क्या सीबीएसई सेलेब्स की कटौती का सीधा असर नई पीढ़ी वोटर पर पड़ेगा?
शिक्षा को राजनीति से अलग रखें-शिक्षा मंत्री
कोरोना महामारी को ध्यान में रखते हुए देश में कई चीजों में बदलाव किया गया है। इस लिस्ट में अब सीबीएसई का सेलेब्स भी शामिल हो गया है। पिछले सप्ताह इस बात की घोषणा की गई है।
अहम बिंदु
- सीबीएसई सेलेब्स में कटौती
- सेलेब्स को लेकर केंद्रीय मंत्री और सीबीएसई का तर्क
- सोशल साइट पर लोगों का गुस्सा और इसका प्रभाव
- किस-किस विषय मे कौन-कौन से चैप्टर हटाए गए हैं
देश में सभी स्कूल मार्च महीने से ही बंद है। जुलाई महीना हो गया है, स्कूल दोबारा कब खुलेगें अभी तक इसकी कोई जानकारी नहीं है। कोरोना का कहर लगातार बढ़ता जा रहा है। ऐसे में स्कूल खोलने का कोई सवाल ही नहीं है। प्राइवेट स्कूल लगातार ऑनलाइन क्लासेस करवा रहे हैं। लेकिन ऑनलाइन कराना इतना आसान नहीं है। हमारी “काम की बात” साप्तहिक ऑर्टिकल के तहत कुछ दिन पहले आपको इस बात की जानकारी दी थी कि टीचर्स को ऑनलाइन क्लास लेने में कौन-कौन सी परेशानियां हो रही है। इसी बीच सीबीएसई द्वारा 30 प्रतिशत सेलेब्स को हटाया गया है। यह कटौती क्लास 9 से 12 तक के सेलेब्स में की गई है। जिसमें आर्ट्स, कॉमर्स और साइंस तीन स्ट्रिम के पाठ शामिल है। यह कटौती सिर्फ सत्र 2020-21 के लिए की गई है।
#CBSE सिलेबस से कुछ टॉपिक की कटौती पर अधूरी जानकारी के आधार पर कई टिप्पणियां की गई हैं। इन टिप्पणियों के माध्यम से झूठ और सनसनी फ़ैलाई जा रही है।
— Dr. Ramesh Pokhriyal Nishank (@DrRPNishank) July 9, 2020
सेलेब्स कटौती पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक का बयान
सेलेब्स कटौती को लेकर शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने ट्विटर पर जानकारी देते हुए कहा है कि सीबीएसई सिलेबस से कुछ टॉपिक कटौती पर अधूरी जानकारी के आधार पर कई टिप्पणियां की गई हैं। इन टिप्पणियों के माध्यम से झूठ और सनसनी फैलाई जा रही है। इसके बाद रमेश पोशरियाल ने सिलेसिलेवार तरीके से कई ट्वीट किए। जिसमें उन्होंने अपनी बात रखी।
उन्होंने कहा कि #CBSE ने अपने ट्विटर हैंडल के जरिए यह स्पष्ट किया है कि स्कूलों को एनसीईआरटी के वैकल्पिक अकादिमक कैलेंडर का पालन करने की सलाह दी गई हैं। उल्लेखित सभी विषयों को वैकल्पिक अकादिम कैंलेंडर के तहत कवर किया गया है।
इसके बाद दूसरे ट्वीट में कहा कि सिलेब्स मे की गई कटौती केवल कोविड19 महामारी के समय में किया गया एक उपाय मात्र है। सेलेब्स को 30 प्रतिशत कम करने का एकमात्र उद्देश्य छात्रों के ऊपर से तनाव और बोझ को कम करना है।
तीसरे ट्वीट में कहा कि यह निर्णय विभिन्न विशेषज्ञों की सलाह-सिफारिशों और हमारे
#SyllabusForStudents2020 अभियान के माध्यम से शिक्षाविदों द्वारा प्राप्त हुए सुझावों के आधार पर लिया गया है। हटाए गए 3-4 टॉपिक जैसे राष्ट्रवाद, स्थानीय सरकार, संघवाद आदि को लेकर गलत अर्थ निकालना बहुत आसान है।
इसके बाद शिक्षा मंत्री निशंक ने हर विषय को लेकर एक-एक ट्वीट किया और बताया कि किस विषय में से किस पाठ और क्यों हटाया गया है। अंतिम ट्वीट में उन्होंने कहा कि अपने बच्चों के प्रति शिक्षा हमारा परम कर्तव्य है। आइए हम शिक्षा को राजनीति से अलग रखें और अपनी राजनीति को और शिक्षित बनाएं। यह हमारा विनम्र निवेदन है।
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1/3 I was going to congratulate @DrRPNishank on reducing the CBSE students' course-load, till i saw what they're deleting: https://t.co/DQKboUeJ6k
So children of Std.X will no longer learn about 'democracy &diversity', 'gender, religion &caste', 'popular struggles& movements'…— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) July 8, 2020
विपक्ष का विरोध, लोगो का गुस्सा और मीम्स
सीबीएसई के सेलेब्स कटौती की मंजूरी के बाद से ही लोग सरकार के इस फैसले का अलग-अलग तरीके से विरोध कर रहे हैं। लगभग सभी सोशल साइट्स पर विरोध के नाम पर तरह-तरह के मीम्स शेयर किए जाने लगे। कुछ लोगों का कहना था कि यह बैंकबेचर के लिए अच्छा है तो कुछ लोगों का कहना है कि सरकार ऐसा करके सवाल पूछने वालों की संख्या को कम करना चाहती है।
वहीं दूसरी ओर विपक्ष ने भी अपनी आपत्ति दर्ज करवाई है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ट्वीट में कहा “मैं यह जानकर अचंभित हूं कि केंद्र सरकार ने कोविड संकट के दौरान पाठ्यक्रम के भार को कम करने के नाम पर नागरिकता, संघवाद, धर्मनिरपेक्षता और विभाजन जैसे विषयों को हटाने का फैसला किया। हम इसका कड़ा विरोध करते है और एचआरडी मंत्रालय को सुनिश्चित करना चाहे कि महत्वपूर्ण पाठों के किसी भी कीमत पर नही हटाया जाए।“
कांग्रेस नेता शशि थरुर ने शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को ट्विटर पर टैग करते हुए कहा पहले मैं सेलेब्स हटाने के लिए बधाई देने वाला था, लेकिन फिर मैंने देखा कि इन लोगों ने क्या हटाया है। उन्होंने लिखा कि अब 10वीं क्लास के बच्चे लोकतंत्र को मिलने वाली चुनौती, धर्म, जाति जैसे विषय नहीं पढ़ पाएंगे। उनका कहना है कि कुछ दिनों पर यही बच्चे वोटर बनेगें और उन्हें राष्ट्रवाद-सेक्युलरिज्म, बंटवारे और पड़ोसियों के साथ संबंध का पाठ नही पठाया जाएगा।
राजधानी एक्सप्रेस में छपी खबर के अनुसार एनसीआरटी के पूर्व डायरेक्टर कृष्ण कुमार का कहना है कि सरकार ने जिन चैप्टर को हटाने का फैसला किया है उसमें अंर्तविरोध है, आप संघवाद के चैप्टर को हटाकर संविधान बच्चों को पढाएं- ये कैसे होगा? आप सोशल मूवमेंट के चैप्टर को हटाएं और इतिहास पढ़ाएं – ये कैसे होगा? इतिहास सोशल मूवमेंट से ही तो निकलती है, ये पहल बच्चों में रटने की प्रकृति को बढ़ाना देगी।
वेबदुनिया वेबसाइट में छपी खबर के अनुसार मॉडर्न पब्लिक स्कूल, शालीमार के प्रधानअध्यापिका अलका कपूर का कहना है कि ऑनलाइन शिक्षा एक अच्छा जरिया है। इसकी कुछ सीमाएं है। मेरा मानना है कि पाठ्यक्रम मे कमी एक उचित कदम है क्योंकि कई छात्र जो ग्रामीण अल्पविकसित क्षेत्रों में रहते हैं वे शिक्षा से वंचित थे क्योंकि उसकी उपकरणों, बिजली की आपूर्ति और पर्याप्त बैंडविड्थ तक पहुंच नहीं थी, दो ऑनलाइन शिक्षा के पूर्व अपेक्षाएं हैं। उन्होंने कहा कि इस संबंध में पाठ्यक्रम में भी कमी समझ में आती है।
डीएवी पब्लिक स्कूल, गुडगांव के एक प्रतिनिधि ने कहा कि पाठ्यक्रम में कमी एक स्वागत योग्य कदम है।
ग्रीन फील्ड्स स्कूल की रुक्मिणी झा का कहना है कि असाधारण स्थितियों की जरुरत होती है। सरकार को यह भी यह स्पष्ट भी करना चाहिए कि क्या प्रवेश परीक्षा के लिए पाठ्यक्रम कम किया जाएगा या वही रहेगा।
हटाए गए चैप्टर
- धर्मनिरपेक्षता, नागरिकता, लोकतांत्रिक अधिकारों, स्थानीय सरकार, संघवाद, राष्ट्रवाद, पड़ोसी देश
- अर्थशास्त्र (Economics) से परिक्षेपण के माप (Measure of Dispersion), भुगतान संतुलन में घाटा (Balance of Payments Deficit)
- भौतिक विज्ञान (Phyics) हीट इंजन और रेफ्रिजरेटर, हीट ट्रांसफर, कन्वेन्शन और रेडिएशन।
- गणित (Maths) प्रॉपर्टिस ऑफ डिटरमिनेंट्स कंसिसटेंसी, इनकंसिसटेंसी, नंबर ऑफ सॉल्युशन ऑफ सिस्टम ऑफ लीनियर इकुएशन बाय एक्जाम्पल एंड बायनॉमियल प्रोबैब्लिटी डिस्ट्रीब्यूशन।
- जीव विज्ञान (Life Science/Biology) खनिज पोषण के कुछ अंश, पाचन, अवशोषण।
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