बिना श्रेणीहॉट टॉपिक्स

किसान आंदोलन- 1 साल में उतार-चढ़ाव के अलावा कई बार असहमतियां भी हुई लेकिन युवा अपने बुर्जुगों के साथ डटा रहा- जसवीर सिंह

किसान आंदोलन- एकता और शांति से हमने इस आंदोलन को जीता है!

किसान आंदोलन- एकता और शांति से हमने इस आंदोलन को जीता है,  यह आने वाली पीढ़ी के लिए सबक है- सुखदीप

 

किसान आंदोलन ने  26 नवंबर के दिन को ऐतिहासिक दिन बना दिया है। जिसे हमारी आने वाली पीढ़ियां संविधान दिवस के साथ-साथ किसान आंदोलन के तौर पर भी याद करेंगी। 26 नवंबर को किसान आंदोलन को एक साल पूरा होने के मौके पर मैं सिंघु बॉर्डर गई। ऑटो से पहुंचने के बाद जैसे ही मैंने धरना स्थल पर एंट्री ली, लगा सिंघु बॉर्डर पर जैसे कोई मेला लगा है।

जैसे-जैसे मेरे कदम आगे बढ़ रहे थे मेरी आंखों के सामने तरह-तरह लोग दिख रहे थे। बुजुर्ग से लेकर छोटे-छोटे बच्चों तक सभी इस किसान आंदोलन को अपना समर्थन दे रहे थे। मैं जैसे-जैसे आगे बढ़ रहे थी वैसे-वैसे कई ऐसे लोग दिख रहे थे जिनके हौसले को तो सिर्फ सलाम ही कहा जा सकता है।

WhatsApp Image 2021 11 28 at 10.40.02

आगे बढ़ते हुए एक शख्स को देखकर मैं खुद हैरान हो गई। उस शख्स का एक पैर नहीं था । मंजी(खटिया) पर बैठकर यह शख्स अपना समर्थन दे रहा था। आगे बढ़ी तो 75 साल की एक बुजुर्ग दिखी, जो नंगे पैर(बिना चप्पल) के लंगडते हुए लाठी के सहारे मंच की तरफ बढ़ती हैं एक युवा पत्रकार उनसे कहता है कि माता मैं आपको वहां तो छोड़ आऊं वह बड़े बुलंद हौसले के साथ कहती है बेटा आज दिनभर मेरा यहां से वहां, और वहां से यहां तक का काम है। मैं आराम से चली जाउंगी।

मंच की तरफ जैसे-जैसे मैं बढ़ रही थी। कई लोग देखने मिले। लेकिन सबसे ज्यादा मेरा ध्यान अगर किसी चीज ने खींच तो वह था युवाओं का इस किसान आंदोलन में संघर्ष और समर्थन । कुछ युवा ट्रैक्टर में बैठे हैं कुछ खड़े होकर भारतीय किसान यूनियन मंच से दिए जा रहे भाषण को सुन रहे थे।

इसी भीड़ के बीच एक युवा अकेला क्लिपबोर्ड लेकर खड़ा था। जिसमें साफ-साफ लिखा था एमएसपी नहीं तो आंदोलन वहीं” यहीं से हमने यह जानने की कोशिश की, कि  युवा इस एक साल के किसान आंदोलन के बारे में क्या सोचते हैं।

अमरिंदर सिंह सहारनपुर से किसान आंदोलन में हिस्सा लेने आएं थे उनके हाथ में ही क्लिपबोर्ड था। उनका कहना था कि इस पूरे एक साल में देश में कम-कम सरकार के उस वाले काम में तो कमी आई है। जहां वह विधेयक लाओ पास करदो की नीति से कई बिलों को पास कर रही थी। एक साल के लंबे संघर्ष में लोकतंत्र की जीत हुई है। एसएसपी पर बात करते हुए अमरिंदर कहते हैं कि एमएसपी कोई नई मांग नहीं है बल्कि इसकी मांग तो लंबे समय से की जा रही है। जिसे अब सरकार को पूरा करना देना चाहिए।

WhatsApp Image 2021 11 28 at 10.40.38

आने वाली पीढ़ी का जिक्र करते हुए वह कहते हैं कि सरकार को खेती को और बढ़ावा देना चाहिए न कि कानून लाकर किसानों को कमजोर करना चाहिए। उनका कहना था कि किसानों को उनकी फसल का सही मूल्य मिलेगा तो आने वाली पीढ़ी भी इसमें अपना भविष्य बनाने के बारे में सोच सकती हैं। इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा  कि शहरों में प्रवासियों की संख्या में कम होगी। जब लोगों को गांव, कस्बों में ही खेती से जुड़े काम मिल जाएंगे तो वह शहर क्या करने आएंगे।

अमरिंदर के जैसे और भी कई युवा इस किसान आंदोलन में अपना समर्थन दे रहे थे। कोई लंगर में सेवा कर रहा था तो कोई किसान एकता जिंदाबाद के नारे लगा रहा था। इसमें युवतियों भी पीछे नहीं थी। लुधियाना से आई एक युवती हमें बताती हैं कि उन्हें इस बात की खुशी है कि सरकार ने इस बिल को रद्द करने का ऐलान कर दिया है। लेकिन इसमें बहुत देर हो चुकी है।

पूरे एक साल की बात करें तो हमारे पंजाब और अन्य राज्यों से लगभग 700 किसान भाई शहीद हुए हैं। हमें इस बात का बहुत दुःख है। उम्मीद करते है सरकार जल्द ही हमारी मांगों को पूरी कर देगी और हम अपने घरों को वापस चले जाएंगे।

 26 नवंबर के दिन सिंधु बॉर्डर पर सारा दिन नेताओं से लेकर कलाकारों को आना जाना लगा रहा। युवाओं के बीच पंजाबी संगीतकार बब्बू मान को देखने और सुनने का खासा क्रेज था। बब्बू मान को देखकर वहां मौजूद लोगों में पूरा जोश भर गया। किसान एकता जिंदाबाद और जो बोलो सोनेनिहाल, सत श्री अकाल के नारे लगे।

इस दौरान मुझे एक लाइब्रेरी देखी। जिसका नाम था जंगी लाइब्रेरी। यह लाइब्रेरी कुछ स्टूडेंट्स के द्वारा धरना स्थल पर खोली गई थी ताकि जिन्हें पढ़ना है वह यहां से किताबें ले जाकर पढ़े और बाद में नियमित रुप से उसे वहीं वापस कर दें। इस लाइब्रेरी को संचालित करन वाले जसवीर सिंह बीते एक साल को याद करते हुए कहते हैं कि इससे पहले जितने भी संघर्ष(आंदोलन) हुए हैं उनमें युवाओं का इतना योगदान नहीं रहा है। लेकिन इस आंदोलन में युवाओं को हुकूमत रही है। उन्होंने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया है। धरना स्थल पर बने एक-एक सेल्टर होम को युवाओं ने  दिन रात एक करके बनाया है।

इस किसान आंदोलन में एक साल के दौरान कई उतार- चढाव आएं है। जिसमें युवाओं की जत्थे बंदियों के साथ असहमति भी हुई है। जिसे लेकर युवाओं में थोड़ा अशांति और निराशा हुई थी, लेकिन अंत भला तो सब भला। आने वाली पीढ़ी  जिक्र करते हुए जसवीर कहते हैं कि यह एक ऐसा आंदोलन है जिसे आने वाली पीढ़ी को बताना नहीं पड़ेगा वह स्वयं इसे देख रही हैं।

अगर आप भी चाहते है एक `Perfect Relationship` तो दीपिका और रणवीर से ले रिलेशनशिप ये टिप्स

पीएम मोदी की बात करते हुए वह कहते हैं कि आजतक इतने सालों में पीएम के मुंह से माफी शब्द नहीं निकला था। लेकिन इस आंदोलन के कारण यह भी हुआ है। यह एक ऐसा आंदोलन है जिससे यह साफ हो जाता है कि शांतिपूर्ण ढंग से किसान आंदोलन कर जीत हासिल की जा सकती है।

अब लगभग सारा दिन मैंने सिंधु बॉर्डर पर हो कार्यक्रम को देखा है। दिन ढलना शुरु हो गया था। इससे पहले की अंधेरा होता कार्यक्रम खत्म होने से पहले आसपास से आए लोगों की वापसी भी शुरु हो गई थी। इसी बीच पंजाब के मानसा जिले से आई दो युवतियों से हमने बात की जो बड़ी तेजी से आगे बढ़ रह थी। इन दोनों का नाम सुखदीप था।

 मैंने सुखदीप से किसान आंदोलन को  एक साल पूरा होने पर वह एक युवती के तौर वह कैसे देखती हैं तो उनका का कहना था कि  इस पूरे एक साल में हमने यह सीखा है कि एकता के साथ हम कोई भी लड़ाई को  जीत सकते हैं। यह किसान आंदोलन हम जैसे लोगों के द्वारा ही खड़ा किया गया था। इसलिए इस आंदोलन को आम जनता का खूब समर्थन मिला है।  इसे जीतना बहुत जरुरी था।

हमने एकता और गांधी जी मूल्यों  और अहिंसा के मार्ग को चुनकर इस आंदोलन को जीता है। जो आने वाली पीढ़ी को यह शिक्षा देता है कि किसी भी काम को देर लग सकती है लेकिन शांति और एकता से किए गए काम में हमेशा जीत हासिल होती है।

WhatsApp Image 2021 11 28 at 10.41.09

अगर आपके पास भी हैं कुछ नई स्टोरीज या विचार, तो आप हमें इस ई-मेल पर भेज सकते हैं info@oneworldnews.com

Back to top button