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जाने क्यों पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को झेलनी पड़ती है जिम्मेदारियों का मानसिक. बोझ
लाइफस्टाइल

जाने क्यों पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को झेलनी पड़ती है जिम्मेदारियों का मानसिक. बोझ

जाने किन जिम्मेदारियों के कारण महिलाओं को दबना पड़ता है मानसिक बोझ के तले


आपने अपने आस पास देखा होगा कि शादी के बाद दोनों पति और पत्नी नौकरी करते है इस नाते तो दोनों लोगों को मिल कर घर का काम करना चाहिए. लेकिन अक्सर होता कुछ ऐसा है कि दोनों लोगों ऑफिस से भले साथ आये लेकिन लड़का थकान की बात कहते हुए कुछ देर सोफे पर लेट जाता है और गर्मागर्म चाय की मांग करता है. जबकि दूसरी तरफ लड़की ऑफिस से आने के बाद कपडे बदलकर तुरंत किचन में जाती है और चाय बनाती है, बर्तन शेल्फ में लगाती है. और रात के खाने की तैयारी करती है. और इस बिच अगर वो चिड़चिड़ाते हुए दिखती है तो लड़का उससे कहता है “अरे मुझे बता दिया करो ना क्या हेल्प चाहिए. सब्जी काटनी थी तो मुझे बता देती!” तो चलिए आज हम आपको कुछ ऐसे ही जिम्मेदारियों के बारे में बातएंगे जो महिलाओं पर मानसिक बोझ डालती है.

घर की जिम्मेदारी सिर्फ महिलाओं की क्यों

अपने देखा होगा कि अक्सर महिलाएं ऑफिस और घर के बीच सांमजस्य बैठाने में फेल हो जाती है. तो कई महिलाएं तनाव और डिप्रेशन का शिकार हो जाती है. क्योकि घर, ऑफिस और बच्चे सब कुछ एक साथ संभालना उनके लिए थोड़ा मुश्किल हो जाता है. जिसके कारण वो तनाव और डिप्रेशन में चली जाती है, या फिर बहुत ज्यादा चिड़चिड़ी हो जाती है.

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घर की जिम्मेदारियां नौकरी छोड़ने पर करती हैं मजबूर

शादी के बाद अक्सर महिलाओं को नौकरी छोड़नी पड़ती है. क्योंकि किसी भी महिला के लिए सुबह बच्चों का नाश्ता, घर के सारे काम निपटाकर और उसके बाद 10 से 6 की नौकरी करना, शाम को लौटकर फिर बच्चों की पढ़ाई, घर के अन्य काम निपटाना, सास ससुर की देखभाल करना इतने सारे काम एक साथ करना बहुत ज्यादा मुश्किल हो जाते है. जिसके कारण या तो उनको अपनी नौकरी और अपना करियर छोड़ना पड़ता है या फिर वो डिप्रेशन का शिकार हो जाती है.

जाने घर और ऑफिस के बीच तालमेल बैठाते बैठाते हो जाती हैं तनाव का शिकार

मनोवैज्ञानिक के अनुसार नौकरी करने वाली महिलाओं में तनाव उनके घर और ऑफिस दोनों ही कारणों से होता है. आपने भी अक्सर देखा होगा कि पुरूष अक्सर विरोध दर्ज कराकर अपनी भावना और अपना गुस्सा व्यक्त कर देते हैं, जबकि महिलाएं ऐसा कुछ नहीं करती है और न ही वो अपनी समस्याएं किसी से कह पाती हैं. जिसके कारण वो डिप्रेशन का शिकार हो जाती है.

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