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Kumbh Mela 2019: यहाँ जाने कुम्भ के मेले का इतिहास

क्यों करोड़ो श्रद्धालु होते है इस मेले में शामिल 


 2019 यानी नया साल आने वाला है और हर 3 साल के बाद होने वाला  कुम्भ  का मेला भी जनवरी  के  माह  में शुरू हो जाएगा  . इस बार कुम्भ  का मेला 15  जनवरी से लेकर 4 मार्च  2019  तक चलेगा जिसमे  गंगा, यमुना और सरस्वती में डुबकी लगाने के लिए कई देश – विदेश  से करोड़ो श्रद्धालुओं  के आने का अनुमान लगाया जा रहा है. ऐसे में इस बार मोदी सरकार ने कुम्भ के  मेले को लेकर कई सारी चीजों का ख़ास ध्यान भी  रहा है जैसे  साफ़- सफाई। 

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आपको बता दे  की इस  बार कुम्भ का मेला उत्तर  प्रदेश  के प्रयागराज में हो रहा है जिसमे  इस बार शौच से मुक्त रखने के लिए पूरे मेला क्षेत्र में एक लाख 22 हजार 500 टॉइलट का निर्माण किया जा रहा है ताकि लोग खुले में शौच न करे और पूर्ण रूप से स्वच्छता का ख़ास ध्यान भी रखा जाए. इसके अलावा कुछ जगहों पर डस्टबिन भी रखे जा रहे है. 

अब जाने क्या है कुम्भ के मेले का इतिहास और क्यों हर साल होते हैं करोड़ो श्रद्धालु इसमें शामिल:

कुम्भ के मेले की शुरुआत तक़रीबन 850 साल पहले  हुई थी. इसकी शुरुआत पंडित महा ज्ञानी शंकराचार्य ने इसकी शुरुआत की थी। लेकिन कुछ दस्तावेज के अनुसार इसकी शुरुआत  525 बीसी में समुद्र मंथन के आदि काल से ही हो गई थी.

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इस मेले में करोड़ो  की संख्या में श्रद्धालु इसलिए भी शामिल होते है ऐसा कहा जाता है की अमृत  को लेकर देवता और दानवों के बीच लगातार बारह दिन तक युद्ध हुआ था और उस  समय पर अमृत का कलश हरिद्वार,प्रयागराज , उज्जैन और नासिक के स्थानों पर ही गिरा था तभी इन चार स्थानों पर ही कुंभ मेला हर तीन बरस बाद लगता है. साथ ही अब कुंभ मेले के लिए तैयारियां भी खत्म  होने वाली है और यह मेला नए  साल 15  जनवरी 2019  से शुरू हो  जाएगा।

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