S*X Education India: सेक्स एजुकेशन क्यों है जरूरी, भारत में क्यों नहीं है इसकी आज़ादी ?
S*X Education India: सेक्स एजुकेशन के साथ – साथ बहुत कुछ सिखाती है छतरीवाली, डालें एक नज़र
Highlights:
- भारत में ज्यादातर स्कूलों में सेक्स एजुकेशन को महत्व नहीं दिया जाता है। लोगों को अब थोड़ा हटकर सोचने की जरूरत है क्योंकि देश अब तेजी से आगे बढ़ रहा है।
- दो हफ्ते पहले ओटीटी प्लेटफॉर्म जी5 पर रिलीज हुई फिल्म छतरीवाली लगातार हलचल मचाए हुए है।
S*X Education India: हमारे देश की संस्कृति दूसरे देशों के मुकाबले बहुत अलग मानी जाती है। यही कारण है कि हम भारतीय बहुतों से अलग हैं। हमारे भारत की संस्कृति ऐसी है जिस पर हमें गर्व होना चाहिए लेकिन बहुत सी चीजें ऐसी भी हैं जिन्हें समय के साथ – साथ बदलने की ख़ास आवश्यकता है।
ऐसे कई सवाल हैं जिनके जवाब हम सब तलाश रहे हैं। भारत में ज्यादातर स्कूलों में सेक्स एजुकेशन को महत्व नहीं दिया जाता है। लोगों को अब थोड़ा हटकर सोचने की जरूरत है क्योंकि देश अब तेजी से आगे बढ़ रहा है। लोग मानते हैं कि सेक्स पर बातचीत करना ठीक नहीं होता। लेकिन अब समय बदल रहा है तो लोगों को क्या अपनी सोच भी बदलनी चाहिए।
दो हफ्ते पहले ओटीटी प्लेटफॉर्म जी5 पर रिलीज हुई फिल्म छतरीवाली लगातार हलचल मचाए हुए है। रकुल प्रीत सिंह की इस फिल्म को समीक्षकों के बाद दर्शकों की भी प्रशंसा मिली है और इसे देखा जा रहा है। फिल्म सेक्स एजुकेशन के मुद्दे पर है। साथ ही इसमें बताया गया है कि वैवाहिक संबंधों में गर्भनिरोधक उपाय अपनाने की जिम्मेदारी सिर्फ महिला की नहीं है।
रकुल ने फिल्म को लेकर बताया कि लोग फिल्म देख रहे हैं, इससे ज्यादा संतोषजनक बात छतरीवाली से जुड़े वे मैसेज हैं, जो मुझे सोशल मीडिया और फोन पर मिल रहे हैं। मुझे मैसेज करने वाली ज्यादातर महिलाएं हैं और कई टीजर्स ने भी मुझे मैसेज भजे हैं कि उन्होंने अपने अनेक छात्रों को या तो छतरीवाली दिखा दी है या यह फिल्म देखने को कहा है, ताकि सेक्स एजुकेशन को लेकर उनकी भ्रांतियां दूर हो सकें। रकुल ने कहा कि यह मैसेज वाकई दिल को बहुत सुकून देने वाले हैं कि फिल्म को उसकी सही भावनाओं के साथ लिया गया। उन्होंने कहा कि फिल्म में काम करते हुए मुझ पर कोई दबाव नहीं था बल्कि मैं जिम्मेदारी महसूस कर रही थी क्योंकि निर्माता-निर्देशक ने इतनी अच्छी कहानी के लिए मुझ पर विश्वास किया था।
रकुल प्रीत सिंह बॉलीवुड के साथ साउथ की फिल्मों में भी काम करती हैं. इस साल रकुल की पांच फिल्में रिलीज होनी हैं, जिनमें कमल हासन की चर्चित फिल्म इंडियन का सीक्वल इंडियन 2 भी शामिल है. रकुल लगातार काम कर रही हैं और 2022 में भी उनकी पांच फिल्में- रनवे 34, अटैक, कठपुतली, थैंक गॉड और डॉक्टर जी रिलीज हुई थीं। हालांकि इनमें से एक भी नहीं चली. परंतु 2023 में उनकी शुरुआत बढ़िया रही. छतरीवाली एक ऐसी पढ़ी-लिखी युवती की कहानी है, जिसे नौकरी की तलाश है। उसे कंडोम कंपनी में क्वालिटी टेस्टर की नौकरी मिलती है। मगर यह युवती टीचर भी है और बच्चों को सेक्स एजुकेशन देने की वकालत करती है। फिल्म में रकुल प्रीत सिंह, सुमित व्यास, सतीश कौशिक और राजेश तैलंग मुख्य भूमिकाओं में हैं। फिल्म का निर्देशन तेजस प्रभा विजय देओस्कर ने किया है।
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भारत के स्कूलों में यौन शिक्षा बहुत जरूरी है। किशोरावस्था में ज्यादातर बच्चे मनमौजी ही होते हैं। वह बड़ी-बड़ी गलतियां कर देते हैं, जिनके बारे में वह सही से जानते भी नहीं हैं। आज के समय में लोग इंटरनेट के माध्यम से हर चीज जान लेते हैं। इसमें से बहुत सी ठीक भी होती हैं और बहुत सी गलत भी। जो बच्चे किशोरावस्था में होते हैं वह सेक्स की बातों को अलग ढंग से ले सकते हैं। अगर बच्चों को ठीक समय पर यौन शिक्षा नहीं दी जाती है तो वह इसके बारे में जानने के लिए गलत रास्तों पर भी जा सकते हैं। अगर स्कूलों में यौन शिक्षा दी जाएगी तो इससे बच्चे जिम्मेदार बनेंगे और उनका दिमाग भी विकसित होगा। वह गलत रास्ते पर जाने से पहले सोचेंगे।
जैसे-जैसे बच्चों की उम्र बढ़ती है वैसे-वैसे उनके शरीर में भी बदलाव आने लगते हैं। कुछ ऐसे बदलाव आने लगते हैं जिनके बारे में बच्चों को पता नहीं होता है और ना ही वह किसी से इस बारे में पूछ पाते हैं। इसलिए वह इंटरनेट की दुनिया में चले जाते हैं जहां वह बहुत ही गलत चीजें धारण कर लेते हैं। जो की बहुत खतरनाक हो सकता है। इसलिए ऐसी सभी चीजों से बचने के लिए स्कूलों में यौन शिक्षा जरूर देनी चाहिए। यह बहुत जरूरी है और ऐसी फिल्में बनें और समाज को एक मार्गदर्शक की तरह बनें।
भारत में, यह प्रश्न बना हुआ है कि क्या हम उस बिंदु तक पहुँच गए हैं जहाँ हम आजादी से बिना किसी शर्म के यह शब्द बोल सकते हैं। दुर्भाग्य से, अधिकांश विद्यालयों में आज भी सेक्स शिक्षा केवल जलीय जंतु या जानवारो के उदाहरणों तक ही सीमित है। जब बात छात्रों के मध्य मानव सेक्स से सम्बंधित अध्ययन की आती है तो शिक्षक उसे बताने में सकोंच करते हैं और सम्पूर्ण जानकारी के बजाय बहुत कम जानकारी छात्रों को प्रदान करते हैं। कुछ स्कूल ही सेक्स शिक्षा देने के नाम पर स्वास्थ्य और स्वच्छता पर वर्कशॉप का आयोजन कर रहे हैं। सरकार खुद ही इस तरह की शिक्षा को बढ़ावा देने से फिल्हाल दूर है। सरकार इसके लिए अभी तक कोईवभी ठोस कदम उठा पाने में समर्थ नहीं हो पाई है और ये सबसे बड़ा सवाल है।