए की इस प्रगति में पुरुषों के साथ महिलाओं का भी समान योगदान है। आज के समय में हमारे देश की महिलाएं प्रगति करना चाहती है लेकिन अधिकारों की जानकारी के अभाव में वो पीछे रह जाती हैं। तो चलिए आज हम आपको कुछ ऐसे अधिकारों के बारे में बातएंगे जो भारतीय संविधान ने महिलाओं को दिए है। जिसे महिलाएं समाज में अपना आर्थिक, मानसिक, शारीरिक और यौन शोषण से बचाव कर सकें।
- समान वेतन का अधिकार: भारतीय संविधान और समान पारिश्रमिक अधिनियम के अनुसार, लिंग के आधार पर किसी के साथ वेतन या मजदूरी में किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जा सकता।
- उत्पीड़न के खिलाफ अधिकार: भारतीय संविधान और यौन उत्पीड़न अधिनियम के अनुसार अगर ऑफिस में काम के दौरान आपके साथ किसी भी प्रकार का शोषण हो तो आप उसके खिलाफ शिकायत दर्ज करा सकते है।
- संपत्ति पर अधिकार: अगर हम हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत नए नियमों की बात करें तो पुश्तैनी संपत्ति पर महिला और पुरुष दोनों का बराबर का हक होता है।
- गरिमा और शालीनता के लिए अधिकार: अगर किसी मामले में आरोपी कोई महिला है तो उस पर की जाने वाली कोई भी चिकित्सा जांच प्रक्रिया किसी महिला द्वारा या किसी दूसरी महिला की उपस्थिति में ही की जानी चाहिए।
- रात में गिरफ्तार न होने का अधिकार: अगर किसी मामले में कोई महिला आरोपी करार होती है तो भी उस महिला को सूरज डूबने के बाद और सूरज उगने से पहले गिरफ्तार नहीं किया जा सकता। किसी खास मामले में एक प्रथम श्रेण के मजिस्ट्रेट के आदेश पर ही ये संभव है।
- मुफ्त कानूनी मदद के लिए अधिकार: बलात्कार के मामले में किसी भी महिला को मुफ्त कानूनी मदद पाने का पूरा अधिकार है। स्टेशन हाउस आफिसर के लिए ये जरूरी है कि वो विधिक सेवा प्राधिकरण को वकील की व्यवस्था करने के लिए सूचित करे।
- नाम न छापने का अधिकार: भारतीय संविधान के अनुसार यौन उत्पीड़न की शिकार महिलाओं को अपना नाम न छापने देने का अधिकार है। यौन उत्पीड़न की शिकार हुई महिला चाहे तो अपना बयान किसी महिला पुलिस अधिकारी की मौजूदगी में या फिर जिला अधिकारी के सामने दर्ज करा सकती है।
- घरेलू हिंसा के खिलाप: भारतीय संविधान के अनुसार महिलाओं के पास घरेलू हिंसा के खिलाप शिकायत दर्ज करने का अधिकार है। अगर किसी भी महिला के ऊपर किसी भी प्रकार की घरेलू हिंसा होती है तो वो उसके खिलाफ आवाज उठा सकती है।
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9.मातृत्व संबंधी लाभ के लिए अधिकार: मातृत्व लाभ वर्किंग महिलाओं के लिए एक बहुत ही जरूरी और महत्वपूर्ण अधिकार है इस अधिकार के तहत जब एक महिला एक बच्चे को जन्म देती है तो उसके बाद 6 महीने तक उस महिला के वेतन में कोई कटौती नहीं की जाती और 6 महीने बाद फिर से वो काम शुरू कर सकती हैं। यानि उसे कोई काम से नहीं निकल सकता।
10.कन्या भ्रूण हत्या: हमारे देश में सभी लोगों को उनके अधिकार मिलते है तो ऐसे में हर नागरिक का ये कर्तव्य है कि वो एक महिला को उसके मूल अधिकार यानि की जीने के अधिकार’ का अनुभव करने दें। और गर्भाधान और प्रसव से पूर्व पहचान कर के बच्ची की पेट में ही हत्या न करें।
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