Women Freedom Fighters : देश की इन महिलाओं ने अंग्रेजों के छुड़ा दिए थे छक्के, आजादी में था बड़ा रोल
Women Freedom Fighters : सरोजिनी नायडू से लेकर रानी लक्ष्मीबाई तक ऐसी विरांगनाएँ जिन पर है देश को है गर्व
Highlights –
. हमारे देश में हर साल 15 अगस्त को आजादी का जश्न मनाया जाता है।
. देश में कुछ ऐसी महिलाएं हुईं जिन्होंने देश के लिए किए कई त्याग
Women Freedom Fighters : हमारे देश में हर साल 15 अगस्त को आजादी का जश्न मनाया जाता है। इस दिन हमारे देश को 200 साल तक अंग्रेजों की गुलामी से आजादी मिली थी। आपको बता दें कि इस बार हमारा देश 15 अगस्त को अपनी आजादी के 76 साल पूरे कर लेगा। भारत को आजादी 15 अगस्त 1947 को मिली थी। लेकिन आज भी देशवासियों के दिल में उन लोगों के लिए प्यार और सम्मान कम नहीं हुआ हैं जिन्होंने आजादी के खातिर अपनी जान गंवा दी। आपको बता दें कि देश की आजादी के लिए कुर्बानी देने और देश के लिए लड़ने वाले वीरों में देश की कई महिलाएं भी शामिल थी। तो चलिए आज हम आपको आजादी के 76 साल पूरे होने पर कुछ ऐसी महिलाओं के बारे में बताएंगे जिन्होंने देश को आजादी दिलाने के लिए छोड़ा अपने घर का ऐशो आराम और दिए कई योगदान।
कस्तूरबा गांधी
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में कस्तूरबा गांधी का नाम बड़े ही सम्मान के साथ लिया जाता है। कस्तूरबा गांधी मोहनदास करमचंद गांधी की पत्नी थीं। देश की आजादी के लिए महात्मा गांधी और कस्तूरबा गांधी ने बहुत योगदान दिए हैं। कस्तूरबा गांधी उन महिलाओं में से हैं जिनका योगदान देश के लिए सर्वोपरि हैं। महिला स्वतंत्रता सेनानी के रूप में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आम जनों के अधिकारों के लिए लड़ने से लेकर अंग्रेजों के खिलाफ आवाज़ उठाने तक कस्तूरबा गांधी ने देश की आजादी में अपनी भूमिका बेहतरीन तरीके से निभाई।
सरोजिनी नायडू:
क्या आपको पता है सरोजिनी नायडू को भारतीय कोकिला के नाम से भी जाना जाता है। सरोजिनी नायडू सिर्फ स्वतंत्रता संग्राम सेनानी ही नहीं बल्कि एक बहुत अच्छी कवियत्री भी थीं। सरोजिनी नायडू ने खिलाफत आंदोलन की बागडोर संभालते हुए अंग्रेजों को भारत से बाहर निकालने में अहम योगदान दिया।
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लक्ष्मी सहगल:
आपको बता दें कि लक्ष्मी सहगल पेशे से एक डॉक्टर हैं लेकिन उसके बाद भी उन्होंने सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर प्रमुख भूमिका निभाई। इतना ही नहीं लक्ष्मी सहगल ने साल 2002 के राष्ट्रपति चुनावों में भी हिस्सेदारी निभाई। वो राष्ट्रपति चुनाव में वाम मोर्चे की उम्मीदवार थीं। लेकिन उसके बाद एपीजे अब्दुल कलाम ने उन्हें हरा दिया था। इतना ही नहीं नेताजी सुभाष चंद्र बोस की अटूट अनुयायी के तौर पर लक्ष्मी सहगल इंडियन नेशनल आर्मी में शामिल हुईं थीं। उन्हें साल 1998 में पद्म विभूषण से नवाजा गया था।
अरुणा आसफ:
आपको बता दें कि अरूणा आसफ अली को आजादी की लड़ाई में लड़ने वाली एक सक्रिय कार्यकर्ता के रूप में जाना जाता है। उन्होंने नमक सत्याग्रह में भाग लिया और लोगों को अपने साथ जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इतना ही नहीं इसके साथ ही वो ‘इंडियन नेशनल कांग्रेस’ की एक सक्रिय सदस्या भी रही थीं।
कमला नेहरू:
कमला नेहरू बहुत छोटी उम्र में ही जवाहर लाल नेहरू की पत्नी बन गई थीं। पहले कमला नेहरू बहुत ही शांत स्वभाव की महिला थी लेकिन बाद में वह शांत स्वभाव की महिला लौह स्त्री साबित हुई। लेकिन इस दौरान उन्होंने धरने, जुलूस, भूख हड़ताल में भाग लिया।वह देश की आजादी के लिए जेल की पथरीली धरती पर भी सोईं।
रानी लक्ष्मी बाई:
रानी लक्ष्मीबाई को देश का कौन शख्स नहीं जानता। जब भी हमारे देश में नारी सशक्तिकरण की बात होती है तो रानी लक्ष्मी बाई की बात जरूर होती है। देश के पहले स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली रानी लक्ष्मीबाई के अप्रतिम शौर्य से चकित अंग्रेजों ने भी उनकी प्रशंसा की थी। रानी लक्ष्मीबाई देश की सशक्त महिलाओं की श्रेणी में आती हैं।
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सावित्रीबाई फुले
देश के लिए सराहनीय कार्य करने वाली महिलाओं में से एक हैं। सावित्रीबाई फुले ने न ही सिर्फ भारत की आज़ादी में एक अहम भूमिका निभाई है बल्कि उनका योगदान देश की शिक्षा में अहम रहा। वह भारत की पहली महिला शिक्षिका हैं। उन्होंने न ही सिर्फ देश में लड़कियों की शिक्षा के लिए संघर्ष किया बल्कि कुरीतियों के खिलाफ भी आवाज़ उठाई। बाल – विवाह, छुआ – छूत, सती प्रथा जैसी कुरीतियों के खिलाफ लड़ाई लड़ी और जरूरतमंद महिलाओं की मदद की।