World Fisheries Day: विश्व मत्स्य दिवस 2025, समुद्री जीवन के संरक्षण और मछुआरों के सम्मान का प्रतीक
World Fisheries Day, हर साल 21 नवंबर को विश्व मत्स्य दिवस (World Fisheries Day) मनाया जाता है। यह दिन मछलीपालन, समुद्री पारिस्थितिकी और मत्स्य संसाधनों के सतत उपयोग के महत्व को उजागर करता है।
World Fisheries Day : सागर की देन, जीवन का पोषण, जानिए विश्व मत्स्य दिवस का इतिहास और उद्देश्य
World Fisheries Day, हर साल 21 नवंबर को विश्व मत्स्य दिवस (World Fisheries Day) मनाया जाता है। यह दिन मछलीपालन, समुद्री पारिस्थितिकी और मत्स्य संसाधनों के सतत उपयोग के महत्व को उजागर करता है। मत्स्य पालन न केवल भोजन का एक प्रमुख स्रोत है, बल्कि यह करोड़ों लोगों की जीविका, रोजगार और आर्थिक स्थिरता से भी जुड़ा हुआ है। इस दिन का उद्देश्य लोगों को जल संरक्षण, मछलियों के संरक्षण और समुद्री प्रदूषण को रोकने के प्रति जागरूक करना है।
विश्व मत्स्य दिवस का इतिहास
विश्व मत्स्य दिवस की शुरुआत 1997 में “World Fisheries Forum” के गठन के साथ हुई थी। इस फोरम की स्थापना 18 नवंबर 1997 को नई दिल्ली (भारत) में हुई थी, जब दुनिया के 18 देशों के मछुआरे और मछलीपालन समुदाय एक साथ आए थे। उनका मुख्य उद्देश्य था वैश्विक मत्स्य नीति में स्थायी विकास (Sustainable Development) को बढ़ावा देना और छोटे मछुआरों के अधिकारों की रक्षा करना। तब से, हर साल 21 नवंबर को यह दिन दुनिया भर में मनाया जाता है ताकि लोगों को यह याद दिलाया जा सके कि जल संसाधन अमूल्य हैं और इनका संरक्षण आवश्यक है।
मत्स्य पालन का महत्व
मछली मानव आहार में प्रोटीन और ओमेगा-3 फैटी एसिड का एक उत्कृष्ट स्रोत है। यह दिल की बीमारियों को रोकने, मस्तिष्क के विकास को बढ़ावा देने और स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने में मदद करती है। विश्व स्तर पर लगभग 15 करोड़ लोग मत्स्य उद्योग से जुड़े हैं, जिनमें से अधिकतर विकासशील देशों में रहते हैं। भारत में भी मत्स्य पालन एक प्रमुख आर्थिक गतिविधि है। यह देश की GDP में लगभग 1.2% और कृषि GDP में लगभग 7% का योगदान देता है।
भारत और मत्स्य पालन
भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश है। यहां मीठे पानी और समुद्री दोनों प्रकार के मत्स्य पालन का व्यापक विकास हुआ है। राज्य जैसे आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, केरल, ओडिशा और गुजरात इस क्षेत्र में अग्रणी हैं।
भारत सरकार ने “नीली क्रांति (Blue Revolution)” और “प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY)” जैसी योजनाओं के माध्यम से इस क्षेत्र को प्रोत्साहन दिया है। इन योजनाओं का उद्देश्य मछुआरों की आय बढ़ाना, नई तकनीकों को बढ़ावा देना और समुद्री पारिस्थितिकी को सुरक्षित रखना है।
विश्व मत्स्य दिवस का उद्देश्य
विश्व मत्स्य दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य है —
- मत्स्य संसाधनों की सुरक्षा और संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाना।
- जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण से प्रभावित हो रहे समुद्री जीवन की रक्षा करना।
- मछुआरों और मत्स्यपालन से जुड़े लोगों के अधिकार और कल्याण को बढ़ावा देना।
- सतत मत्स्य पालन (Sustainable Fisheries) को बढ़ावा देना ताकि आने वाली पीढ़ियाँ भी इन संसाधनों का लाभ उठा सकें।
मत्स्य पालन और पर्यावरणीय चुनौतियाँ
वर्तमान समय में मत्स्य उद्योग कई गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहा है —
- अत्यधिक मछली पकड़ना (Overfishing)
- समुद्री प्रदूषण और प्लास्टिक कचरा
- जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्र का तापमान बढ़ना
- जल स्रोतों का सिकुड़ना और प्रदूषित होना
इन समस्याओं के कारण समुद्री जीवों की कई प्रजातियाँ विलुप्त होने के कगार पर हैं।
इसलिए सतत विकास की नीतियाँ और सामुदायिक भागीदारी बेहद जरूरी हैं।
सतत मत्स्य पालन (Sustainable Fisheries)
सतत मत्स्य पालन का अर्थ है —
मछलियों और अन्य जलीय जीवों का ऐसा दोहन जिससे प्राकृतिक संतुलन बना रहे और पारिस्थितिकी पर नकारात्मक प्रभाव न पड़े।
इसके लिए जरूरी है —
- मछलियों की प्रजनन अवधि में शिकार पर रोक लगाना।
- अवैध मछली पकड़ने पर सख्त नियंत्रण।
- कृत्रिम मत्स्य पालन (Aquaculture) को बढ़ावा देना।
- जल स्रोतों की सफाई और संरक्षण को प्राथमिकता देना।
विश्व मत्स्य दिवस पर आयोजन और कार्यक्रम
हर साल 21 नवंबर को विभिन्न देशों में अनेक गतिविधियाँ आयोजित की जाती हैं —
- मछुआरा समुदायों द्वारा रैलियाँ और सेमिनार।
- सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा जागरूकता अभियान।
- स्कूलों और कॉलेजों में मत्स्य पालन और जल संरक्षण पर निबंध प्रतियोगिताएँ।
- मछुआरों को सम्मानित किया जाता है जिन्होंने सतत विकास में योगदान दिया हो।
भारत में भी इस दिन मत्स्य विभाग (Department of Fisheries) द्वारा विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिनमें नई योजनाएँ और अनुसंधान रिपोर्टें जारी की जाती हैं।
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मछुआरों का योगदान और जीवन
मछुआरे न केवल समुद्र की संपदा को देश तक पहुंचाते हैं, बल्कि वे जलवायु परिवर्तन के सीधे प्रभावों को झेलते हैं।
उनका जीवन कठिन होता है कभी समुद्री तूफान, तो कभी घटती मछलियों की संख्या। विश्व मत्स्य दिवस का उद्देश्य इन मेहनती लोगों के जीवन और उनके योगदान को सम्मान देना भी है। विश्व मत्स्य दिवस हमें यह याद दिलाता है कि जल ही जीवन है, और मछलियाँ इस पारिस्थितिक श्रृंखला की महत्वपूर्ण कड़ी हैं। अगर हमें अपने समुद्रों, नदियों और झीलों को आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रखना है, तो हमें सतत मत्स्य पालन और जल संरक्षण को जीवनशैली का हिस्सा बनाना होगा।
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