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America Vs China: अमेरिका ने छीना चीन से विकासशील देश का दर्जा, आग बबूला हुआ ड्रैगन

अमेरिकी संसद में चीन को आर्थिक तौर पर कमजोर करने के लिए पिछले दिनों एक नए कानून को मजूंरी दे दी गई है। इस नए कानून का उद्देश्य चीन के विकासशील देश के स्टेट्स को हटाना है।

America Vs China: अब नहीं ले पाएगा चीन सस्ते ब्याज दरों पर कर्ज, जानिए क्या है पुरा मामला

America Vs China: दरअसल बात ये है कि चीन अपने विकासशील देश होने के स्टेट्स का खूब फायदा उठाता है। वह विश्व बैंक जैसे वित्तीय संस्थाओं से सस्ते कर्ज लेकर अविकसित देशों को महंगी शर्तों पर लोन देकर उन्हें कर्ज के जाल में फंसा लेता है। लेकिन अब बिल को मंजूरी मिलने के बाद अब ऐसा कोई भी वित्तीय संस्थान जिसकी फंडिंग में अमेरिका शामिल है, वह आसानी से या सस्ती दर पर चीन को लोन नहीं दे पाएगा। अमेरिकी संसद में ये माना गया कि चीन अब दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। ऐसे में उसे अन्य विकासशील देशों की तरह रियायत नहीं दी जा सकती।

चीन की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर

अमेरिका के इस कदम का चीन की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ेगा। वर्ल्ड बैंक और दूसरे फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस से उसे अब आसानी से और कम ब्याज पर लोन नहीं मिल सकेगा। अभी तक चीन विकासशील देश के दर्जे की वजह से खुद तो आसान और सस्ता कर्ज लेता था, लेकिन गरीब देशों को कठोर शर्तों पर लोन देकर अपने जाल में फंसा लेता था।

ड्रैगन अब दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी

आपको बता दें कि अमेरिका 26.854 ट्रिलियन डॉलर के साथ दुनिया की सबसे बड़ी इकॉनमी है। वहीं, चीन 19.374 ट्रिलियन डॉलर के साथ दूसरी सबसे बड़ी इकॉनमी है। चीन के बाद जापान 4.410 ट्रिलियन डॉलर के साथ तीसरे नंबर और जर्मनी 4.309 ट्रिलियन के साथ चौथे नंबर पर है।

अब इसका तकनीकी असर समझिए

1. अमेरिकी सीनेट में फॉरेन रिलेशन कमेटी होती है। इसकी पहल पर ही चीन का डेवलपिंग कंट्री स्टेटस छीना         गया है। फ्यूचर में अमेरिकी सरकार या उसकी फंडिंग हासिल करने वाला कोई भी इंटरनेशनल   ऑर्गेनाइजेशन चीन को इकोनॉमी या टेक्नोलॉजी फ्रंट पर रियायत नहीं देगा।

2. इस बिल का सबसे ज्यादा इस्तेमाल विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन करेंगे। ये ब्लिंकन ही थे, जिन्होंने संसद में कहा था कि चीन अब दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी और विकसित देश है। लिहाजा, उसके    स्टेटस में बदलाव जरूरी है।

3. संसद ने माना कि चीन को अब सुविधाएं और राहत नहीं दी जा सकतीं, जो एक डेवलपिंग कंट्री को मिलती    हैं। वो दूसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी है। उसके पास बड़ी और ताकतवर फौज है। इसके अलावा उसने   दुनिया के कई हिस्सों में अरबों डॉलर के इन्वेस्टमेंट किए हैं। बिल के मुताबिक ये शीशे की तरह साफ है कि चीन डेवलपिंग कंट्री स्टेटस का नाजायज फायदा उठा रहा है।

गरीब देशों को महंगी ब्याज दरों पर कर्ज दिया

चीन ने जो सस्ता कर्ज हासिल किया, उसका इस्तेमाल ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ में किया गया। सस्ता कर्ज लेकर उसने इसे गरीब देशों को महंगी ब्याज दरों पर दिया। इसका नुकसान ये हुआ कि गरी देश     चीन के कर्ज जाल में फंसते चले गए। अब वो इन देशों की जमीन और संस्थानों पर कब्जा कर रहा है।

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