Naraka Chaturdashi: नरक चतुर्दशी 2025, अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक पर्व
Naraka Chaturdashi, भारत में दीपावली से पहले मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण पर्व है नरक चतुर्दशी। यह पर्व दीपोत्सव का प्रारंभ माना जाता है और इसे छोटी दिवाली या काली चौदस के नाम से भी जाना जाता है।
Naraka Chaturdashi : छोटी दिवाली यानी नरक चतुर्दशी, जानिए पूजा विधि, महत्व और कथा
Naraka Chaturdashi, भारत में दीपावली से पहले मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण पर्व है नरक चतुर्दशी। यह पर्व दीपोत्सव का प्रारंभ माना जाता है और इसे छोटी दिवाली या काली चौदस के नाम से भी जाना जाता है। यह दिन भगवान कृष्ण द्वारा असुर नरकासुर पर विजय प्राप्त करने की स्मृति में मनाया जाता है। नरक चतुर्दशी बुराई पर अच्छाई, अंधकार पर प्रकाश और आलस्य पर कर्म की जीत का प्रतीक है।
नरक चतुर्दशी 2025 की तिथि और मुहूर्त
वर्ष 2025 में नरक चतुर्दशी का पर्व 20 अक्टूबर, सोमवार को मनाया जाएगा।
यह दिन कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को पड़ता है, जो अमावस्या (दीपावली) से एक दिन पहले होती है।
पूजा मुहूर्त (2025):
- स्नान और दीपदान का शुभ समय: प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त से लेकर सूर्योदय तक
- चतुर्दशी तिथि प्रारंभ: 19 अक्टूबर रात्रि 10:22 बजे
- चतुर्दशी तिथि समाप्त: 20 अक्टूबर रात्रि 11:10 बजे
इस दिन सूर्योदय से पहले स्नान और तिल, तेल व उबटन से अभिषेक करने का विशेष महत्व माना गया है।
Read More : Vitamin B12: गर्भवती महिलाओं के लिए जरूरी चेतावनी, विटामिन B12 की कमी बन सकती है बड़ी परेशानी
नरक चतुर्दशी का पौराणिक महत्व
पौराणिक कथाओं के अनुसार, असुर राजा नरकासुर ने अपनी तपस्या और शक्ति के बल पर देवताओं और पृथ्वीवासियों को परेशान करना शुरू कर दिया था। उसने कई स्त्रियों को बंदी बना लिया था और स्वर्गलोक तक पर कब्ज़ा करने की कोशिश की। तब भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा के साथ मिलकर नरकासुर का वध किया। युद्ध के दौरान सत्यभामा ने बाण चलाकर नरकासुर का अंत किया। इस विजय का दिन ही नरक चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है। भगवान कृष्ण ने इस दिन कहा था कि जो व्यक्ति इस दिन सूर्योदय से पहले स्नान कर, दीपदान करेगा, उसे नरक के दुखों का सामना नहीं करना पड़ेगा। इसलिए इस पर्व को नरक से मुक्ति का दिन भी कहा जाता है।
धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व
नरक चतुर्दशी केवल पौराणिक विजय का प्रतीक नहीं, बल्कि आत्मिक शुद्धि और नकारात्मकता के अंत का संदेश देती है।
- यह दिन व्यक्ति को अपने भीतर की बुराइयों — जैसे क्रोध, लालच, आलस्य और द्वेष — को समाप्त करने का अवसर देता है।
- यह आध्यात्मिक रूप से आत्मा को पवित्र करने का दिन माना जाता है।
- दीपदान का अर्थ है अपने जीवन में प्रकाश और सकारात्मकता का स्वागत करना।
इस दिन के स्नान और दीपदान को “अभ्यंग स्नान” कहा जाता है, जिससे व्यक्ति के शरीर, मन और आत्मा का शुद्धिकरण होता है।
Read More : A Knight of the Seven Kingdoms: GOT का नया धमाका, ‘A Knight of the Seven Kingdoms’ स्पिन-ऑफ का ट्रेलर आउट!
अभ्यंग स्नान का महत्व
नरक चतुर्दशी के दिन स्नान को विशेष महत्व दिया गया है। मान्यता है कि भगवान कृष्ण ने नरकासुर वध के बाद स्नान किया था, इसलिए इस दिन स्नान को “पवित्रता का प्रतीक” माना गया।
- लोग इस दिन तिल, चंदन, हल्दी, उबटन और तेल से स्नान करते हैं।
- स्नान से पहले तिल के तेल से शरीर पर मालिश की जाती है, जिसे “अभ्यंग स्नान” कहा जाता है।
- माना जाता है कि ऐसा करने से शरीर के दोष दूर होते हैं और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
दीपदान की परंपरा
नरक चतुर्दशी की संध्या को दीपक जलाकर घर, मंदिर और आंगन को रोशन किया जाता है।
- यह अंधकार को मिटाने और सकारात्मक ऊर्जा का स्वागत करने का प्रतीक है।
- लोग अपने घर के मुख्य द्वार, तुलसी चौरा, रसोईघर और जल स्रोतों के पास दीप जलाते हैं।
- कुछ लोग मानते हैं कि इस दिन जलाया गया दीपक पितरों और देवताओं तक प्रकाश पहुँचाता है।
पूजा विधि
नरक चतुर्दशी की पूजा विधि सरल और पवित्र भाव से की जाती है —
- प्रातःकाल स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- घर के मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण, यमराज और माता लक्ष्मी की पूजा करें।
- दीपक, धूप, पुष्प, चंदन और मिठाई अर्पित करें।
- “ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः” मंत्र का जप करें।
- संध्या के समय दीपदान करें और परिवार सहित भगवान का स्मरण करें।
छोटी दिवाली और नरक चतुर्दशी
कई स्थानों पर नरक चतुर्दशी को छोटी दिवाली कहा जाता है।
- इस दिन लोग अपने घरों की सजावट शुरू कर देते हैं।
- आतिशबाजी, मिठाइयों और दीपों की रोशनी से वातावरण उत्सवमय बन जाता है।
- छोटी दिवाली के दिन घरों की साफ-सफाई और अगले दिन आने वाली मां लक्ष्मी के स्वागत की तैयारी की जाती है।
नरक चतुर्दशी का संदेश
नरक चतुर्दशी हमें यह सिखाती है कि —
- असली नरक हमारे भीतर के नकारात्मक विचार हैं।
- हमें अपनी आत्मा को प्रकाशमय बनाना चाहिए।
- भगवान कृष्ण की तरह हमें भी अपने जीवन से “नरकासुर” रूपी बुराइयों का अंत करना चाहिए।
यह दिन यह संदेश देता है कि जीवन में अगर प्रकाश चाहिए तो पहले अंधकार को मिटाना होगा — चाहे वह बाहरी हो या भीतर का।
नरक चतुर्दशी केवल एक पौराणिक कथा नहीं, बल्कि जीवन दर्शन है। यह दिन हमें सिखाता है कि आत्मिक स्वच्छता और अच्छाई ही सच्ची समृद्धि का मार्ग हैं।
We’re now on WhatsApp. Click to join.
अगर आपके पास भी हैं कुछ नई स्टोरीज या विचार, तो आप हमें इस ई-मेल पर भेज सकते हैं info@oneworldnews.com







