International Mountain Day: अंतर्राष्ट्रीय पर्वत दिवस, पृथ्वी की शान और पर्यावरण की ढाल हैं हमारे पर्वत
International Mountain Day, हर वर्ष 11 दिसंबर को विश्वभर में ‘अंतर्राष्ट्रीय पर्वत दिवस’ (International Mountain Day) मनाया जाता है।
International Mountain Day : अंतर्राष्ट्रीय पर्वत दिवस 2025, जलवायु संतुलन और जीवन रक्षक हैं पर्वत
International Mountain Day, हर वर्ष 11 दिसंबर को विश्वभर में ‘अंतर्राष्ट्रीय पर्वत दिवस’ (International Mountain Day) मनाया जाता है। यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि पर्वत न केवल प्राकृतिक सौंदर्य के प्रतीक हैं, बल्कि पृथ्वी के पारिस्थितिक तंत्र, जलवायु संतुलन और मानव जीवन के लिए भी अत्यंत आवश्यक हैं। संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा इस दिवस की शुरुआत पर्वतीय पारिस्थितिकी और सतत विकास के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से की गई थी।
अंतर्राष्ट्रीय पर्वत दिवस का इतिहास
अंतर्राष्ट्रीय पर्वत दिवस की शुरुआत का विचार 1992 में रियो डी जनेरियो (ब्राज़ील) में हुए “संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण और विकास सम्मेलन” (Earth Summit) से जुड़ा है। उस सम्मेलन में पर्वतीय क्षेत्रों के सतत विकास और संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया गया था।इसके बाद 2002 को संयुक्त राष्ट्र ने “अंतर्राष्ट्रीय पर्वत वर्ष (International Year of Mountains)” घोषित किया। इसी पहल की सफलता के बाद 2003 से हर वर्ष 11 दिसंबर को “अंतर्राष्ट्रीय पर्वत दिवस” के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य पर्वतों की पारिस्थितिक, सांस्कृतिक और आर्थिक महत्ता को उजागर करना है।
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पर्वतों का महत्व
पर्वत पृथ्वी की जलवायु, जैव विविधता और मानव जीवन में अहम भूमिका निभाते हैं। आइए जानते हैं कि पर्वत क्यों इतने जरूरी हैं:
- जल का स्रोत:
विश्व की लगभग 60% आबादी को मीठा पानी पर्वतों से ही प्राप्त होता है। हिमालय, एंडीज़, आल्प्स जैसे पर्वत श्रृंखलाएं बड़े-बड़े नदियों का स्रोत हैं। - जैव विविधता का केंद्र:
पर्वतीय क्षेत्रों में असंख्य प्रकार के पौधे, जीव-जंतु और औषधीय वनस्पतियाँ पाई जाती हैं, जो धरती की जैव विविधता को समृद्ध करती हैं। - जलवायु संतुलन:
पर्वत पृथ्वी के तापमान और मौसम के पैटर्न को नियंत्रित करते हैं। वे वनों और हिमनदों के माध्यम से ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव को कम करते हैं। - सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व:
भारत में हिमालय को “देवभूमि” कहा जाता है। यहाँ अनेक तीर्थ स्थल जैसे कैलाश मानसरोवर, बद्रीनाथ, केदारनाथ, और अमरनाथ पर्वतों में ही स्थित हैं। - पर्यटन और आजीविका:
पर्वतीय क्षेत्र साहसिक पर्यटन (एडवेंचर टूरिज्म), ट्रेकिंग, स्कीइंग और तीर्थ यात्राओं के लिए प्रसिद्ध हैं, जिससे लाखों लोगों को रोजगार मिलता है।
पर्वतीय क्षेत्रों की समस्याएं
हालांकि पर्वत हमारे जीवन के लिए आवश्यक हैं, लेकिन आज वे कई तरह के खतरों का सामना कर रहे हैं:
- जलवायु परिवर्तन (Climate Change):
ग्लोबल वार्मिंग के कारण हिमालय और अन्य पर्वतों के ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं, जिससे नदियों के जलस्तर और पारिस्थितिकी तंत्र पर गंभीर असर पड़ रहा है। - वनों की कटाई (Deforestation):
तेजी से बढ़ती जनसंख्या और निर्माण कार्यों के कारण पर्वतीय वनों का विनाश हो रहा है, जिससे मिट्टी कटाव और भूस्खलन की घटनाएं बढ़ रही हैं। - प्रदूषण:
पर्यटन गतिविधियों और शहरीकरण से पर्वतीय इलाकों में प्लास्टिक और कचरे की समस्या बढ़ रही है। - स्थानीय समुदायों की चुनौतियाँ:
पर्वतीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के अवसरों की कमी झेलनी पड़ती है।
अंतर्राष्ट्रीय पर्वत दिवस का उद्देश्य
इस दिवस को मनाने के पीछे कुछ मुख्य उद्देश्य हैं –
- पर्वतीय पारिस्थितिकी और संसाधनों के संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाना।
- स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाना और उन्हें सतत विकास से जोड़ना।
- पर्वतीय क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को समझना और समाधान ढूंढना।
- सरकारों और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं को पर्वतीय नीतियों पर एकजुट करना।
हर वर्ष संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) इस दिवस के लिए एक विशेष थीम (Theme) घोषित करता है, जो उस वर्ष पर्वतों से जुड़ी प्रमुख चुनौती या अवसर पर केंद्रित होती है।
पर्वतों की रक्षा के लिए क्या कर सकते हैं हम
पर्वतों के संरक्षण के लिए केवल सरकारों की ही नहीं, बल्कि आम लोगों की भी भूमिका जरूरी है। हम कुछ सरल कदम उठाकर इसमें योगदान दे सकते हैं –
- पर्वतीय यात्राओं में प्लास्टिक या गैर-बायोडिग्रेडेबल वस्तुओं का उपयोग न करें।
- पेड़ लगाएं और वनों की रक्षा करें।
- स्थानीय पर्वतीय उत्पादों (हर्बल चाय, शहद, हस्तशिल्प आदि) को बढ़ावा दें।
- पर्यावरण-अनुकूल पर्यटन (Eco-Tourism) को प्रोत्साहित करें।
- सोशल मीडिया पर पर्वत संरक्षण से जुड़ी जानकारियाँ साझा करें।
भारत और पर्वत दिवस
भारत पर्वतीय सौंदर्य से समृद्ध देश है। हिमालय, अरावली, नीलगिरी, सतपुड़ा, और विंध्याचल जैसी पर्वत श्रृंखलाएं न केवल देश के प्राकृतिक सौंदर्य को बढ़ाती हैं, बल्कि जलवायु और कृषि को भी प्रभावित करती हैं। भारत में भी 11 दिसंबर को विभिन्न राज्यों में पर्वत दिवस के अवसर पर रैलियाँ, जागरूकता कार्यक्रम, वृक्षारोपण अभियान और संगोष्ठियाँ आयोजित की जाती हैं। अंतर्राष्ट्रीय पर्वत दिवस हमें यह सिखाता है कि पर्वत केवल धरती के ऊँचे शिखर नहीं हैं, बल्कि जीवन के आधार स्तंभ हैं। यदि हम पर्वतों की रक्षा नहीं करेंगे, तो जल, वायु और जीवन – सभी खतरे में पड़ जाएंगे। इसलिए हमें मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारे पर्वत सुरक्षित रहें, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ भी इनकी सुंदरता और उपयोगिता का आनंद ले सकें।
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