जानें उस महिला के बारे में जिन्होंने ब्रिटिश शासन को मानवता पर कलंक कहा…
पहली बार राष्ट्रीय ध्वज फहराने वाली महिला
श्रीमती भीखाजी जी रूस्तम कामा यानि की मैडम कामा भारत की पारसी नागरिक थी. जब-जब भारत की आजादी की गाथाएं गाई जाएंगी तब-तब भीखाजी जी कामा का नाम याद किया जाएगा है. भीखाजी जी कामा ने लंदन, जर्मनी और अमेरिका की यात्रा कर भारत की आजादी के पक्ष में अहम माहौल बनाने का काम किया था. इतना ही नहीं भीखाजी जी कामा ने जर्मनी के स्टटगार्ट में 22 अगस्त 1907 को हुई 7वीं अंतरराष्ट्रीय कांग्रेस में भारत का प्रथम तिरंगा राष्ट्रध्वज फहराया था. हालांकि जो तिरंगा 1907 में भीखाजी जी कामा ने फहराया था वो वैसा नहीं था जैसा आज दिखाई देता है. लेकिन मौजूदा राष्ट्रीय ध्वज भी भीखाजी जी कामा के झंडे से काफी मेल खाता है.
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क्या खास था भीखाजी जी कामा के द्वारा फहराये राष्ट्रध्वज में
भीखाजी जी कामा द्वारा फहराया गया भारत का प्रथम तिरंगा राष्ट्रध्वज आज भी गुजरात के भावनगर स्थित सरदारसिंह राणा के पौत्र और भाजपा नेता राजुभाई राणा के घर सुरक्षित रखा गया है. भीखाजी जी कामा ने इस राष्ट्रध्वज में विभिन्न धर्मों की भावनाओं और संस्कृति को समेटने की कोशिश की थी. इस राष्ट्रध्वज में हिंदुत्व, इस्लाम,और बौद्ध मत को प्रदर्शित करने के लिए हरा, पीला और लाल रंग इस्तेमाल किया गया था. साथ ही इस राष्ट्रध्वज में बीच में देवनागरी लिपि में वंदे मातरम लिखा हुआ था.
जाने क्यों भीखाजी जी कामा ने ब्रिटिश शासन को मानवता पर कलंक कहा
अधिवेशन में भीखाजी जी कामा ने कहा ब्रिटिश शासन का भारत में जारी रहना मानवता के नाम पर एक कलंक है. साथ ही उन्होंने कहा ब्रिटिश शासन द्वारा किये जा रहे कामों से भारत के हितों को भारी क्षति पहुंच रही है. साथ ही भीखाजी जी कामा ने सभी भारतीयों से आजादी के लिए आगे बढ़ने और अपनी आवाज़ उठाने की अपील की थी. उन्होंने कहा हिंदुस्तान हिंदुस्तानियों का है. उस समय भीखाजी जी कामा द्वारा फहराए गए तिरंगे का सीधा असर ब्रिटिश शासन पर भी दिखाई दिया था. भीखाजी जी कामा द्वारा फहराए गए तिरंगे को ब्रिटिश शासन ने अपने लिए एक चुनौती समझा था.
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