आखिर क्यों मनाया जाता है महिला समानता दिवस? जाने 26 अगस्त का इतिहास
महिला समानता दिवस के पीछे का इतिहास
दुनियाभर में मनुष्य ने तरह-तरह के भेद-भाव जैसे जाति, धर्म, विचारधारा, समुदाय, रंगभेद (काला-गोरा), स्थानीयता (जर्मनी में यहूदियों के साथ) आदि में सबसे बड़ा अत्याचार महिलाओं के साथ किया था। पुरुष प्रधान समाज में महिलाओ की कोई जगह नहीं थी। उन्हें केवल घर की चार दीवारियों के भीतर रहने की अनुमति थी। भारत देश को आजाद हुए 73 साल हो चुके हैं लेकिन कुछ जगहों पर कुछ नहीं बदला है। हालाँकि पहले से बहुत बदलाव हैं और अब महिलायें पुरुषों को हर क्षेत्र में बराबरी कर रही हैं। पर महिला समानता दिवस का इतिहास जुड़ा है अमेरिका से. चलिए जानते है की आखिर क्यों मनाया जाता है ये दिवस.
संयुक्ता राज्य अमेरिका 19वां संविधान संशोधन
संयुक्ता राज्य अमेरिका में 19वें संविधान संशोधन के जरिए महिलाओं को समानता का अधिकार दिए जाने के उपलक्ष्य में 26 अगस्त को महिला समानता दिवस यानि Women’s Equality Day मनाया जाता है। इसी संशोधन के तहत महिलाओं के लिए कुछ ऐसे प्रावधान बनाये गए जो पहले सिर्फ पुरुषों को ही हासिल थे। संयुक्त राज्य अमेरिका में 19वें संविधान संशोधन के बाद से हर साल ये दिन अंतरराष्ट्रीय स्तंर पर मनाया जाता है।
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वोट देना है महिलाओ का हक़
26 अगस्त को हर साल Women’s Equality Day के दिन महिलाओ को समानता के अधिकार मिलने की ख़ुशी में कई प्रकार के कार्यकर्म आयोजित किये जाते हैं। इस दिन कई प्रकार के कार्यकर्म के द्वारा महिलाओ को जागरूक किया जाता है. महिलाओ को उनके अधिकारों के बारे में बताया जाता हैं। कई संगठन और संस्थान वाद-विवाद प्रतियोगिता, कला प्रदर्शनी और संगोष्ठीक आदि का आयोजन किया जाता है. जिसमे हर स्तर की महिलाओ को भाग लेने के लिए प्रेरित जाता हैं।
राज्य और केंद्र सरकार की भूमिका
समाज में महिलाओ के स्तर को उठाने के लिए राज्य और केंद्र सरकार ने कई कल्याणकारी योजनाए चलाई है जिससे स्थिति में सुधार आया है। इस कारण महिला की शिक्षा दर में काफी उछाल आया है और महिलाओं ने कई क्षेत्रों में अपनी काबिलियत को भी साबित किया है। हालाँकि, अभी भी बहुत काम बाकी हैं। नेतृत्व करने वालों में महिलाओं की संख्या केवल 14% है। इसी तरह भारत की संसद में भी इस समय केवल 12.5% ही महिला सांसद है जो 50% आबादी की तुलना में बहुत कम है।
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